ताइवान ने की मिलिट्री ड्रिल, चीन के खतरे के बीच नागरिकों को युद्ध के लिए दी ट्रेनिंग

चीन ने उन रिपोर्टों पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की है कि अमेरिकी हाउस स्पीकर नैन्सी पेलोसी मंगलवार को ताइवान का दौरा कर सकती हैं, उसने चेतावनी दी है कि अगर वे द्वीप का दौरा करती हैं तो उसकी सेना कभी भी "बैठे रहने की मूर्खता नहीं करेगी."

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पूरे ताइवान (Taiwan) में सायरन बज रहे हैं, सड़कों को साफ कर दिया गया है और लोगों को शेल्टर्स में भेज दिया गया है. ताइवान यहां सैन्य अभ्यास कर रहा है. इस क्षेत्र में अमेरिकी स्पीकर (US Speaker) की संभावित यात्रा को लेकर चीन चेतावनी दे रहा है. चीन ताइवान पर अपना दावा करता है. यूक्रेन पर रूस के फरवरी के हमले ने ताइवान की चिंता बढ़ा दी है.

चीन ने उन रिपोर्टों पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की है कि अमेरिकी हाउस स्पीकर नैन्सी पेलोसी मंगलवार को ताइवान का दौरा कर सकती हैं. उसने चेतावनी दी है कि अगर वे द्वीप का दौरा करती हैं तो उसकी सेना कभी भी "बैठे रहने की मूर्खता नहीं करेगी."

पेलोसी के कार्यालय ने रविवार को कहा कि वह इस क्षेत्र में कांग्रेस के प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व कर रही हैं. दौरे में सिंगापुर, मलेशिया, दक्षिण कोरिया और जापान की यात्राएं शामिल होंगी. इसमें ताइवान का जिक्र नहीं है.

चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियन ने सोमवार को कहा कि अगर पेलोसी ताइवान का दौरा करती हैं तो यह "चीन के आंतरिक मामलों में एक बड़ा हस्तक्षेप" होगा. उन्होंने चेतावनी दी कि इसके "बहुत गंभीर परिणाम" होंगे.

चीन अमेरिकी अधिकारियों के ताइवान के दौरे को द्वीप में स्वतंत्रता समर्थक कैंप के लिए एक उत्साहजनक संकेत भेजने के रूप में देख रहा है.

पेलोसी की यात्रा वाशिंगटन और बीजिंग के बीच बिगड़ते संबंधों के बीच होगी. रिपब्लिकन न्यूट गिंगरिच 1997 में ताइवान की यात्रा करने वाले अंतिम हाउस स्पीकर थे.

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पिछले गुरुवार को अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन के साथ एक कॉल में चीनी राष्ट्रपति ने उन्हें चेतावनी दी थी कि वाशिंगटन को एक-चीन सिद्धांत का पालन करना चाहिए और "जो लोग आग से खेलते हैं वे नष्ट हो जाएंगे."

बाइडेन ने शी से कहा कि ताइवान पर अमेरिकी नीति नहीं बदली है और वाशिंगटन यथास्थिति को बदलने या ताइवान जलडमरूमध्य में शांति और स्थिरता को कम करने के एकतरफा प्रयासों का कड़ा विरोध करता है.

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बीजिंग ताइवान को अपने क्षेत्र का हिस्सा मानता है और उसने द्वीप को अपने नियंत्रण में लाने के लिए बल प्रयोग से कभी परहेज नहीं किया है. ताइवान ने चीन के संप्रभुता के दावों को खारिज किया और कहा कि केवल उसके लोग ही द्वीप के भविष्य का फैसला कर सकते हैं.

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