खालिदा का बेटा कसम तोड़ 17 साल बाद बांग्लादेश लौटा, क्या छीनेगा यूनुस की कुर्सी ?

2008 में इलाज के लिए तारिक लंदन गए और कसम खाई थी कि बांग्लादेश की राजनीति में दोबारा कभी नहीं लौटूंगा. लेकिन बेकाबू होते हालात देख कसम तोड़कर तारिक वापस बांग्लादेश आ गए हैं. आगे के लिए उनकी रणनीति आखि क्या होगी?

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रहमान की वापसी के मायने समझें.
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  • बांग्लादेश में 17 साल बाद खालिदा के बेटे तारिक रहमान की वापसी पर लगभग एक लाख लोग उनके स्वागत के लिए जुटे थे.
  • वर्तमान राजनीतिक स्थिति में वहां कोई प्रमुख राष्ट्रीय नेता नहीं है और अवामी लीग पार्टी चुनाव से बाहर है.
  • तारिक वर्तमान में BNP के कार्यकारी अध्यक्ष हैं और प्रधानमंत्री पद के प्रमुख दावेदार माने जा रहे हैं.
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नई दिल्ली:

बांग्लादेश में फैली अशांति के बीच पूर्व पीएम खालिदा जिया का बेटा तारिक रहमान वापस देश लौट आए हैं. इसके बाद सवाल ये उठने लगा है कि क्या अब मोहम्मद यूनुस की कुर्सी छीनने की तैयारी है. खालिदा के बेटे जब 17 साल बाद बांग्लादेश लौटे तो 1 लाख लोग उनके स्वागत में उमड़ पड़े. किसी प्रदर्शन या आंदोलन के अलावा पहली बार इतनी भीड़ उमड़ती वहां देखी गई.

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तारिक रहमान के वापस लौटने का क्या है मतलब?

सवाल ये भी उठ रहा है कि क्या बांग्लादेश को खालिदा के बेटे तारिक रहमान में पीएम नज़र आता है. क्योंकि इस वक्त बांग्लादेश में राष्ट्रीय स्तर पर कोई बड़ा चेहरा नहीं है. शेख हसीना की पार्टी अवामी लीग पर बैन है. इसका मतलब साफ है कि वह चुनाव नहीं लड़ रही. दूसरी सबसे बड़ी पार्टी BNP की अध्यक्ष खालिदा जिया 80 साल की हो गई हैं. खालिदा बहुत बीमार चल रही हैं और सक्रिय राजनीति से काफी दूर भी हैं.

तारिक रहमान PM पद के बड़े दावेदार

तारिक रहमान BNP के कार्यकारी अध्यक्ष हैं, यानी सबसे बड़े दावेदार हैं. उनके सामने चुनौती जमात-ए-इस्लामी और NCP जैसी पार्टियां हैं. बता दें कि NCP हसीना विरोधी आंदोलन के बाद बनी, जिसमें न तो कोई अनुभवी नेता है और न ही उसका कोई जनाधार है. वहीं जमात-ए-इस्लामी भारत और बांग्लादेश विरोधी पार्टी मानी जाती है. यह पार्टी सालों तक बांग्लादेश में बैन रही. इस पर से बैन यूनुस सरकार ने हटाया है. लेकिन जमात-ए-इस्लामी का आम जनता पर ज्यादा असर या पैठ नहीं है.

खालिदा के बेटे पर लगे थे कई गंभीर आरोप

इससे तो ये साफ है कि 6,314 दिन यानी 17 साल बाद लौटे तारिक का दावा पीएम पद के लिए सबसे मजबूत है. 60 साल के तारिक रहमान को बांग्लादेश का 'डार्क प्रिंस' कहा जाता है. बांग्लादेश की आज़ादी की लड़ाई के वक्त रहमान भी गिरफ्तार हुए थे. वह 16 दिसंबर 1971 को रिहा हो गए थे, लेकिन सियासत में 1988 में आए. जब उनकी मां खालिदा सत्ता में थी तब रहमान पर कई गंभीर आरोप लगे थे.

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कसम तोड़कर बांग्लादेश क्यों लौटे रहमान?

साल 2007 में खालिदा के सत्ता से हटते ही तारिक रहमान की गिरफ्तारी हुई. उन पर भ्रष्टाचार के 84 केस और हसीना की रैली पर हमला कराने का आरोप भी है. 2008 में इलाज के लिए तारिक लंदन गए और कसम खाई थी कि बांग्लादेश की राजनीति में दोबारा कभी नहीं लौटूंगा. लेकिन बेकाबू होते हालात देख कसम तोड़कर तारिक वापस बांग्लादेश आ गए हैं. आगे क्या होगा ये तो वक्त ही बताएगा.

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