Mahinda Rajapaksa Resigns : श्रीलंका (Sri Lanka) के प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे ने पद से इस्तीफा दे दिया है. स्थानीय मीडिया के अनुसार, राजधानी कोलंबो में हिंसक विरोध प्रदर्शनों के बीच महिंदा राजपक्षे ने यह निर्णय किया है. श्रीलंका में राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे द्वारा दूसरी बार आपातकाल लागू किए जाने के बाद देश के कई हिस्सों में विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं. सोमवार को राष्ट्रपति भवन के बाहर धरना दे रहे प्रदर्शनकारियों पर सरकार के समर्थकों ने हमला बोला था.
इससे पहले दिन में भारी आर्थिक संकट (Sri Lanka Economic Crisis) का सामना कर रहे श्रीलंका की राजधानी में पुलिस ने कर्फ्यू लगा दिया गया था .सोमवार को सरकार के समर्थकों और विरोधियों के बीच हुई झड़पों के बाद यह कर्फ्यू लगाया गया
. विरोध प्रदर्शनकारी राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे (Gotabaya Rajpakshe) के इस्तीफे की मांग कर रहे थे. इन झड़पों में कम से कम 20 घायल हुए हैं. अधिकारियों के हवाले से AFP ने बताया कि कहना है कि राजपक्षे के समर्थकों ने डंडों और छड़ियों के साथ 9 अप्रेल से राष्ट्रपति के भवन के बाहर कैंप लगा कर बैठे निहत्थे प्रदर्शनकारियों पर हमला बोल दिया.
इससे पहले शनिवार को खबर आई थी कि आर्थिक संकट से जूझ रहे श्रीलंका में लागू हुए आपातकाल के बीच प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे इस्तीफा दे सकते हैं. सूत्रों की मानें तो प्रधानमंत्री ने राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे की उस अनुरोध पर सकारात्मक रुख अख्तियार किया था, जिसमें उनसे राष्ट्र में गहरा रही आर्थिक संकट के बीच इस्तीफे की मांग की गई थी. साथ ही राष्ट्र में आपातकाल लागू करने को भी उन्होंने सही माना था.
असल में 4 मई को श्रीलंका (Sri Lanka) के मुख्य विपक्षी दल ने प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे (Mahinda Rajpakshe) और उनके मंत्रिमंडल के विरुद्ध एक अविश्वास प्रस्ताव जारी किया था. विपक्ष का आरोप है कि देश जब अपने सबसे बुरे आर्थिक दौर (Economic Crisis) से गुजर रहा है तब राजपक्षे ने अपने संवैधानिक दायित्वों का निर्वहन नहीं किया. श्रीलंका के मुख्य विपक्षी दल एसजेबी ने मंगलवार को एसएलपीपी गठबंधन सरकार और राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव संसद के अध्यक्ष को सौंपा. वहीं, दूसरी ओर सरकार ने नये संविधान के प्रस्ताव पर विचार करने के लक्ष्य से कैबिनेट की उप-समिति के गठन की घोषणा की.
समागी जन बालवेगया (एसजेबी) के महासचिव रंजीथ मद्दुमा बंडारा ने कहा था, ‘‘हमने (संसद के) अध्यक्ष से उनके आवास पर मुलाकात की और उन्हें दो अविश्वास प्रस्ताव सौंपे. एक संविधान के अनुच्छेद 42 के तहत राष्ट्रपति के खिलाफ और दूसरा सरकार के खिलाफ. '