श्रीलंका (Sri Lanka) के विदेश मंत्री ने बुधवार को जोर देकर कहा कि देश की अर्थव्यवस्था (Economy) के प्रबंधन पर ‘बाहरी ताकतों' का मार्गदर्शन उसे नहीं चाहिए. विदेश मंत्री अली साबरी ने यह भी कहा कि श्रीलंका जवाबदेही के उस मुद्दे पर संयुक्त राष्ट्र (UN) के प्रस्ताव का विरोध करेगा, जिसमें आर्थिक अपराधों की जिम्मेदारी भी शामिल होगी. सात अक्टूबर को संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (UNHRC) में एक नया मसौदा मतदान के लिए रखा जाना है, जिसमें श्रीलंका में जारी आर्थिक संकट (Economic Crisis) पर जवाबदेही निर्धारित करने का भी प्रस्ताव शामिल है. श्रीलंका 1948 में अपनी स्वतंत्रता के बाद से सबसे खराब आर्थिक दौर से गुजर रहा है.
साबरी ने जिनेवा से एक वीडियो लिंक के माध्यम से संवाददाताओं से कहा, ‘‘हम बाहरी ताकतों को यह समझाने की अनुमति नहीं देंगे कि हम अपनी अर्थव्यवस्था का प्रबंधन कैसे करें, हमने आर्थिक सुधार के लिए खुद के उपाय किये हैं.''
साबरी ने कहा कि यूएनएचआरसी के पास आर्थिक मामलों को निर्धारित करने के लिए विशेषज्ञता का अभाव है.
यह पूछे जाने पर कि क्या श्रीलंका मानवाधिकार संरक्षण पर अंतरराष्ट्रीय तंत्र का विरोध करते हुए आर्थिक संकट हल करने के लिए अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता के प्रति सहिष्णु था, साबरी ने कहा कि देश को अपने आर्थिक सुधार पर मैत्रीपूर्ण सहयोग हासिल हो रहा है, जबकि ज्यादातर पश्चिमी देश, मानवाधिकारों के मुद्दे पर हस्तक्षेप के लिए प्रवृत्त हुए हैं.
साबरी ने कहा, ‘‘हमें अपनी संप्रभुता की रक्षा करनी होगी, क्योंकि यह स्पष्ट है कि ये समूह हमें कमजोर करने के लिए इन आरोपों को कायम रखना चाहते हैं.''
उन्होंने श्रीलंका की स्थिति को दोहराया कि सेवाकर्मियों के खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए अंतरराष्ट्रीय तंत्र का प्रयास श्रीलंकाई संविधान का उल्लंघन है.
विदेश मंत्री ने कहा, ‘‘हमारे युद्ध नायकों की रक्षा की जानी चाहिए, उन्हें बाहरी ताकतों द्वारा कटघरे में खड़े करने की अनुमति नहीं दी जा सकती है.''
साबरी ने कहा, ‘‘हमने (लिट्टे के साथ युद्ध के दौरान सैन्य उद्देश्यों के लिए कब्जाई गई) 94 फीसदी निजी संपत्तियां मुक्त कर दी हैं.''
उन्होंने कहा कि सच्चाई की तलाश करने वाला तंत्र जिसे जल्द ही स्थापित किया जाना है, वह किसी भी गलत काम के लिए सैनिकों के खिलाफ शिकायत करने में सक्षम होगा.