Sri Lanka : सरकार विरोधी प्रदर्शनकारियों को "देखते ही गोली मारने के आदेश"

Sri Lanka Crisis: श्रीलंका में सरकार समर्थकों और विरोधियों के बीच हुई झड़प में मारे गए लोगों की संख्या बढ़कर मंगलवार को आठ हो गई और लगभग 250 लोग घायल हो गए.श्रीलंका में घोर आर्थिक संकट के बीच महिंदा राजपक्षे ने सोमवार को अपने पद से इस्तीफा दे दिया था. 

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Sri Lanka Crisis: हिंसा में 8 की मौतऔर लगभग 250 लोग घायल

श्रीलंका (Sri Lanka) में हिंसा से बाद जारी कर्फ्यू (Curfew) के बीच सरकार विरोधी प्रदर्शनकारियों को देखते ही गोली मारने के आदेश दिए गए हैं. प्रदर्शनकारी राष्ट्रपति के इस्तीफे की मांग कर रहे हैं. महिंदा राजपक्षे (Mahinda Rajpakshe) पहले ही प्रधानमंत्री  इस्तीफा दे चुके हैं.  पुरानी संसद और राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे के आधिकारिक आवास के पास कई पानी की बौछार करने वाले ट्रक और पुलिस वैन तैनात की गई हैं. 

 इससे पहले श्रीलंका में भारतीय उच्चायोग ने मंगलवार को स्थायी सोशल मीडिया में आयी उन खबरों को ‘‘फर्जी और बिल्कुल गलत'' करार दिया, जिसमें श्रीलंका के पूर्व प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे और उनके परिवार के सदस्यों के भारत भाग जाने की अटकलें लगायी गई हैं. श्रीलंका में गंभीर आर्थिक संकट के चलते सरकार विरोधी प्रदर्शन तेज होने के बीच महिंदा राजपक्षे ने सोमवार को प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था. भारतीय उच्चायोग ने एक बयान में कहा ‘‘उच्चायोग ने हाल में सोशल मीडिया और मीडिया के कुछ हिस्सों में फैलायी जा रही अफवाहों का संज्ञान लिया है कि कुछ राजनीतिक व्यक्ति और उनके परिवार भारत भाग गए हैं.''

 श्रीलंका के राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे ने मंगलवार को लोगों से ‘‘हिंसा और बदले की कार्रवाई'' को रोकने का आग्रह किया. उन्होंने देश समक्ष राजनीतिक और आर्थिक संकट को दूर करने का संकल्प लिया.

इस बीच श्रीलंका में सरकार समर्थकों और विरोधियों के बीच हुई झड़प में मारे गए लोगों की संख्या बढ़कर मंगलवार को आठ हो गई और लगभग 250 लोग घायल हो गए.

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श्रीलंका में घोर आर्थिक संकट के बीच महिंदा राजपक्षे ने सोमवार को अपने पद से इस्तीफा दे दिया था. इससे कुछ ही घंटों पहले, उनके समर्थकों ने सरकार विरोधी प्रदर्शनकारियों पर हमला किया था, जिसके कारण प्राधिकारियों को राजधानी में सैन्य बलों को तैनात करना पड़ा और राष्ट्रव्यापी कर्फ्यू लगाना पड़ा.

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राष्ट्रपति की शांति की अपील 

राष्ट्रपति राजपक्षे ने हिंसा भड़कने के बाद अपनी पहली प्रतिक्रिया में कहा, ‘‘मैं लोगों से अपील करता हूं कि वे शांत रहें और हिंसा को रोकें, चाहे उनका राजनीतिक जुड़ाव कोई भी हो. संवैधानिक जनादेश के भीतर आम सहमति के माध्यम से राजनीतिक स्थिरता बहाल करने और आर्थिक संकट को दूर करने के लिए सभी प्रयास किए जाएंगे.''

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श्रीलंका के अटॉर्नी जनरल ने मंगलवार को पुलिस प्रमुख से देश में सरकार विरोधी और सरकार समर्थक प्रदर्शनकारियों के बीच हिंसक झड़पों की तत्काल और पूर्ण जांच करने को कहा है.

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सरकार विरोधी प्रदर्शनकारियों ने राजपक्षे परिवार के समर्थकों को देश से भागने से रोकने के लिए कोलंबो में बंदरानाइक अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे की ओर जाने वाली सड़क पर एक चौकी भी स्थापित की है.

इस हिंसा के दौरान हंबनटोटा में राजपक्षे के पैतृक आवास सहित कई नेताओं के आवासों में आगजनी की गई। वीडियो फुटेज में हंबनटोटा शहर के मेदामुलाना में महिंदा राजपक्षे और उनके छोटे भाई एवं राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे का आवास जलता दिखाई दे रहा है.

कुरुनेगला स्थित महिंदा राजपक्षे के आवास में भी प्रदर्शनकारियों ने आग लगा दी और भीड़ ने हंबनटोटा के मेदामुलाना में महिंदा और गोटबाया के पिता की स्मृति में निर्मित डी ए राजपक्षे मेमोरियल को भी नष्ट कर दिया.

इमादुवा प्रदेशीय सभा के अध्यक्ष ए वी सरथ कुमार (63) के आवास पर सोमवार को हमला किया गया था, जिसके बाद उन्हें दिल का दौरा पड़ा और उनकी मौत हो गई.

नेगोम्बो में एक होटल पर हुए हमले में एक व्यक्ति की मौत हो गई.

इस हिंसा में पोलोन्नारुआ जिले से श्रीलंका पोदुजना पेरामुना (एसएलपीपी) के सांसद अमरकीर्ति अतुकोराला (57) और उनके निजी सुरक्षा अधिकारी (पीएसओ) की भी मौत हो गई। गोलीबारी में 27 वर्षीय एक अन्य व्यक्ति की भी मौत हुई है.

वीराकेतिया प्रदेशीय सभा के अध्यक्ष के आवास पर सोमवार रात हुई गोलीबारी में दो लोगों की मौत हो गई.

हिंसा में घायल एक व्यक्ति की कोलंबो स्थित अस्पताल में मौत हो गई.

प्रदर्शनकारियों ने सत्तारूढ़ गठबंधन के मंत्रियों और सांसदों की कई संपत्तियां नष्ट कर दीं.

वर्ष 1948 में ब्रिटेन से आजादी मिलने के बाद श्रीलंका अब तक के सबसे गंभीर आर्थिक संकट के दौर से गुजर रहा है. यह संकट मुख्य रूप से विदेशी मुद्रा की कमी के कारण पैदा हुआ, जिसका अर्थ है कि देश मुख्य खाद्य पदार्थों और ईंधन के आयात के लिए भुगतान नहीं कर पा रहा है.

नौ अप्रैल से पूरे श्रीलंका में हजारों प्रदर्शनकारी सड़कों पर हैं, क्योंकि सरकार के पास आयात के लिए धनराशि खत्म हो गई है. आवश्यक वस्तुओं की कीमतें आसमान छू रही हैं.

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