श्रीलंका (Sri Lanka) में राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे (President Gotabaya Rajpakshe) इस्तीफा देने की मांग ठुकरा चुके हैं, इसकी बजाय वो हिंसा विरोध प्रदर्शनों के बाद नई सरकार बनाने की अपील कर रहे हैं. कई महीनों से श्रीलंका में जारी खाने और ईंधन की कमी के बाद जब जनता का गुस्सा फूटा तो आठ लोगों की मौत हो गई और 200 से अधिक घायल हो गए थए. ब्लूमबर्ग के अनुसार, गोटाबाया राजपक्षे ने टीवी पर दिए एक संबोधन में कहा, मैं नई सरकार और नए प्रधानमंत्री को देश को आगे ले जाने के लिए एक नया कार्यक्रम चालू करने की अनुमति दूंगा. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि स्थिरता लौटने के बाद वो सभी राजनैतिक दलों के साथ अपनी शक्तियों को कम करने के बारे में भी चर्चा करेंगे.
गोटाबाया राजपक्षे ने इससे पहले देशव्यापी कर्फ्यू को गुरुवार सुबह तक बढ़ा दिया था जब सरकार के समर्थकों ने सोमवार को कोलंबो में राष्ट्रपति के इस्तीफे की मांग करते हुए कैंप लगा कर बैठे सरकार विरोध प्रदर्शनकारियों पर हमला बोल दिया था. गोटाबाया के भाई महिंदा राजपक्षे ने प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया, जिससे मंत्रीमंडल का विघटन हो गया. इससे अब कोई सरकार नहीं बची है जो इंटरनेशनल मॉनीटरी फंड और कर्जा देने वालों के साथ $8.6 बिलियन के कर्जा चुकाने की बात कर सके. यह डील बेहद जरूरी है जिससे श्रीलंका के 22 मिलियन लोगों को जरूरी सामान मुहैया हो सके और देश की आर्थिक स्थिति स्थिर हो सके.
गोटाबाया राजपक्षे ने इस्तीफे से मना कर दिया है और विपक्षी दलों ने संविधान में बदलाव के बिना एकता सरकार बनाने से मना दिया है. संविधान में बदलाव के बिना राष्ट्रपति की शक्तियां सीमित नहीं हो पाएंगी.
कोलंबो में राष्ट्रीय शांति परिषद के एक्ज़ीक्यूटिव डायरेक्टर जेहान पेरेरा ने कहा, "उन्हें देश को एक समयसीमा देनी होगी, कि यह कब हो जाएगा. इससे हालात और बिगड़ने से पहले वो खुद को एक शासक के तौर पर बनाए रख सकते हैं."
इन हालातों में श्रीलंका में अब क्या हो सकता है?
1. राष्ट्रपति को पद से हटाया जा सकता है
श्रीलंका के संविधान के अनुसार, राष्ट्रपति को पद से हटाना मुश्किल है. लेकिन अगर संसद के 2 तिहाई सदस्य राष्ट्रपति को पद से हटाने का प्रस्ताव पारित कर देते हैं तो इसके बाद सुप्रीम कोर्ट इसकी जांच करेगा कि राष्ट्रपति क्यों पद के लायक नहीं है. अगर जज नतीजों पर सहमत होते हैं तो सांसद फिर से राष्ट्रपति को पद से हटाने पर वोट करेंगे.
श्रीलंका की पीप्लस फ्रंट पार्टी के लोगों का कहना है कि उनके पास संसद में बहुमत है, लेकिन हाल ही में हुई हिंसा में राजपक्षे से जुड़े लगभग 24 सांसदों के घर पर हमला हुआ, और सत्ताधारी दल के सांसद की मौत हुई. यह स्पष्ट नहीं है कि क्या इससे समीकरण बदल जाएंगे.
2. राष्ट्रपति विपक्ष के साथ एकता सरकार ( Unity Government) बना ले
गोटाबाया राजपक्षे ने विपक्ष को सर्वदल सरकार बनाने का प्रस्ताव दिया है. मुख्य विपक्षी दल लगातार यह प्रस्ताव खारिज कर रहे हैं. प्रभावशाली बौद्ध धर्मगुरु और श्रीलंका की बार काउंसिल ने एक अंतरिम सरकार का प्रस्ताव दिया है जो 18 महीने काम करेगी, इस बीच सांसद राष्ट्रपति की ताकत को कम करने के लिए संवैधानिक बदलावों पर काम करेंगे. लेकिन बिना बड़े जनाधार के किसी भी सरकार के अस्थिर हो जाने की आशंका है.
3. राष्ट्रपति संसद भंग कर दें और नए चुनाव हों
संविधान राष्ट्रपति को तब तक संसद भंग करने की शक्ति नहीं देता जब तक उसके पांच साल के कार्यकाल का आधा समय पूरा ना हो जाए. फरवरी 2023 तक ऐसा नहीं होने वाला है. लेकिन संविधान संसद को जरूर यह अनुमति देता है कि वो एक प्रस्ताव के ज़रिए संसद भंग किए जाने के लिए आग्रह करे. विपक्ष के कुछ नेताओं ने पिछले कुछ दिनों में इस विकल्प पर बात की है, लेकिन चुनाव महंगे पड़ेंगे और इसमें समय लगेगा. अगर विपक्ष जीत भी जाता है, तब भी गोटबाया राजपक्षे के पास राष्ट्रपति के तौर पर कुछ अहम ताकतें बनी रहेंगे. श्रीलंका में राष्ट्रपति के पास प्रधानमंत्री को नियुक्त करने की शक्ति है, और उनके पास केंद्रीय मंत्रियों की नियुक्ति और उन्हें निकालने की भी शक्ति है. राष्ट्रपति खुद को भी कोई मंत्रालय दे सकते हैं.
4. राष्ट्रपति इस्तीफा दे, देश से भाग जाए
प्रदर्शनकारियों को उम्मीद कर रहे हैं कि राष्ट्रपति गोटाबाया इस्तीफा दे दें. अगर हिंसा और भड़कती है और राष्ट्रपति इस्तीफा देते हैं तो इसके बाद तुरंत जो प्रधानमंत्री बनेगा, सत्ता उसके हाथ में आ जाएगी, संसद अध्यक्ष का इसके बाद स्थान आता है. इसके बाद संसद के पास एक महीने का समय होगा जो गुप्तमतदान के जरिए बहुमत से राष्ट्रपति की जगह किसी और को नियुक्त कर सके. नया राष्ट्रपति बचे हुए राष्ट्रपति कार्यकाल के लिए पद ग्रहण करेगा जो 2024 में समाप्त हो रहा है.
5. सैन्य तख़्तापलट
श्रीलंका में तानाशाही का इतिहास रहा है, अगर कोई इस समय तख्तापलट करता है तो इससे राजपक्षे परिवार की मदद होगी. राजपक्षे भाईयों ने श्रीलंका को पिछले 17 में से 13 साल चलाया है. अधिकतर बाद ताकत के दम पर. गोटाबाया राजपक्षे को जातीय तमिल विद्रोहियों के साथ 26 साल के अलगाववादी संघर्ष को खत्म करने का श्रेय दिया जाता है. गोटाबाया ने अब तक सेना के मुख्य पदों पर दो दर्जन से अधिक मौजूदा या रिटायर्ड अधिकारियों को नियुक्त किया है.
गोटाबाया राजपक्षे के सबसे अहम सहयोगियों में श्रीलंकाई सेना के चीफ जनरल शावेंद्र सिल्वा हैं, जिनपर अमेरिका ने लिट्टे के साथ हुए संघर्ष के आखिरी चरण में युद्धापराध के मामले में प्रतिबंध लगाए हुए हैं. फिलहाल गोटाबाया ने सेना को अधिकार दे रखा है कि वो किसी को भी बिना वारंट गिरफ्तार करे लें और निजी संपत्ति की तलाशी हो सके. श्रीलंका के सेना प्रमुख कह चुके हैं, श्रीलंकाई सेना, श्रीलंका के संविधान को बचाने के लिए और देश की रक्षा और सुरक्षा के लिए किसी भी कदम के लिए तैयार है.