403 फीट ऊंचाई, 5000 टन वजन... एलन मस्‍क का सपना पूरा करने को रेडी स्‍पेसएक्‍स का मेगारॉकेट

इस तरह के हुए पहले दो टेस्‍ट्स पूरी तरह से फेल रह गए हैं अब सबकी नजरें स्‍पेसएक्‍स के इस नए लॉन्‍च पर हैं. इसका सफल होना एलन मस्‍क के एक सपने के पूरा होना जैसा होगा.

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नई दिल्‍ली:

'चंदा मामा दूर के', भारत में बचपन से ही हर बच्‍चे को चांद के बारे में कई ऐसी कहानियां सुनाई जाती हैं जो उसे किसी कल्‍पना सी ही लगती हैं. लेकिन एलन मस्‍क ने तय कर लिया है कि वह चंदा मामा को दूर का नहीं रहने देंगे. स्‍पेसएक्‍स के सीईओ मस्‍क इंसानों को मंगल और चांद पर बसाने के अपने सपने को पूरा करने की ठान चुके हैं. मस्‍क का यह सपना 28 मई को पूरा हो सकता है जब उनके इस सपने को पूरा करने के लिए स्पेसएक्‍स का मेगा रॉकेट लॉन्‍च किया जाएगा. भारत में जब आप और हम सो रहे होंगे तो स्‍पेसएक्‍स का रॉकेट सुबह पांच बजे अपने सफर के लिए रवाना होग चुका होगा. 

सिर्फ 6 महीने में मंगल यात्रा 

‘रोड टु मेकिंग लाइफ मल्टीप्लैनेटरी' के तहत मस्‍क अपने सपने को पूरा करने वाले हैं. इस लॉन्‍च से पहले मस्क ने सोमवार को कहा था कि स्टारशिप मंगल ग्रह की यात्रा 6 महीने में कर सकता है. जबकि पहले अनुमान लगाया गया था कि इसमें करीब 10 साल लग सकते हैं. स्‍टारशिप फ्लाइट 9, स्‍पेसएक्‍स का वह मेगारॉकट है जिसे मंगल के अलावा चांद की यात्रा के लिए भेजा जाएगा. कंपनी स्टारबेस फैस‍िलिटी बोका चिका से लॉन्च विंडो को खोलेगी जोकि दक्षिणी टेक्सास के एक गांव के पास है. इसने हाल ही में एक शहर बनने के लिए वोटिंग की थी. इसे ही स्टारबेस भी कहा जाता है. 

दुनिया सबसे बड़ा रॉकेट 

स्टारशिप को स्टारशिप मेगारॉकेट के नाम से भी जाना जाता है. यह दुनिया का सबसे बड़ा और सबसे शक्तिशाली लॉन्‍च व्‍हीकल है जिसे धरती की कक्षा, चंद्रमा, मंगल और उससे आगे तक क्रू और कार्गो ट्रांसपोर्ट के लिए डिजाइन किया गया है. यह एक सुपर हैवी बूस्टर और स्टारशिप स्‍पेसक्राफ्ट से बना एक रियूजेबल सिस्‍टम है. स्टारशिप पृथ्वी पर प्‍वाइंट-टू-प्‍वाइंट ट्रांसपोर्ट में भी सक्षम है. इससे दुनिया के किसी भी कोने में एक घंटे या उससे कम समय में यात्रा करना संभव हो सकेगा. 

स्टारशिप की ऊंचाई करीब 123 मीटर यानी 403 फीट है. इसकी वजह से अब यह दुनिया का सबसे ऊंचा और ताकतवर रॉकेट बन गया है. सुपर हैवी बूस्टर और स्टारशिप स्‍पेसक्राफ्ट दोनों को पूरी तरह से रियूजेबल बनाया गया है. सुपर हैवी बूस्टर समेत पूरी तरह से फ्यूल से चलने वाले स्टारशिप मेगारॉकेट का वजन करीब 5000 मीट्रिक टन यानी 5,000 टन है.  

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क्‍या है मस्‍क का प्‍लान 

स्पेसएक्स का मानना ​​है कि इससे तीव्र और कॉस्‍ट इफैक्टिव स्‍पेस ट्रैवेल पॉसिबल हो सकेगा.  स्टारशिप को एक ऐसे प्रोजेक्‍ट के तौर पर देखा जा रहा है जो इंसानी सभ्‍यता को पूरी तरह से बदल सकती है. स्टारशिप दो प्‍लान के तहत काम करेगी, पहली कार्गो को अंतरिक्ष तक ले जाना और दूसरा अंतरिक्ष यात्रियों को ले जाना. बताया जा रहा है कि इसका मकसद क्रू के साथ 100 लोगों को इंटर-प्‍लैनेटरी उड़ानों के लिए सक्षम बनाना है. 

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हालांकि स्‍पेसएक्‍स के पिछले दो टेस्‍ट्स फेल रह गए हैं. दोनों ही बार फ्लाइट्स आग के गोले में बदल गई थीं. इन फ्लाइट्स का मलबा कैरिबियाई द्वीपों पर गिरा था और इससे उड़ानों पर असर पड़ा था. इस बार मस्‍क और स्‍पेसएक्‍स के अधिकारियों पर सही और बेस्‍ट लॉन्‍च का दबाव भी होगा.  
 

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