- भारत के अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला Axiom-4 मिशन के साथ SpaceX के ड्रैगन स्पेसक्राफ्ट द्वारा प्रशांत महासागर में सुरक्षित स्पलैशडाउन किया.
- Axiom-4 एक कमर्शियल स्पेस मिशन है जिसे Axiom Space और अमेरिका की स्पेस एजेंसी NASA ने मिलकर पूरा किया है.
- सुनीता विलियम्स और बुच विल्मोर को धरती पर लाना हो या फिर Axiom-4 स्पेस मिशन को अंजाम देना हो, नासा के पास SpaceX का और कोई विकल्प ही नहीं है.
Shubhanshu Shukla Return: भारत के लाल, भारत की शान, शुभांशु शुक्ला Axiom-4 स्पेस मिशन के अन्य तीन अंतरिक्ष यात्रियों के साथ धरती पर लौट आए हैं. चारों अंतरिक्ष यात्रियों को लेकर SpaceX का ड्रैगन स्पेसक्राफ्ट ने आज यानि 15 जुलाई को भारतीय समयानुसार तकरीबन दोपहर के 3.01 बजे अमेरिका के कैलिफोर्निया तट के पास प्रशांत महासागर में स्प्लैशडाउन किया, यानी पैराशूट की मदद से पानी में गिरा और वहां से अंतरिक्ष यात्रियों को रिकवर किया जाएगा.
Axiom-4 एक कमर्शियल स्पेस मिशन है जिसे Axiom Space और अमेरिका की स्पेस एजेंसी NASA मिलकर पूरा किया है. वैसे क्या आपको पता है कि दुनिया के सबसे अमीर शख्स एलन मस्क की स्पेस कंपनी SpaceX का यह ड्रैगन स्पेसक्राफ्ट नासा के लिए संकटमोचक बन गया है. चाहे 9 महीने से अधिक वक्त तक इंटरनेशनल स्पेश स्टेशन पर फंसी सुनीता विलियम्स और बुच विल्मोर को धरती पर लाना हो या फिर Axiom-4 स्पेस मिशन को अंजाम देना हो, नासा के पास और कोई विकल्प ही नहीं है.
ड्रैगन खास क्यों है?
ड्रैगन एक स्पेस क्राफ्ट है यानी एक अंतरिक्ष यान है. यह 7 अंतरिक्ष यात्रियों को धरती की कक्षा यानी ऑर्बिट और उससे आगे तक ले जाने में सक्षम है. इसकी सबसे बड़ी खासियत यह है कि यह न सिर्फ अंतरिक्ष में जाता है बल्कि यह वापस भी आता है और इसे फिर से इस्तेमाल भी किया जा सकता है. इसे एलन मस्क की स्पेस एजेंसी SpaceX ने बनाया है. SpaceX के अनुसार यह वर्तमान में उड़ान भरने वाला एकमात्र ऐसा अंतरिक्ष यान है जो बड़ी मात्रा में कार्गो को पृथ्वी पर वापस लाने में सक्षम है. ड्रैगन अंतरिक्ष यान इंसानों को अंतरिक्ष स्टेशन तक ले जाने वाला पहला प्राइवेट अंतरिक्ष यान भी है.
यहां आपको एक बात बता दें. याद रखिए कि यह एक स्पेसक्राफ्ट है. इसे किसी रॉकेट की मदद से अंतरिक्ष में लॉन्च करते हैं. Axiom-4 मिशन के तहत ड्रैगन स्पेसक्राफ्ट को फाल्कन 9 रॉकेट की मदद से लॉन्च किया गया. इस स्पेसक्राफ्ट को वापस धरती पर आते समय रॉकेट की जरूरत नहीं पड़ती. इसमें लगे बूस्टर ही इस वापस धरती पर लाने के लिए काफी होते हैं.
ड्रैगन अंतरिक्ष यान में 16 ड्रेको थ्रस्टर्स लगे हैं. इनका उपयोग मिशन के दौरान अंतरिक्ष यान को अलग-अलग दिशाओं में घुमाने के लिए किया जाता है. हर ड्रेको थ्रस्टर अंतरिक्ष के निर्वात यानी वैक्यूम में 90 पाउंड फोर्स उत्पन्न करने में सक्षम है. यह धरती पर वापस आते समय अपने इन्ही थ्रस्टर्स का उपयोग करता है. आखिर में इसमें लगे 4 पैराशूट खुलते हैं और यह समंदर में स्प्लैशडाउन करता है.
NASA का एकमात्र सहारा- ड्रैगन
NASA अपने अंतरिक्ष यात्रियों को इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन तक लाने और ले जाने के लिए SpaceX के ड्रैगन स्पेसक्राफ्ट पर निर्भर है. यह निर्भरता इस फैक्ट से उत्पन्न होती है कि ड्रैगन ही वर्तमान में एकमात्र ऐसे ऑपरेशनल (काम कर रहा) स्पेसक्राफ्ट है जो अमेरिका के लिए इंसानों को स्पेस स्टेशन तक ले जाने में सक्षम है. NASA ने बोइंग के स्टारलाइनर जैसे अन्य विकल्प भी तलाशने की कोशिश की है लेकिन उनके विकास में बहुत देरी हुई है और जो मिशन उससे भेजे गए हैं, उन्हें असफलताओं (जैसे सुनीता विलियम्स के मामले में) का सामना करना पड़ा है. कुल मिलाकर ड्रैगन ही NASA के लिए एकमात्र विश्वसनीय विकल्प बन गया है.
क्या मस्क-ट्रंप की रार से NASA के नए मिशन को लगेगा झटका
एलन मस्क और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप पार्टनर से दुश्मन बनते दिख रहे हैं और एक दूसरे पर हमलावर हैं. इसने NASA और SpaceX के पार्टनरशिप पर संकट के बादल को गहरा कर दिया है. ट्रंप ने SpaceX के अरबों डॉलर मूल्य के फेडरल कॉन्ट्रैक्ट को रद्द करने की धमकी दी है. इससे नाराज मस्क ड्रैगन को समय से पहले रिटायर करने की धमकी दे रहे हैं. हालांकि कुछ घंटों बाद मस्क ने धमकी वापस ले ली, एक्स पर कहा कि वह "बहुत दूर" चले गए थे. लेकिन क्या आगे वो अपना मन नहीं बदलेंगे. NASA के लिए दिक्कत यह है कि वह मस्क के मूड पर निर्भर दिख रहा है. SpaceX और अमेरिकी सरकार के बीच कोई भी अनबन बड़े पैमाने पर विघटनकारी होगी. वजह है कि NASA ही नहीं पेंटागन (अमेरिकी रक्षा विभाग) भी इंसान, कार्गो से लेकर सेटेलाइट को अंतरिक्ष में भेजने के लिए ड्रैगन स्पेसक्राफ्ट, फाल्कन 9 और फाल्कन हेवी पर निर्भर है.