- शेख हसीना को मानवता के खिलाफ अपराध के तहत मौत की सजा बांग्लादेश के अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण ने सुनाई है
- अवामी लीग ने हसीना के खिलाफ सजा को राजनीति से प्रेरित बताया और देशव्यापी पूर्ण बंद का आह्वान किया
- बांग्लादेश के प्रमुख शहरों में सुरक्षा बलों ने सड़कों पर कड़ी निगरानी रखी, स्थिति शांत लेकिन तनावपूर्ण बनी रही
पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को मौत की सजा सुनाए जाने के खिलाफ अवामी लीग द्वारा किए गए ‘‘देशव्यापी पूर्ण बंद'' के आह्वान के बीच बांग्लादेश में मंगलवार को स्थिति शांत लेकिन तनावपूर्ण है. प्रमुख शहरों में सुरक्षा बलों ने सड़कों पर कड़ी निगरानी बनाए रखी. हसीना पर सोमवार को आए इस बड़े फैसले के बाद किसी तरह की हिंसा की सूचना नहीं मिली, जबकि ढाका और अन्य प्रमुख शहरों में यातायात बेहद कम रहा और संभावित अशांति की आशंका के बीच लोगों की आवाजाही सीमित रही.
ढाका के एक परिवहन ऑपरेटर ने कहा, “परिवहन व्यवस्था धीमी है, लोग घरों में रहना पसंद कर रहे हैं.” कई कार्यालयों और शैक्षणिक संस्थानों में भी उपस्थिति कम रही.
अवामी लीग ने सोमवार को सोशल मीडिया पर जारी एक बयान में मंगलवार को ‘‘देशव्यापी पूर्ण बंद'' का आह्वान किया था. पार्टी ने 19 से 21 नवम्बर तक “देशव्यापी प्रदर्शन, विरोध और प्रतिरोध” का भी ऐलान किया है. बयान में कहा गया, “हमारा व्यवस्थित लोकतांत्रिक आंदोलन हत्यारे–फासीवादी (मुहम्मद) यूनुस की अवैध, असंवैधानिक सरकार के पतन और लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था की बहाली तक जारी रहेगा.”
पार्टी ने हसीना के खिलाफ फैसले को “राजनीति से प्रेरित”, “दुर्भावनापूर्ण, प्रतिशोधात्मक और विद्वेषपूर्ण” बताया.
हसीना को सजा-ए-मौत क्यों दी गई है?
बांग्लादेश के अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण (आईसीटी) ने 78 वर्षीय हसीना को सोमवार को पिछले वर्ष छात्रों के नेतृत्व वाले प्रदर्शनों पर उनकी सरकार की क्रूर कार्रवाई के संबंध में “मानवता के खिलाफ अपराध” के लिए उनकी अनुपस्थिति में मौत की सजा सुनाई. पूर्व गृह मंत्री असदुज्जमां खान कमाल को भी समान आरोपों में मौत की सजा सुनाई गई.
हसीना पिछले साल बड़े पैमाने पर हुए प्रदर्शनों के बीच पांच अगस्त को बांग्लादेश छोड़कर भारत चली आई थीं और तब से यहीं रह रही हैं. फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए हसीना ने आरोपों को “पक्षपातपूर्ण और राजनीति से प्रेरित” बताया और कहा कि यह फैसला एक “धांधली वाले न्यायाधिकरण” ने सुनाया है, जिसे “बिना जनादेश वाली, अलोकतांत्रिक सरकार” चला रही है.













