शेख हसीना को सजा-ए-मौत! 30 दिन में सरेंडर नहीं किया तो क्या होगा? पूर्व PM के पास सिर्फ यह 2 विकल्प बचे

Sheikh Hasina sentenced to death: इंटरनेशनल क्राइम ट्रिब्यूनल (ICT) ने 'मानवता के खिलाफ अपराधों' के मामले में बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को दोषी ठहराया है. ट्रिब्यूनल ने उन्हें फांसी की सजा सुनाई है.

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Sheikh Hasina Death Penalty: शेख हसीना को फांसी की सजा
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  • बांग्लादेश के इंटरनेशनल क्राइम ट्रिब्यूनल ने शेख हसीना को मानवता के खिलाफ अपराधों के लिए मौत की सजा सुनाई है
  • शेख हसीना को भारत में निर्वासित रहते हुए अदालत ने भगोड़ा घोषित कर दिया है और उन्हें सरेंडर करने का दबाव है
  • शेख हसीना के पास बांग्लादेश की कोर्ट में 17 दिसंबर 2025 तक सरेंडर कर अपील करने का कानूनी विकल्प उपलब्ध है
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Sheikh Hasina sentenced to death: बांग्लादेश के इंटरनेशनल क्राइम ट्रिब्यूनल बांग्लादेश (ICT-BD) ने पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को मौत की सजा सुनाई है. इस फैसले को लेकर बांग्लादेश में स्थिति तनावपूर्ण है, जिसको देखते हुए बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने देशवासियों से संयम बरतने की अपील की है. ऐसे में सवाल उठ रहा है कि निर्वासित होकर भारत में रह रहीं शेख हसीना के पास अब क्या विकल्प बचे हैं. इस सवाल के जवाब के पहले हम आपको शेख हसीना पर क्या आरोप साबित हुए हैं, वो संक्षेप में बताते हैं.

कोर्ट का फैसला- शेख हसीना ने मानवता के खिलाफ अपराध किए

इंटरनेशनल क्राइम ट्रिब्यूनल बांग्लादेश ने 78 वर्षीय हसीना और उनके पूर्व गृह मंत्री असदुज्जमां खान कमाल को पिछले वर्ष के छात्र विद्रोह के दौरान ‘मानवता के विरुद्ध अपराध' के लिए उनकी अनुपस्थिति में मौत की सजा सुनाई. महीनों तक चले मुकदमे के बाद अपने फैसले में ICT-BD ने 78 वर्षीय अवामी लीग नेता को हिंसक दमन का “मास्टरमाइंड और प्रमुख सूत्रधार” बताया, जिसमें सैकड़ों प्रदर्शनकारियों की मौत हो गई थी. इसी प्रकार के आरोपों में पूर्व गृह मंत्री असदुज्जमां खान कमाल को भी मृत्युदंड की सजा सुनाई गई.

पिछले वर्ष पांच अगस्त को बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शनों के कारण बांग्लादेश से भागने के बाद से हसीना भारत में रह रही हैं. इससे पहले अदालत ने उन्हें भगोड़ा घोषित किया था.

शेख हसीना के पास विकल्प नंबर- 1

हसीना फैसले के खिलाफ तब तक अपील नहीं कर सकती जब तक कि वह फैसले के 30 दिनों के भीतर सरेंडर नहीं कर देती या गिरफ्तार नहीं हो जाती. यानी उनके पास इंटरनेशनल क्राइम ट्रिब्यूनल बांग्लादेश के इस फैसले को चुनौती देने के लिए 17 दिसंबर 2025 तक का ही वक्त है. यदि शेख हसीना इस तारीख तक बांग्लादेश की किसी कोर्ट में सरेंड नहीं करतीं या गिरफ्तारी नहीं देती हैं, तो अपील का कानूनी अधिकार अपने आप समाप्त हो जाएगा. हालांकि जिस तरह बांग्लादेश में माहौल है, आवामी लीग के नेताओं को चुन-चुनकर निशाना बनाया जा रहा है, शेख हसीना ने खुद इस फैसले को गलत बताया है, इसकी उम्मीन ना के बराबर ही है कि वो बांग्लादेश में जाकर सरेंडर करने का रिस्क लेंगी.

शेख हसीना के पास विकल्प नंबर- 2

फैसले पर प्रतिक्रिया में हसीना ने आरोपों को ‘पक्षपातपूर्ण और राजनीति से प्रेरित' बताते हुए इनकार किया और कहा कि यह फैसला एक ‘गैर अधिकृत न्यायाधिकरण' द्वारा दिया गया है, जिसकी स्थापना और अध्यक्षता एक ‘अनिर्वाचित सरकार' द्वारा की गई है, जिसके पास कोई लोकतांत्रिक जनादेश नहीं है. यह साफ बताता है कि वो विकल्प नंबर एक को तो नहीं चुन रही हैं. उनके पास विकल्प नंबर 2 यह है कि वह भारत में बनी रहें और भारत सरकार से उम्मीद करें कि वो उन्हें किसी हाल में बांग्लादेश को न सौंपे. 

हालांकि बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने शेख हसीना और पूर्व गृहमंत्री असदुज्जमां खान कमाल को तुरंत सौंपने का सोमवार को भारत से आग्रह किया.  बांग्लादेश के विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा, 'हम भारत सरकार से आग्रह करते हैं कि वह इन दोनों दोषियों को तत्काल बांग्लादेशी अधिकारियों को सौंप दे.' मंत्रालय ने कहा कि बांग्लादेश और भारत के बीच मौजूदा द्विपक्षीय प्रत्यर्पण समझौता दोनों दोषियों के स्थानांतरण को नयी दिल्ली की अनिवार्य जिम्मेदारी बनाता है.

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इसके बाद भारत के विदेश मंत्रालय की तरफ से जारी बयान में कहा गया है कि भारत ने पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के संबंध में बांग्लादेश के इंटरनेशनल क्राइम्स ट्रिब्यूनल द्वारा सुनाए गए फैसले पर ध्यान दिया है. एक निकट पड़ोसी होने के नाते, भारत बांग्लादेश के लोगों के सर्वोत्तम हितों, जिसमें उनके देश में शांति, लोकतंत्र, समावेशिता और स्थिरता शामिल है, के लिए प्रतिबद्ध है. हम इस दिशा में सभी स्टेकहोल्डर्स के साथ हमेशा रचनात्मक रूप से जुड़े रहेंगे.

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