- बांग्लादेश के आयोग ने 2009 की सामूहिक हत्याएं मामले में पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को दोषी ठहराया है
- बांग्लादेश राइफल्स के विद्रोह में 74 लोगों की हत्या हुई थी और तत्कालीन सरकार को आलोचना का सामना करना पड़ा था
- आयोग की रिपोर्ट में दावा किया गया कि शेख हसीना की अगुवाई वाली अवामी लीग सरकार ने हत्याओं के लिए आदेश दिया था
बांग्लादेश की अंतरिम सरकार हाथ धोकर पूर्व पीएम शेख हसीना के पीछे पड़ चुकी है. मौत की सजा और 21 साल जेल की सजा के बाद एक और फाइल खुली है और शेख हसीना की परेशानी बढ़ती दिख रही है. बांग्लादेश में आज से 16 साल पहले हिंसक विद्रोह हुआ था, जिसमें दर्जनों वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों की हत्या हुई थी. इन सामूहिक हत्याओं की जांच के लिए गठित आयोग ने रविवार, 30 नवंबर को कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना ने ही इन हत्याओं का आदेश दिया था.
बांग्लादेश राइफल्स (बीडीआर) के उग्र सैनिकों ने ढाका में शुरू हुए और 2009 में पूरे देश में फैले दो दिनों के विद्रोह के दौरान सैन्य अधिकारियों सहित 74 लोगों की हत्या कर दी थी. इन हत्याओं से तत्कालीन प्रधान मंत्री हसीना की सरकार की खूब आलोचना हुई थी क्योंकि उन्हें पद संभाले कुछ हफ्ते ही हुए थे.
रिपोर्ट में क्या दावा किया गया है?
रविवार को सौंपी गई आयोग की रिपोर्ट के अनुसार, हसीना के नेतृत्व वाली तत्कालीन अवामी लीग सरकार विद्रोह में सीधे तौर पर शामिल थी. आयोग प्रमुख एएलएम फजलुर रहमान ने कहा है कि संसद के पूर्व सदस्य फजले नूर तपोश ने "मेन कॉर्डिनेटर" के रूप में काम किया और हसीना के इशारे पर हत्याओं को अंजाम देने के लिए "हरी झंडी" दी.
बयान में दावा किया गया है कि जांच में किसी विदेशी ताकत की मिलीभगत थी. बाद में रविवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में रहमान ने नरसंहार के बाद भारत पर देश को अस्थिर करने और "बांग्लादेश सेना को कमजोर करने" की कोशिश करने का आरोप लगाया. रहमान ने कहा, "बांग्लादेश की सेना को कमजोर करने के लिए लंबे समय से साजिश रची जा रही थी."
आरोप पर भारत की ओर से तत्काल कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है. बांग्लादेश के अंतरिम प्रमुख यूनुस ने आयोग की रिपोर्ट का स्वागत करते हुए कहा कि देश 2009 की हत्याओं के पीछे के कारणों के बारे में लंबे समय तक अंधेरे में रहा. उन्होंने कहा, "आयोग की रिपोर्ट के माध्यम से आखिरकार सच्चाई सामने आ गई है."













