विवादित लेखक सलमान रुश्दी पर अमेरिका के एक मंच पर सार्वजनिक हमला किए जाने के एक महीने बाद NDTV ने उस कार्यक्रम के संचालक से बात की जिसके दौरान सलमान रुश्दी को जान से मारने की नीयत से हमला हुआ था. कार्यक्रम संचालक रहे हेनरी रीज ने इस बात की जानकारी दी कि हमला कैसे हुआ और उस दिन सलमान रुश्दी से किस बारे में बात की जानी थी. उन्होंने कहा, "सभी उनके भाषण की शुरुआत पर ध्यान दे रहे थे. हैनरी रीस ने बताया कि हमलावर चुपचाप स्टेज पर आया और अचानक सलमान रुश्दी पर हमला कर दिया."
न्यूयॉर्क से मॉडरेटर हेनरी रीज ने एनडीटीवी से कहा कि सबसे कठिन यह देखना था कि एक लेखक पर मंच पर हमला किया जा रहा था. एक समाज एक तौर पर एक समूह के तौर पर यह देखना बहुत मुश्किल था. खास तौर से किसी ऐसे व्यक्ति पर हमला देखना कि जिसे आपने सम्मान देने के लिए , सुनने के लिए बुलाया हो बहुत ही कठिन था.
सलमान रुश्दी पर एक कार्यक्रम के दौरान हमला किए जाने के एक महीने बाद कार्यक्रम के मॉडरेटर हेनरी रीज का कहना है कि वह और रुश्दी उस बातचीत को पूरा करना चाहेंगे जो वे मंच पर हमलावर के आने से पहले कर रहे थे.
मैं उस बातचीत को पूरा करना चाहूंगा. हम विवादित लेखन के कारण देश से निकाले गए लेखकों को रहने की जगह, और अन्य सुविधाएं देने वाले गैरसरकारी संगठन सिटीज़ ऑफ असायलम ( City of Asylum) मूवमेंट के बारे में बात करने जा रहे थे. और टेक लेखकों की ज़रूरतों के बारे में बात करने जा रहे थे. समाज को ताजा रखने में सांस्कृतिक प्रवास के योगदान पर बात करना चाहते थे.
सलमान रुश्दी पर हुए हमले की दुनिया भर में निंदा हुई थी. अमेरिकी राष्ट्रपति जो बिडेन ने हमले की निंदा करते हुए कहा कि लेखक आवश्यक और सार्वभौमिक आदर्शों - सत्य, साहस और लचीलापन के लिए खड़े हैं. राष्ट्रपति बिडेन ने कहा, "मैं पहले प्रतिक्रिया देने वालों और बहादुर व्यक्तियों का आभारी हूं, जो रुश्दी को सहायता प्रदान करने और हमलावर को वश में करने के लिए कूद पड़े."
75 वर्षीय लेखक रुश्दी 1981 में अपने दूसरे उपन्यास "मिडनाइट्स चिल्ड्रन" की वजह से सुर्खियों में आए, जिसने अंतर्राष्ट्रीय प्रशंसा और ब्रिटेन का प्रतिष्ठित बुकर पुरस्कार जीता. उनकी 1988 में छपी एक किताब "द सैटेनिक वर्सेज" को कुछ मुसलमानों ने इस्लाम और पैगंबर मोहम्मद के प्रति अपमानजनक माना था. उपन्यास से नाराज ईरान के पहले सर्वोच्च नेता अयातुल्ला रूहोल्लाह खुमैनी ने एक फतवा जारी किया था. फटवा में उनका सिर कलम करने का आदेश दिया गया था, जिसने उन्हें कई सालों तक छुपने के लिए मजबूर किया.
रुश्दी 2000 के दशक की शुरुआत में न्यूयॉर्क चले गए और 2016 में अमेरिकी नागरिक बन गए. जर्मनी की स्टर्न पत्रिका के साथ हाल ही में एक साक्षात्कार में रुश्दी ने बताया कि कैसे, इतने वर्षों तक मौत की धमकियों के साथ जीने के बाद, उनका जीवन फिर से सामान्य हो रहा था.
सितंबर 2021 में ब्रिटिश-अमेरिकी लेखक सलमान रुश्दी (Salman Rushdie) ने अपनी अगली पुस्तक के लिए भारत लौटने की योजना सार्वजनिक की थी. बुकर पुरस्कार (Booker Prize) से सम्मानित रुश्दी 'टाइम्स लिटफेस्ट' के एक सत्र में कहा था कि उनका अगला उपन्यास भारत आधारित होने की उम्मीद है जिसके लिए उन्हें भारत वापस आना होगा. उन्होंने कहा, ‘‘पिछले दस वर्षों में मैंने ज्यादातर उपन्यास पश्चिमी देशों पर आधारित लिखे हैं, ये उपन्यास ज्यादातर अमेरिका आधारित हैं, थोड़े ब्रिटेन पर आधारित हैं, मुझे लगता है कि यह भारत वापस आने का समय हो सकता है. मुझे लगता है कि अगली पुस्तक एक भारतीय उपन्यास होगी.''