जयशंकर आज मॉस्को में करेंगे रूसी विदेश मंत्री से मुलाकात, जानें किन मुद्दों पर हो सकती है बात

मॉस्को में आज देश मंत्री एस. जयशंकर और रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव के बीच अहम द्विपक्षीय वार्ता होने जा रही है. यह मुलाकात दोनों देशों के बीच रणनीतिक साझेदारी को और मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम मानी जा रही है.

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  • भारत और रूस के बीच साझेदारी को मजबूत करने के लिए विदेश मंत्री जयशंकर की यात्रा अहम
  • जयशंकर ने रूस के विद्वानों से बातचीत की, द्वितीय विश्व युद्ध के शहीदों को श्रद्धांजलि दी
  • आज मॉस्को में भारतीय विदेश मंत्री की रूसी विदेशी मंत्री से मुलाकात होने जा रही है
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भारत और रूस के बीच की दोस्ती किसी से छिपी नहीं है, मुश्किल से मुश्किल वक्त में भारत के साथ रूस हमेशा खड़ा रहा है. जब रूस से तेल खरीद पर भारत पर अमेरिका राष्ट्रपति ट्रंप ने 50 फीसदी टैरिफ थोप दिया है. तब से रूस, चीन, भारत के बीच नजदीकियां बढ़ने लगी है. इस बीच भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर रूस के अहम दौरे पर हैं. मॉस्को में भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर की 3 दिवसीय आधिकारिक यात्रा भारत-रूस संबंधों को नई ऊर्जा देने की दिशा में एक अहम मानी जा रही है. इस यात्रा के दौरान विदेश मंत्री ने रूस के प्रमुख विद्वानों और थिंक टैंक प्रतिनिधियों से बातचीत की, द्वितीय विश्व युद्ध के शहीदों को श्रद्धांजलि दी, और भारत-रूस अंतर-सरकारी आयोग की बैठक की सह-अध्यक्षता की.

रूसी विदेश मंत्री से आज जयशंकर की मुलाकात

मॉस्को में आज देश मंत्री एस. जयशंकर और रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव के बीच अहम द्विपक्षीय वार्ता होने जा रही है. यह मुलाकात दोनों देशों के बीच रणनीतिक साझेदारी को और मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम मानी जा रही है. जयशंकर 19 अगस्त को तीन दिवसीय आधिकारिक यात्रा पर रूस पहुंचे हैं. बुधवार को उन्होंने भारत-रूस अंतर-सरकारी आयोग (IRIGC-TEC) के 26वें सत्र की सह-अध्यक्षता की, जिसमें व्यापार, आर्थिक, वैज्ञानिक, तकनीकी और सांस्कृतिक सहयोग को बढ़ाने पर चर्चा हुई. उन्होंने रूस के प्रथम उप प्रधानमंत्री डेनिस मांटुरोव के साथ भारत-रूस बिजनेस फोरम को भी संबोधित किया. इस मंच पर दोनों देशों ने व्यापार और निवेश के नए अवसरों को तलाशने की बात कही.

सुदर्शन चक्र प्रोजेक्ट में शामिल होने की उम्मीद

ऑपरेशन सिंदूर में दुनिया ने भारत की सेना का शोर्य देखा. पाकिस्तान के साथ हुए संघर्ष ने बता दिया कि एयर डिफेंस सिस्टम की क्या अहमियत है. पीएम मोदी ने भी लाल किले के प्राचीर से सुदर्शन चक्र प्रोजेक्ट का ऐलान किया जो भारत का सुरक्षा कवच बनकर सुरक्षा देगा, जैसा कि इजरायल का आयरन डोम. नई दिल्ली में रूसी चार्ज डी' अफेयर रोमन बाबुश्किन ने बुधवार को कहा कि रूस भारत के नए एयर डिफेंस सिस्टम सुदर्शन चक्र का हिस्सा बनने की उम्मीद करता है. बाबुश्किन ने कहा कि हम इस समझ से आगे बढ़ते हैं कि जब इन प्रणालियों को विकसित किया जाएगा, तो रूसी उपकरण इसका हिस्सा होंगे.

क्या S400 और S500 पर होगी भारत और रूस में बातचीत

विदेश मंत्री एस. जयशंकर की रूस यात्रा के दौरान भी रक्षा सहयोग एक अहम मुद्दा रहेगा. हालांकि अभी तक की रिपोर्टों में विस्तृत जानकारी उपलब्ध नहीं है, लेकिन फिर भी भारत के लिए रूस से डिफेंस डील समझौते सबसे अहम है. जयशंकर की यह यात्रा एनएसए अजीत डोभाल की हालिया रूस यात्रा के बाद हो रही है, जहां उन्होंने राष्ट्रपति पुतिन से मुलाकात की थी और ऊर्जा व रक्षा सहयोग पर चर्चा की थी. भारत और रूस के बीच S-400 एयर डिफेंस सिस्टम के बीच फिर से डील पर बात हो सकती है. वहीं रूस ने एस500 एयर डिफेंस सिस्टम  भारत को ऑफर किया है. हालांकि अब भारत खुद का डिफेंस सिस्टम विकसित करने की योजना पर लगा है.

 किन मुद्दों पर बातचीत संभव

  •  रक्षा उत्पादन में साझेदारी, जैसे कि भारत में रूसी तकनीक से हथियारों का निर्माण
  • सैन्य उपकरणों की आपूर्ति और उनकी समयसीमा
  • रक्षा तकनीक का आदान-प्रदान और संयुक्त अनुसंधान
  • रणनीतिक स्थिरता और एशिया-प्रशांत क्षेत्र की सुरक्षा पर सहयोग
  • राष्ट्रीय मुद्राओं के उपयोग को बढ़ावा देने की दिशा में भी चर्चा 
  • ऊर्जा, वित्त, रक्षा उत्पादन, विज्ञान और संस्कृति में सहयोग को मजबूत करने पर फोकस
  • एशिया-प्रशांत क्षेत्र की सुरक्षा, यूक्रेन संघर्ष, अफगानिस्तान की स्थिति पर चर्चा
  • फिलिस्तीन-इज़राइल टकराव जैसे वैश्विक मुद्दों पर भी विचार-विमर्श होगा

     

भारत की ऊर्जा जरूरतों के लिए रूस सबसे अहम

ट्रंप ने भले ही भारत पर 50 फीसदी टैरिफ थोप दिया हो लेकिन भारत और रूस के बीच ऊर्जा सहयोग पर कोई असर नहीं पड़ेगा और दोनों देश इस साझेदारी को आगे बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध हैं. 2019-20 में भारत के कुल तेल आयात में रूस की हिस्सेदारी मात्र 1.7% थी. 2024-25 में यह बढ़कर 35.1% हो गई है, जिससे रूस अब भारत का सबसे बड़ा तेल आपूर्तिकर्ता बन गया है. रूस भारत को हर साल लगभग 250 मिलियन टन तेल की आपूर्ति करता है और औसतन 5% की छूट भी देता है. इस बीच रूस ने कहा कि भले ही अमेरिका ने भारत पर टैरिफ थोप दिया हो लेकिन उनका बाजार हमेशा भारत के लिए खुला है.

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