विदेशमंत्री एस जयशंकर (S Jaishankar ) ने बृहस्पतिवार को दुशांबे में एससीओ (SCO) की बैठक से इतर अपने चीनी समकक्ष वांग यी से मुलाकात की. ये बातचीत एलएसी और वैश्विक हालात पर हुई . विदेशमंत्री ने कहा कि दोनों की 12 जुलाई की बैठक के बाद एलएसी पर स्थिति की कुछ बेहतरी हुई और गोगरा इलाके में डिसइंगेजमेंट पूरा हुआ, लेकिन अभी भी कुछ मसले बाकी है. विदेशमंत्री ने कहा कि दोनों पक्ष जल्द से जल्द द्विपक्षीय समझौतों का पूरी तरह पालन करते हुए एलएसी मुद्दा सुलझाएं ताकि रिश्तों पर निगेटिव असर न हो. इस इलाके में शांति और के लिए ये जरूरी है. दोनों ने तय किया कि इस पर जल्द ही राजनयिक और मिलिटरी अफसर मिलें और बाकी के मुद्दे सुलझाएं.
विदेश मंत्री जयशंकर ने ये भी कहा कि भारत ने कभी सभ्यताओं के टकराव की थ्योरी को नहीं माना है. दोनों देशों को एक-दूसरे की इज्जत के आधार पर रिश्ते को आगे ले जाना है. यह भी आवश्यक है कि भारत के साथ अपने संबंधों को चीन किसी तीसरे देश की निगाह से नहीं देखे. जहां तक एशियाई एकजुटता की बात है तो चीन और भारत को उदाहरण स्थापित करना होगा.
बता दें कि पूर्वी लद्दाख (India-China News) में चीन के साथ गतिरोध पर भारत ने बृहस्पतिवार को कहा था कि पश्चिमी सेक्टर में संघर्ष के शेष क्षेत्रों से सैनिकों के पूरी तरह से पीछे हटने की प्रक्रिया पूरी करने से ही सीमावर्ती इलाकों में पूर्ण रूप से शांति बहाली एवं द्विपक्षीय संबंधों में प्रगति सुनिश्चित की जा सकती है. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने संवाददाताओं से यह बात कही.
जुलाई में वरिष्ठ सैन्य स्तर की 12वीं दौर की बैठक के बाद भारतीय सेना द्वारा जारी संयुक्त बयान में कहा गया था कि पीछे हटने को लेकर दोनों पक्षों ने खुलकर एवं गहराई से चर्चा की और बैठक में आपस समझ बढ़ी. सीमा पर जारी गतिरोध को लेकर पूछे गए सवालों के जवाब में बागची ने कहा कि हम अपने इस रुख को दोहराते हैं कि संघर्ष के शेष क्षेत्रों से सैनिकों के पूरी तरह से पीछे हटने की प्रक्रिया पूरी करने से ही सीमावर्ती इलाकों में पूर्ण रूप से शांति बहाली एवं द्विपक्षीय संबंधों में प्रगति सुनिश्चित की जा सकती है. यह पूछे जाने पर कि ताजिकिस्तान में शंघाई सहयोग संगठन की बैठक से इतर क्या विदेश मंत्री जयशंकर अपने चीनी समकक्ष वांग यी के साथ द्विपक्षीय बैठक करेंगे, प्रवक्ता ने कहा कि वे किसी बैठक की संभावना को खारिज नहीं करते हैं. उन्होंने कहा कि इंतजार करें कि कैसी बैठकें होती हैं. उल्लेखनीय है कि भारत और चीन के बीच पिछले वर्ष मई की शुरुआत से पूर्वी लद्दाख में सीमा पर सैन्य गतिरोध है. हालांकि, दोनों पक्षों ने कई दौर की सैन्य एवं राजनयिक वार्ता के बाद फरवरी में पैंगोंग झील के उत्तरी और दक्षिणी किनारों से सैनिकों को हटाने की प्रक्रिया पूरी की थी. समझा जाता है कि कुछ क्षेत्रों में सैनिकों के पीछे हटने को लेकर अभी गतिरोध बरकरार है.