चीन (China) अगर रूस (Russia) के राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन (Vladimir Putin) को यूक्रेन में युद्ध (Ukraine War) के लिए "सामान की सहायता" करेगा तो उसे प्रतिबंधों का सामना करना पड़ सकता है. एक वरिष्ठ अमेरिकी राजनायिक (U.S. diplomat) ने एक बार फिर यह चेतावनी दी. साथ ही उन्होंने रूसी हथियारों पर निर्भरता ख़त्म करने के लिए भारत की मदद करने का भी वचन लिया. ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिकी विदेश मंत्रालय की डिप्टी सेक्रेट्री ऑफ स्टेट वेंडी शेरमन ( U.S. Deputy Secretary of State Wendy Sherman) ने ब्रुसल्स में गुरुवार को एक इवेंट में कहा कि चीन रूसी की गलत जानकारी फैलाने के अभियान को हवा देकर मौजूदा हालात में मदद नहीं कर रहा है. उन्होंने कहा कि हमें उम्मीद है कि चीन रूस के युद्ध से "सही सबक" लेगा जिसमें ये साफ है कि अमेरिका को अपने सहयोगियों से अलग नहीं किया जा सकता.
उन्होंने देखा है कि हमने प्रतिबंधों के नज़रिए, निर्यात नियंत्रण, और रूस के संदर्भ में क्या किया है, तो इससे चीन को यह याद रखना चाहिए कि अगर चीन सच में रूस की मदद करेगा तो उसके साथ क्या हो सकता है." शेरमन ने फ्रेंड्स ऑफ यूरोप ग्रुप की तरफ से आयोजित किए गए एक कार्यक्रम में यह बात कही, जिसे यूरोपियन यूनियन ने भी फंड किया था.
शेरमन ने यह भी कहा कि रूस के हथियारों पर वैश्विक प्रतिबंधों के देखते हुए अमेरिका भारत के साथ काम करना चाहेगा ताकि भारत पारंपरिक तौर से रूसी हथियारों पर अपनी निर्भरता कम कर सके.
उन्होंने कहा, "वो समझते हैं कि उनकी सेना जो रूसी हथियारों के साथ बनी थी, उसका शायद रूसी हथियारों के साथ कोई भविष्य नहीं है क्योंकि हमारे प्रतिबंधों ने रूस का सैन्य-औद्योगिक गठजोड़ पर लगाम लगाई है और यह जल्द ही वापस नहीं आने वाला."
चीन ने इस हफ्ते कहा था कि वो रूस के साथ अपने रणनैतिक संबंध मजबूत करना जारी रखेगा. चीन ने पुतिन की सेना की तरफ से यूक्रेन युद्ध में बढ़ती युद्ध अपराधों की चिंता के बीच चीन की तरफ से यह बयान आया. ये ऐसे समय हुआ है जब चीनी कंपनियां अमेरिकी प्रतिबंधों का पालन कर रही हैं और जबकि सरकार संप्रभुता के नाम पर उनका विरोध करती है.
भारत का यूक्रेन युद्ध को लेकर मोटे तौर पर चीन जैसा नजरिया ही है, जिसमें सीज फायर की मांग करना और कूटनीतिक हल निकालने को कहना और संयुक्त राष्ट्र में रूस की निंदा करने वाले वोट से बचना शामिल है.