अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जेक सुलिवेन (Jake Sullivan) ) ने रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन (Vladimir Putin) के सहयोगियों के साथ बातचीत की है ताकि यूक्रेन में युद्ध (Ukraine War) को बढ़ने और परमाणु हथियार (Nuclear War) की ओर बढ़ने के जोखिम को कम किया जा सके. अमेरिका (US) के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जेक सुलिवन ने पुष्टि की है कि यूक्रेन में युद्ध के बावजूद अमेरिका और रूस (Russia) के बीच बातचीत के दरवाजे खुले रहेंगे. बीबीसी की रिपोर्ट के अनुसार न्यूयॉर्क में बोलते हुए श्री सुलिवन ने कहा कि क्रेमलिन के साथ संपर्क बनाए रखना अमेरिका के “हित में” है, लेकिन उन्होंने जोर देकर कहा कि अधिकारिक तौर पर “इस बारे में स्पष्ट हैं कि हम किसके साथ काम कर रहे हैं.”
स्ट्रीट जर्नल की एक रिपोर्ट पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया कि अमेरिकी अधिकारी ने रूस-यूक्रेन युद्ध को लेकर और इसे आगे बढ़ाने से रोकने के लिए शीर्ष रूसी अधिकारियों के साथ गोपनीय तरीके से बातचीत की है. श्री सुलिवन ने पिछले कई महीनों में अपने रूसी समकक्ष, सुरक्षा परिषद के सचिव निकोलाई पेत्रुशेव और क्रेमलिन की विदेश नीति के वरिष्ठ सहयोगी यूरी उशाकोव के साथ इस विषय पर गोपनीय बातचीत की है.
वरिष्ठ अधिकारियों ने अखबार को बताया कि इन लोगों ने यूक्रेन में युद्ध में परमाणु वृद्धि के जोखिम से बचाव के तरीकों पर चर्चा की थी, लेकिन संघर्ष को समाप्त करने के तरीकों के बारे में कोई बातचीत नहीं की है.
श्री सुलिवन ने पिछले महीने कहा था कि परमाणु हथियारों के किसी भी उपयोग के “रूस के लिए विनाशकारी परिणाम” होंगे. उन्होंने अमरिकी प्रसारक एनबीसी को बताया कि वरिष्ठ अधिकारियों ने रूसी अधिकारियों के साथ निजी चर्चा में संभावित अमेरिकी प्रतिक्रिया के दायरे का “वर्णन” किया था.
क्रेमलिन के प्रवक्ता दमित्री पेसकोव ने मीडिया से कहा, 'हम इस रिपोर्ट के बारे में कुछ नहीं बोलेंगे.' उन्होंने कहा, ' मैं एक बार फिर से दोहराता हूं कि कुछ रिपोर्ट्स में सच्चाई है, लेकिन अधिकतर खबरें सिर्फ अटकलें हैं. उन्होंने पत्रकारों को व्हाइट हाउस या पब्लिकेशन से संपर्क करने का निर्देश दिया. उन्होंने कहा कि रूस हमेशा से बातचीत के लिए तैयार है, लेकिन कीव द्वारा रूस के साथ वार्ता करने से इनकार करने के कारण हम बातचीत करने में असमर्थ हैं.
व्हाइट हाउस के प्रेस सचिव कैरिन जीन-पियरे ने सोमवार को कहा कि अमेरिका ने रूस के साथ बातचीत करने के अधिकार को सुरक्षित रखा है.