ट्रंप को सऊदी क्‍यों पसंद है...? पुतिन से यूक्रेन युद्ध खत्‍म करने को लेकर हो सकती है बात

सऊदी अरब पहले भी अलग-अलग तरह से रूस और यूक्रेन युद्ध में मध्यस्थ की भूमिका निभा चुका है और इस वजह से सऊदी अरब ने दोनों का ही विश्वास हासिल किया है.

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(फाइल फोटो)

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कुछ दिन पहले कहा था कि वह रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से यूक्रेन में युद्ध खत्म करने के लिए वार्ता करेंगे. बीबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक इस अहम बातचीत के लिए डोनाल्ड ट्रंप ने सऊदी अरब को चुना है और इस वजह से लोगों के मन में सवाल है कि आखिर उन्होंने इसी जगह का चुनाव क्यों किया है? ट्रंप ने यह तो नहीं बताया कि वह पुतिन के साथ कब बैठक करेंगे लेकिन दोनों के बीच जल्द ही बैठक होने की संभावना है. 

उन्होंने यह भी बताया कि सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान भी इस बातचीत में शामिल हो सकते हैं. साथ ही सऊदी अरब ने भी इस संभावित पहल का स्वागत किया है. बता दें कि ट्रंप ने रूस और यूक्रेन के बीच छिड़ी जंग को रोकने को लेकर 12 फरवरी को पुतिन और यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की से अलग-अलग फोन पर बात की थी. इसके कुछ देर बाद ही उन्होंने पुतिन से संभावित मुलाकात का जिक्र किया था. 

पुतिन से हुई बातचीत में ट्रंप ने सऊदी अरब में चर्चा की संभावना का किया था जिक्र

इसके साथ ही ट्रंप ने यह भी कहा था कि अमेरिका और रूस की प्रतिनिधी टीमें इसके लिए तुरंत चर्चा शुरू करेंगी. इसके बाद शुक्रवार को सऊदी अरब ने भी एक बयान जारी किया था, 'ट्रंप और पुतिन के बीच फोन पर हुई बातचीत और सऊदी में चर्चा की संभावना की हम सराहना करते हैं.' बयान में कहा गया कि रूस और यूक्रेन के बीच शांति की कोशिशों में सऊदी अरब अपना सहयोग देना जारी रखेगा.'

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बता दें कि ट्रंप और पुतिन की संभावित बातचीत के लिए चीन और संयुक्त अरब अमीरात ने भी मेजबानी की पेशकश की थी. हालांकि, बीबीसी की रिपोर्ट की मानें तो वॉशिंगटन में मिडिल ईस्ट इंस्टीट्यूट के उपाध्यक्ष पॉल सलीम का कहना है, 'ट्रंप और पुतिन की मुलाकात के लिए सऊदी अरब बेहतर विकल्प है, क्योंकि यह तटस्थ स्थान है.' सलीम के मुताबिक, यूरोपियन देश में बैठक करना काम नहीं आएगा क्योंकि यूरोप ने यूक्रेन की जंग में मजबूत पक्ष रखा हुआ है. 

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सऊदी अरब ने पहले भी निभाई है मध्यस्थ की भूमिका

सऊदी अरब पहले भी अलग-अलग तरह से रूस और यूक्रेन युद्ध में मध्यस्थ की भूमिका निभा चुका है और इस वजह से सऊदी अरब ने दोनों का ही विश्वास हासिल किया है. इतना ही नहीं सऊदी अरब ने रूस की जेल में बंद अमेरिकी नागरिकों को रिहा करने में भी मध्यस्थ की भूमिका निभाई है. हाल ही में एक व्यक्ति की रिहाई में सऊदी अरब ने अहम भूमिका निभाई. शख्स की रिहाई में सऊदी के क्राउन प्रिंस ने अहम भूमिका निभाई थी. 

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दरअसल, रूस ने एक अमेरिकी टीचर मार्क फोगल को तीन साल तक डिटेन कर रखा था और उसे हाल ही में रिहा किया है. इतना ही नहीं सऊदी ने पहले भी कई बार पुतिन और जेलेंस्की को शांति समझौते की संभावना के मद्देनजर न्योता दिया है. 

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अमेरिका के अपने हित भी शामिल 

दरअसल 2017 में जब ट्रंप अमेरिका के राष्ट्रपति बने थे, तब भी उन्होंने सऊदी अरब की ही पहली विदेश यात्रा की थी और इससे वैश्विक स्तर पर सऊदी अरब के राजनयिक कद में इजाफा हुआ था. इसके बाद अब ट्रंप अपने दूसरे कार्यकाल में भी यही इशारा कर रहे हैं कि उनकी पहली विदेश यात्रा सऊदी अरब की हो सकती है. 

पिछले महीने पत्रकारों के साथ एक बातचीत में ट्रंप ने कहा था कि अगर सऊदी अरब 450 या फिर 500 अरब अमेरिकी डॉलर की कीमत के प्रोडक्ट हमसे खरीदना चाहते हैं तो वह जरूर सऊदी अरब जाएंगे. इसके कुछ दिन बाद सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस ने कहा था कि वो अमेरिका में अगले चार साल में करीब 500 अरब डॉलर का निवेश करना चाहते हैं. 

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