इराक (Iraq) और सऊदी अरब (Saudi Arab) सावधान हो जाएं, रूस भारतीय तेल बाजार (Indian Oil Market) में अपनी पैठ मजबूत करता जा रहा है. ब्लूमर्ग के अनुसार रूस शायद बड़े तेल एशियाई खरीददार का लगभग सबसे बड़ा तेल सप्लायर बन गया है. कई यूरोपीय खरीददारों की गैरमौजूदगी में इस महीने रूस लगभग 1 मिलियन से 1.2 मिलियन बैरल हर दिन दुनिया के तीसरे सबसे बड़े तेल आयातक देश को डिलीवर किया है. ब्लूमर्ग और दो अन्य तेल एनलेटिक फर्म के टैंकर ट्रैकिंग डेटा के अनुसार यह आंकड़े सामने आए हैं.
यह आंकड़े रूस को इराक के लगभग बराबर रखते हैं और सउदी अरब से काफी आगे रखते हैं. यह तेल खरीद में यह बद लाव बगदाद में अशांति से जोड़कर देखा ज सकता है. इराक को युद्ध के बाद एशियाई बाजार में प्रतिस्पर्धा के लिए के लिए लगातार अपने तेल के दाम में कटौती करनी पड़ रही है.
भारत में रिफायनरी सस्ते रूसी तेल से कुछ ऐसे भरती जा रही हैं जैसे यूक्रेन पर रूस के हमले से पहले कभी नहीं हुआ. इसकी खबर रूस के राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन तक भी पहुंची है.
एशिया की तरफ रूसी तेल इसलिए अधिक आ रहा है क्योंकि कुछ यूरोपी कंपनियों ने रूसी तेल खरीदना बंद कर दिया है. जिससे रूस पर वैकल्पिक बाजार ढूंढने का दबाव बढ़ गया है. भारत ने रूसी तेल की खरीद का बचाव किया है. भारत का कहना है कि सस्ता रूसी तेल खरीदना उसके राष्ट्रीय हित में है. एक प्रोवाइडर से दूसरे प्रोवाइडर के बीच वैसल ट्रैकिंग के आंकड़ों में अंतर आता है. यह कार्गो को लेकर अलग-अलग आंकलन और जानकारी के अनुसार होता है. लेकिन केपलर, वोरटेक्सा और ब्लूमबर्ग (Kpler, Vortexa and Bloomberg) इन तीनों ने इन बातों पर जोर दिया है कि रूस ने भारत में निर्णायक स्थिति ले ली है.
केपलर के आंकड़े के अनुसार, जून में अब तक भारत में हर दिन औसतन 1.3 मिलियन बैरल रूसी तेल आया है. यह देश में आए कुल कच्चे तेल का एक चौथाई है. भारत के लिए इराक से रोजाना तेल सप्लाई 1.01 मिलियन बैरल होती है, जबकि सऊदी अरब से हर दिन 662,000 बैरल आयात हो रहा है.
वोरटेक्सा के आंकड़े बताते हैं कि रूसी डिलिवरी भारत में 1.16 मिलियन बैरल प्रति दिन रही, यह इराक के 1.131 मिलियल बैरल से अधिक है. ब्लूमबर्ग की टैंकर ट्रैकिंग के अनुसार इस महीने रूस से भारत में 988, 000 बैरल प्रति दिन तेल आएगा. यह आंकड़े इराक के 1.003 मिलियन बैरल प्रतिदिन से थोड़ा ही कम हैं.
भारत की तरफ से रूसी तेल की खरीदे जाने के कारण रूस को कमोडिटी मार्केट से उस कैश की आपूर्ती हो रही है जिससे उसके युद्ध का वित्तपोषण हो रहा है.
रूस भारत और चीन के तेल बाजार के दम पर अपनी ताकत दिखा रहा है और रूस दुनिया के सबसे बड़े तेल उपयोक्ता क्षेत्र में सऊदी अरब और इराक के हिस्से को खा रहा.
आंकड़ों के अनुसार, अप्रेल में जबसे रूसी तेल का बहाव भारत की ओर बढ़ा सऊदी अरब और इराक को मिला कर भारत के लिए डिलिवरी में 500,000 बैरल प्रति दिन की कमी आई है.