2011 की सुनामी का वो खौफनाक मंजर! जापान से टकराई थीं 40 मीटर ऊंची लहरें

2011 Japan Tsunami Recap: रूस के तटीय इलाके में 8.8 तीव्रता का शक्तिशाली भूकंप आया और जापान से लेकर अमेरिका और मैक्सिको तक सुनामी ने डराना शुरू कर दिया है.

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  • रूस के कामचटका प्रायद्वीप में 8.8 तीव्रता का भूकंप आया है, जिससे चार मीटर ऊंची सुनामी लहरें उठीं.
  • 2011 में जापान के होंशू द्वीप पर 9.1 तीव्रता का भूकंप और सुनामी आई, जिसने भारी जनहानि और आर्थिक क्षति की थी.
  • जापान की आपदा में फुकुशिमा न्यूक्लियर प्लांट में कोर मेल्टडाउन हुआ था, जिससे व्यापक रेडिएशन लीक हुआ था.
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रूस के कामचटका प्रायद्वीप में बुधवार, 30 जुलाई के तड़के सुबह 8.8 तीव्रता का शक्तिशाली भूकंप आया, जिससे चार मीटर ऊंची सुनामी लहरें उठीं और पूरे प्रशांत क्षेत्र में लोगों को निकालने के लिए अलर्ट जारी कर दिया गया. यह हाल के सालों में विश्व स्तर पर सबसे शक्तिशाली भूकंपों में से एक है. इस भूकंप ने रूस में एक किंडरगार्टन सहित कई इमारतों को क्षतिग्रस्त कर दिया. इसने पूर्वी रूस के कई हिस्सों को हिलाकर रख दिया. कामचटका के गवर्नर व्लादिमीर सोलोडोव ने कहा, "आज का भूकंप गंभीर था और दशकों के झटकों में सबसे तेज था."

भूकंप का केंद्र 180,000 निवासियों वाले शहर पेट्रोपावलोव्स्क-कामचत्स्की से 119 किमी दूर स्थित था.

रूस के कुरील द्वीप समूह के सेवेरो-कुरिल्स्क में सुनामी लहरें आईं, जहां जल स्तर 4 मीटर तक बढ़ गया. जापान की मौसम विज्ञान एजेंसी ने नेमुरो, होक्काइडो में 30 सेमी लहर की सुनामी की सूचना दी. सुनामी की चेतावनी अमेरिकी तटीय राज्यों,  चिली, न्यूजीलैंड, सोलोमन द्वीप और इक्वाडोर तक बढ़ा दी गई, जहां 3 मीटर की लहरें संभव थीं. इतना ही नहीं चीन में भी सुनामी की चेतावनी जारी की गई है.

इस भूकंप और सुनामी से हुई क्षति का आकलन कुछ वक्त बाद ही हो पाएगा लेकिन इसने यकीनन आज से 14 साल पहले की आई घातक सुनामी की यादें ताजा कर दी हैं.

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2011 जापान भूकंप और सुनामी

11 मार्च, 2011 को, जापान के होंशू द्वीप के उत्तर-पूर्वी तट पर समुद्र के अंदर 9.1 तीव्रता का भूकंप आया. भूकंप जापान ट्रेंच के साथ उत्पन्न हुआ. यह एक सबडक्शन क्षेत्र है जहां प्रशांत प्लेट ओखोटस्क माइक्रोप्लेट के नीचे लगती है. भूकंप से यह दरार लगभग 300 किमी लंबी और 150 किमी चौड़ी हो गई, जिससे समुद्र तल 50 मीटर तक खिसक गया. यह जापान में अब तक दर्ज किया गया सबसे शक्तिशाली भूकंप था और 1900 के बाद से दुनिया भर में चौथा सबसे शक्तिशाली भूकंप था. इससे 30 मिनट के अंदर एक विशाल सुनामी आई. 

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इसने पूरे देश को हिलाकर रख दिया और झटके रूस, ताइवान और चीन तक पहुंचे. इसके बाद सैकड़ों झटके आए, जिनमें से कुछ की तीव्रता 7.0 से अधिक थी.

30 मिनट के भीतर, 40 मीटर तक ऊंची लहरें जापान के उत्तरपूर्वी तट से टकराईं. तटीय सुरक्षा चरमरा गई. सेंदाई और इवाते जैसी जगहों पर समुंद्र का पानी 10 किमी अंदर तक बढ़ गया. सुनामी ने शहरों, हवाई अड्डों, बंदरगाहों और कम्यूनिटी इंफ्रास्ट्रक्चर को नष्ट कर दिया. 123,000 से अधिक घर पूरी तरह से नष्ट हो गए, और दस लाख से अधिक क्षतिग्रस्त हो गए. इनमें से 98 प्रतिशत शारीरिक क्षति भूकंप के बजाय सुनामी के कारण हुई. सुनामी ने फुकुशिमा दाइची न्यूक्लियर पावर प्लांट में कूलिंग सिस्टम को भी बेकार कर दिया. अगले दिनों में तीन रिएक्टर अत्यधिक गर्म हो गए और कोर मेल्टडाउन का सामना करना पड़ा. विस्फोटों और विकिरण रिसाव (रेडिएशन लीक) के कारण 20 किलोमीटर का निकासी क्षेत्र प्रभावित हुआ, जिससे हजारों निवासी प्रभावित हुए. इस घटना को स्तर 7 परमाणु आपदा के रूप में वर्गीकृत किया गया था, जो उच्चतम लेबल था, चेरनोबिल संकट के बराबर का.

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2021 तक, इस आपदा से पुष्टि की गई मृत्यु संख्या 15,899 थी, जिसमें 2,526 अभी भी लापता थे और उन्हें मृत मान लिया गया था. 6,000 से अधिक लोग घायल हुए. सुनामी में फंसे अधिकांश बुजुर्ग निवासी मर गए. मियागी प्रान्त (प्रांत) में सबसे अधिक मानवीय क्षति हुई. 2011 की जापान आपदा रिकॉर्ड पर सबसे महंगी प्राकृतिक आपदा बनी हुई है, जिसमें 220 अरब डॉलर से अधिक की क्षति हुई है. इससे विश्व स्तर पर सुनामी चेतावनी प्रणालियों में बड़े अपग्रेड भी हुए.

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