कोरोना वायरस महामारी (Coronavirus pandemic) के तकरीबन दो साल बाद भी पश्चिम यूरोप (Western Europe) में संक्रमण के मामले बढ़ रहे हैं जबकि इस क्षेत्र में टीकाकरण (vaccination) की दरें अधिक हैं और स्वास्थ्य देखभाल प्रणालियां अच्छी हैं लेकिन अब लॉकडाउन बीते दिनों की बात हो गया है. विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organisation) ने बताया कि यूरोप में पिछले हफ्ते कोरोना वायरस से जान गंवाने वाले लोगों की संख्या 10 प्रतिशत तक बढ़ गयी है और एक एजेंसी ने पिछले सप्ताह आधिकारिक घोषणा की कि यह महाद्वीप ‘‘फिर से कोरोना वायरस महामारी महामारी का केंद्र बनने जा रहा है.''
पश्चिमी यूरोप के कुछ देशों जैसे कि जर्मनी और ब्रिटेन में दुनिया में संक्रमण के सबसे अधिक नए मामले आ रहे हैं जबकि वहां कोविड-19 रोधी टीके लगाने की दर अधिक हैं. पश्चिम यूरोप में सभी देशों में टीकाकरण की दर 60 प्रतिशत से अधिक है और पुर्तगाल तथा स्पेन जैसे देशों में टीकाकरण की दर और अधिक है.
एक्सेटर यूनिवर्सिटी कॉलेज ऑफ मेडिसिन एंड हेल्थ में वरिष्ठ क्लिनिकल व्याख्याता डॉ. भारत पनखानिया ने कहा कि लॉकडाउन के बाद से व्यापक पैमाने पर सामाजिक गतिविधियां शुरू होने के साथ टीके की खुराक न लेने वाले लोग और महीनों पहले टीके की खुराक ले चुके लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता में कमी आना संक्रमण के बढ़ते मामलों के लिए जिम्मेदार है. अब सवाल यह है कि क्या देश सख्त लॉकडाउन लगाए बिना इससे उबर सकते हैं. विशेषज्ञों का कहना है कि संभवत: उबर सकते हैं लेकिन प्राधिकारी सभी पाबंदियों को नजरअंदाज नहीं कर सकते और उन्हें टीकाकरण की दरें बढ़ानी होगी.
ऑस्ट्रिया के चांसलर एलेक्जेंडर शालेनबर्ग ने शुक्रवार को एलान किया कि दोनों क्षेत्रों में टीके की खुराक न लेने वाले लोग सोमवार से खास वजहों से ही घरों से बाहर निकल पाएंगे और वे देशभर में ऐसे ही कदमों को लागू करने पर विचार कर रहे हैं. जर्मनी के साथ ही ऑस्ट्रिया में भी संक्रमण के मामले बढ़ रहे हैं. बर्लिन के एक अस्पताल में विषाणु विज्ञान की प्रमुख क्रिश्चियन ड्रोस्टन ने कहा, ‘‘हम अभी आपात स्थिति में हैं.'' उन्होंने कहा कि जर्मनी को अपनी टीकाकरण दर 67 प्रतिशत से अधिक बढ़ानी होगी. नीदरलैंड में महामारी फैलने के बाद से संक्रमण के रोज आने वाले सर्वाधिक मामलों की घोषणा की गयी है. अस्पतालों ने आगाह किया है कि हालात बिगड़ सकते हैं लेकिन अधिकारी बहुत ज्यादा सख्ती बरतने से इनकार कर रहे हैं.
एक समय यूरोप में कोरोना वायरस से सबसे अधिक प्रभावित रहे स्पेन ने संभवत: यह उदाहरण दिया है कि कैसे खतरे से निपटा जा सकता है. उसने अपनी 80 प्रतिशत आबादी को टीके की खुराक दे दी है और बाहर मास्क लगाना भी अनिवार्य नहीं रहा है लेकिन फिर भी कई लोग मास्क लगा रहे हैं. हालांकि वहां संक्रमण के मामले थोड़े बढ़े हैं लेकिन देश के अग्रणी जन स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने कहा कि उच्च टीकाकरण दर को देखते हुए ‘‘संक्रमण फिर से बहुत ज्यादा नहीं फैलेगा.''
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