तो भारत आ सकते हैं अमेरिकी राष्‍ट्रपति ट्रंप, पीएम मोदी से होगी मुलाकात! अमेरिकी अधिकारी ने किया बड़ा इशारा

विदेश विभाग के अधिकारी ने कहा, ' मुझे पूरा विश्वास है कि आप दोनों (प्रधानमंत्री मोदी और राष्‍ट्रपति ट्रंप) की मुलाकात होते हुए देखेंगे.'

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  • अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और पीएम नरेंद्र मोदी के बीच सकारात्मक संबंध हैं और मुलाकात की संभावना है.
  • भारत इस वर्ष या अगले वर्ष क्वाड समिट की मेजबानी करेगा जिसमें अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और जापान के नेता होंगे.
  • रूस से तेल खरीदने को लेकर मतभेद हैं और अमेरिका इस मुद्दे पर भारत सहित अन्य देशों पर दबाव बना रहा है.
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वॉशिंगटन:

अमेरिकी राष्‍ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के बीच 'बहुत, बहुत सकारात्मक' संबंध हैं और दोनों नेताओं की मुलाकात होगी. अमेरिकी विदेश विभाग के एक अधिकारी ने यह बात कही. अधिकारी ने इस बात को भी खासतौर पर बताया कि अगली क्वाड समिट इस साल के अंत या अगले साल आयोजित कराने की तैयारियां जोरों पर हैं. भारत इस बार क्वाड समिट में अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और जापान के नेताओं की मेजबानी करेगा. पिछली क्वाड समिट साल 2024 में अमेरिका के विलमिंगटन, डेलावेयर में हुई थी. 

कब होगा क्‍वाड समिट का आयोजन 

विदेश विभाग के अधिकारी ने कहा, 'जहां तक अगली मीटिंग की बात है, मैं राष्‍ट्रपति की ओर से कोई भी घोषणा पहले से नहीं करना चाहता लेकिन मुझे पूरा विश्वास है कि आप दोनों (प्रधानमंत्री मोदी और राष्‍ट्रपति ट्रंप) की मुलाकात होते हुए देखेंगे.' अधिकारी ने आगे कहा, 'उनके बीच बहुत, बहुत सकारात्मक संबंध हैं. हम क्वाड समिट की योजना पर काम कर रहे हैं. यह किसी न किसी समय होगी, अगर इस साल नहीं तो अगले साल की शुरुआत में होगी. तारीख (तय करने) पर काम चल रहा है.' 

रिश्‍तों में लगातार प्रगति 

उन्होंने अमेरिका-भारत के बीच वर्तमान संपर्क को 'बेहद उपयोगी' करार दिया और कहा कि आने वाले महीनों में 'लगातार सकारात्मक प्रगति' की उम्मीद की जा सकती है. अधिकारी ने कहा, 'हमारे बीच कुछ मतभेद हैं. पिछले कुछ हफ्तों में यह स्पष्‍ट हो गया है कि हम इन मतभेदों को दूर करने को लेकर काम कर रहे हैं, खासकर व्यापार और रूस से तेल की खरीद को लेकर. हम इनके समाधान को लेकर काम कर रहे हैं.' उन्होंने इस तरफ ध्यान दिलाया कि राष्‍ट्रपति ट्रंप ने हाल में प्रधानमंत्री मोदी को उनके 75वें जन्मदिन की बधाई देने के लिए फोन किया था और उस बातचीत को 'बहुत सकारात्मक' बताया. 

जयशंकर और रूबियो की मुलाकात 

राजनयिक मोर्चे की चर्चा करते हुए अधिकारी ने कहा कि भारत में अमेरिका के राजदूत के रूप में नामित और दक्षिण और मध्य एशिया के विशेष दूत सर्जियो गोर, राष्‍ट्रपति ट्रंप के बेहद करीबी हैं. उन्होंने कहा कि उनकी नियुक्ति की जल्द ही पुष्टि की जाएगी और उसके बाद वह नयी दिल्ली में अमेरिकी राजदूत होंगे.  उन्होंने कहा कि इससे पता चलता है कि ट्रंप भारत अमेरिका संबंधों को कितना महत्व देते हैं. अधिकारी ने अमेरिका के विदेश मंत्री मार्को रुबियो की 80वीं संयुक्त राष्ट्र महासभा की बैठक से पहले भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर के साथ हुई बैठक को भी रेखांकित किया. 

एक घंटे तक चली मीटिंग 

सोमवार को हुई इस घंटे भर की बैठक को 'बेहद उपयोगी'  बताते हुए, अधिकारी ने कहा कि बातचीत में व्यापार, रक्षा और तकनीक जैसे कई मुद्दों पर चर्चा हुई.  हालांकि उन्होंने स्वीकार किया कि दोनों देशों के रिश्तों में 'थोड़ी खटास' रही है किंतु अधिकारी ने यह भी कहा कि राष्‍ट्रपति ट्रंप अपने विचारों को लेकर स्पष्ट हैं. अगर वह किसी देश से हताश होते हैं तो इसे छिपाते नहीं हैं', जो अमेरिका की स्थिति को पारदर्शी बनाता है. उन्होंने कहा, 'हम अपने दोस्तों के साथ स्पष्‍ट रहते हैं और हम भारत को एक अच्छा दोस्त, भागीदार और भविष्य का सहयोगी मानते हैं.' भारत के रूस से तेल की खरीद जारी रखने के मुद्दे पर अधिकारी ने स्वीकार किया कि यह मुद्दा इस सप्ताह रुबियो और जयशंकर की द्विपक्षीय बैठक में उठाया गया. 

अधिकारी ने कहा, 'यह मसला हर मीटिंग में उठाया जाता है और राष्‍ट्रपति पूरी तरह स्पष्‍ट हैं. वह यूक्रेन युद्ध को खत्‍म करना चाहते हैं. वह नहीं चाहते कि रूस की कोई आय हो. उन्होंने यह बात अपने यूरोपीय साझेदारों और भारत, दोनों से स्पष्ट रूप से कही है. हमने इस बात को हर अवसर पर उठाया है कि हम (रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर) पुतिन को मिलने वाले रेवेन्‍यू (इनकम) को खत्‍म करना चाहते हैं.'

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भारत पर ही क्‍यों है दबाव 

यह पूछे जाने पर कि अमेरिका, चीन पर ऐसा ही दबाव क्यों नहीं बना रहा, अधिकारी ने कहा कि ट्रंप प्रशासन बीजिंग के साथ अपने तरीके से निबट रहा है और वहां भी इसी प्रकार के संदेश (अमेरिका द्वारा लिये जाने वाले कड़े फैसले) सुने जा सकते हैं. अधिकारी ने कहा कि भारत पर ट्रंप प्रशासन द्वारा लगातार जो दबाव डाला जा रहा है वह यूरोपीय संघ सहित कुछ अन्य देशों पर डाले जा रहे इसी तरह के दबाव से अलग नहीं है और उन्हें भी इसी प्रकार के 'कठिन संदेश (कड़े निर्णय)' दिए जा रहे हैं. 

उन्होंने अमेरिकी संसद में पेश एक विधेयक का जिक्र किया, जिसमें रूस से तेल खरीदने वाले देशों पर 500 फीसदी शुल्क लगाने का प्रस्ताव है. उन्होंने कहा कि इस विधेयक के प्रस्तावों को देखते हुए वाशिंगटन ने वर्तमान में 25 प्रतिशत का जो शुल्क लगा रखा है, वह 'इतना बुरा प्रतीत नहीं होता.' अधिकारी ने कहा, 'हम इन देशों पर दबाव डालते रहेंगे ताकि वे रूसी ऊर्जा से होने वाली आय को बंद करें.' 

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अमेरिका ने रूसी तेल की खरीद को लेकर भारत पर 25 फीसदी अतिरिक्त शुल्क लगाया है, जिससे भारतीय निर्यात पर कुल अमेरिकी शुल्क बढ़कर 50 प्रतिशत तक पहुंच गया है. यह शुल्क अमेरिका द्वारा किसी भी देश पर लगाये गये शुल्क की तुलना में सबसे अधिक में से एक है. विदेश विभाग के अधिकारी ने कहा कि अमेरिका अभी तक भारत को हिंद-प्रशांत क्षेत्र में 'एक महत्वपूर्ण साझेदार' मानता है. 

चाबहार बंदरगाह पर दिया क्‍या जवाब 

उन्होंने इस बात की पुष्टि की कि अमेरिका ने ईरान स्वतंत्रता एवं प्रसार रोधी कानून (आईएफसीए) के तहत दी गई छूटों को समाप्त कर दिया है. इसके तहत अफगानिस्तान में पुनर्निर्माण कार्यों के अंतर्गत चाबहार बंदरगाह का भारत द्वारा किए जाने वाले उपयोग के लिए दी गयी छूट भी वापस ले ली गयी हैं. इसी बात को विस्तार देते हुए अधिकारी ने कहा, 'राष्ट्रपति (ईरान पर) अधिकतम दबाव की नीति वाले अभियान पर लौट रहे हैं और इसके साथ ही न केवल भारत बल्कि सभी देशों के लिए चाबहार बंदरगाह तक पहुंच की अनुमति रद्द कर दी गई है. आईआरजीसी (इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड कोर) को जो भी आय होगी, उस पर अब प्रतिबंध लगाए जाएंगे, जिनमें चाबहार बंदरगाह (से होने वाली आय) भी शामिल है.' 

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H-1B वीजा पर क्‍या कहा 

एक अन्य महत्वपूर्ण मुद्दा एच1बी वीजा आवेदकों के लिए हाल में घोषित 100,000 डॉलर के शुल्क का है जिसके बारे में अधिकारी ने कहा कि अमेरिका इस मुद्दे पर भारत के साथ सम्पर्क बनाए हुए है.उन्होंने स्पष्ट किया कि यह शुल्क केवल नए आवेदकों के लिए है, वर्तमान एच1बी वीजा धारकों के लिए नहीं है. अधिकारी ने कहा, 'हमने भारत को यह बात स्पष्ट कर दी है. हमें अब तक कोई खास आपत्ति नहीं मिली है. देखेंगे कि यह कैसे चलता है. इसका एक मकसद आवेदन प्रक्रिया में धोखाधड़ी को रोकना है. जो कंपनियां अत्यधिक योग्य पेशेवरों को लाना चाहती हैं, वे यह शुल्क देकर ऐसा करती रहेंगी.' 

वेंस की भारत यात्रा का जिक्र 

अधिकारी ने अमेरिकी उपराष्ट्रपति जे.डी. वेंस की इस वर्ष हुई भारत यात्रा का भी उल्लेख किया, जिसमें उन्होंने भारत-अमेरिका संबंधों को '21वीं सदी को परिभाषित करने वाले सबसे महत्वपूर्ण रिश्तों में से एक' बताया था. विदेश विभाग के अधिकारी ने कहा, 'यही इस (ट्रंप) प्रशासन का भी मानना है, और हम इन मुद्दों पर काम करना जारी रखेंगे.'

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उन्होंने इस बात की ओर भी ध्यान दिलाया कि विदेश मंत्री रुबियो के पद भार संभालने के बाद जनवरी में हुई क्वाड विदेश मंत्रियों की बैठक उनका पहला विदेश दौरा था. इसके बाद फरवरी में विदेश मंत्री जयशंकर और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के साथ उनकी व्हाइट हाउस में द्विपक्षीय बैठक हुई थी. अधिकारी ने दावा किया, 'अगर आप इस (रिश्तों में खटास आने के वर्तमान) संक्षित दौर से थोड़ा पीछे हटकर संबंधों को देखते हैं तो वास्तव में यह सकारात्मक दिशा में बढ़ रहे हैं और इनका लगातार विस्तार हो रहा है. 

(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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