पीएम मोदी-डोनाल्ड ट्रंप शिखर सम्मेलन : चीन से मुकाबला करने के लिए अदाणी ग्रुप का IMEC प्लान

PM Modi Donald Trump Summit: पीएम मोदी की अमेरिका यात्रा को बहुत महत्वपूर्ण माना जा रहा है. ये न सिर्फ भारत और अमेरिका के रिश्तों को और ऊंचाई पर ले जाएगा, बल्कि दुनिया पर भी इसका सकारात्मक असर पड़ेगा.

विज्ञापन
Read Time: 4 mins
PM Modi Donald Trump Summit: पीएम मोदी 12-13 फरवरी को अमेरिका को दौरे पर रहेंगे.

PM Modi Donald Trump Summit: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इस सप्ताह अमेरिका दौर का असर पूरी दुनिया पर पड़ने वाला है. राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और पीएम मोदी की बातचीत आपसी रक्षा सहयोग, व्यापार संबंधों और चीन के बढ़ते आर्थिक और सैन्य प्रभाव का मुकाबला करने पर केंद्रित होने की संभावना है. बातचीत के प्रमुख एजेंडे में से एक भारत-मध्य पूर्व-यूरोप आर्थिक गलियारा (IMEC) होगा, जो एक बहुराष्ट्रीय बुनियादी ढांचा पहल है, जिसका उद्देश्य चीन के बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) का विकल्प तैयार करना है. इस महत्वाकांक्षी परियोजना में एक महत्वपूर्ण भूमिका गौतम अदाणी के अदाणी समूह की भी होने वाली है. अदाणी समूह ने बंदरगाहों और बिजली संयंत्रों से लेकर रक्षा प्रौद्योगिकी तक प्रमुख बुनियादी ढांचा क्षेत्रों में तेजी से अपना विस्तार किया है.

IMEC क्यों जरूरी

भारत-मध्य पूर्व-यूरोप आर्थिक गलियारा (आईएमईसी) एक विशाल बुनियादी ढांचा परियोजना है, जिसे भारत को मध्य पूर्व के माध्यम से यूरोप से जोड़ने के लिए डिज़ाइन किया गया है. चीन के BRI की आलोचना इसलिए की जाती है कि ये योजना इसमें शामिल देशों को कर्ज के जाल में फंसाने के लिए बनाई गई है. वहीं IMEC को एक बाजार-संचालित पारदर्शी पहल के रूप में देखा जाता है, जो यह सुनिश्चित करता है कि इसमें शामिल होने वाले देश अपने बुनियादी ढांचे पर नियंत्रण बनाए रखें.

इस बीच, 400 अरब डॉलर की चीन-ईरान व्यापक रणनीतिक साझेदारी ने दुनिया के देशों के बीच चिंता बढ़ा दी है. इस साझेदारी में ऊर्जा, व्यापार और सैन्य क्षेत्रों में व्यापक सहयोग शामिल है, जो संभावित रूप से चीन को मध्य पूर्व में एक मजबूत आधार प्रदान करेगा. चीन-ईरान की इस योजना ने भारत को भी अपनी वैकल्पिक आपूर्ति श्रृंखलाओं और व्यापार मार्गों के निर्माण के लिए प्रयास को और तेज करने पर मजबूर कर दिया है. 

IMEC क्या है

IMEC की कुछ प्रमुख विशेषताओं में से एक भारत, संयुक्त अरब अमीरात, सऊदी अरब, इज़रायल और यूरोप को जोड़ने वाला 4,500 किलोमीटर का व्यापार मार्ग है. यह गलियारा पारंपरिक समुद्री मार्गों की तुलना में पारगमन समय (Transit Times) में काफी कटौती करेगा. नए बंदरगाहों, रेल नेटवर्क और ऊर्जा परियोजनाओं से भागीदार देशों को भी लाभ होगा.

वर्तमान में, मलक्का जलडमरूमध्य, होर्मुज जलडमरूमध्य और बाब अल-मंडब जैसे महत्वपूर्ण समुद्री चोकपॉइंट तेजी से चीनी प्रभाव में आ गए हैं. सेंटर फॉर इंटरनेशनल मैरीटाइम सिक्योरिटी की रिपोर्ट के अनुसार, चीन बड़ी मात्रा में ईरानी तेल खरीदकर अप्रत्यक्ष रूप से यमन के हूती विद्रोहियों का समर्थन कर रहा है. ईरान का इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स (आईआरजीसी) हूती विद्रोहियों को हथियारों की सप्लाई करता है और इनमें से कुछ कथित तौर पर चीन के होते हैं.

IMEC में अदाणी समूह की भूमिका

अदाणी समूह की ऊर्जा, बुनियादी ढांचे और लॉजिस्टिक्स में व्यापक रुचि है. समूह का रणनीतिक निवेश भारत की विदेश नीति के उद्देश्यों के साथ निकटता से जुड़ा हुआ है और चीन के बुनियादी ढांचे के प्रभुत्व को सीधे चुनौती देता है. अदाणी समूह ने इज़रायल के हाइफ़ा पोर्ट में 70 प्रतिशत हिस्सेदारी का अधिग्रहण कर आईएमईसी को मजबूत किया है. यह कदम न केवल भारत-इज़रायल संबंधों को मजबूत करता है, बल्कि भारत को भूमध्य सागर में पैर जमाने की सुविधा भी देता है.

Advertisement

इज़रायल-भारत रक्षा व्यापार का सालाना कारोबार 10 बिलियन डॉलर से अधिक है. निजी क्षेत्र की भागीदारी से रिश्ते और मजबूत हो रहे हैं. अदाणी समूह इंडो-पैसिफिक में भी रणनीतिक बंदरगाहों का सक्रिय रूप से अधिग्रहण कर रहा है. चीन के स्टेट-कंट्रोल्ड मॉडल के विपरीत, अदाणी समूह एक स्वतंत्र निजी इकाई के रूप में कार्य करता है.

बंदरगाहों के अलावा, अदाणी समूह सैन्य ड्रोन उत्पादन, सेमीकंडक्ट्रस और स्वच्छ ऊर्जा जैसे क्षेत्रों में भी विस्तार कर रहा है, जो भारत के आर्थिक भविष्य के लिए बेहद जरूरी हैं. अदाणी समूह ने पिछले साल नवंबर में अमेरिकी ऊर्जा बुनियादी ढांचे में 10 अरब डॉलर के निवेश की घोषणा की थी, जिससे संयुक्त राज्य अमेरिका में 15,000 नौकरियां पैदा होंगी.

Advertisement
Featured Video Of The Day
AAP नेता Saurabh Bhardwaj के घर पर ED का छापा, हॉस्पिटल कंस्ट्रक्शन घोटाले में एक्शन | BREAKING