फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों नहीं थे टारगेट : पेगासस स्पाईवेयर बनाने वाली कंपनी NSO का बयान

इससे पहले खबर आई थी कि फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों और उनकी सरकार के शीर्ष सदस्यों द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले फोन नंबर स्पाईवेयर पेगासस के संभावित टारगेट में शामिल थे. पेगासस के संभावित टारगेट नंबरों की सूची लीक करने वाले एनजीओ ने मंगलवार को यह बात कही थी.

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इजराइल की साइबर सुरक्षा कंपनी ने कहा- फ्रांस के राष्ट्रपति नहीं थे पेगासस स्पाईवेयर का टारगेट
जेरूसलेम:

इजराइल की साइबर सुरक्षा कंपनी एनएसओ के एक अधिकारी ने बुधवार को कहा कि विवादास्पद पेगासस स्पाइवेयर टूल (Pegasus) का इस्तेमाल फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों (Emmanuel Macron) को निशाना बनाने के लिए नहीं किया गया था. दरअसल आईआरएसएफ (रिपोर्ट्स विदाउट बॉर्डर्स) ने जासूसी मामले में विवाद के  बाद इजराइल से इस तकनीक के निर्यात को निलंबित करने का आग्रह किया है, जिसमें मैक्रॉन, पत्रकारों और कार्यकर्ताओं सहित कई शिकार हुए.  इसी के बाद इजराइल की साइबर सुरक्षा कंपनी ने बयान दिया. एनएसओ ग्रुप के अधिकारी चैम गेलफैंड ने आई24 न्यूज टेलीविजन नेटवर्क को बताया कि फ्रांस के राष्ट्रपति मैक्रोन इसका टारगेट नहीं थे.

बता दें कि इससे पहले खबर आई थी कि  फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों और उनकी सरकार के शीर्ष सदस्यों द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले फोन नंबर स्पाईवेयर पेगासस के संभावित टारगेट में शामिल थे. पेगासस के संभावित टारगेट नंबरों की सूची लीक करने वाले एनजीओ ने मंगलवार को यह बात कही थी.
फॉरबिडेन स्टोरीज (Forbidden Stories) के प्रमुख लॉरेंट रिचर्ड ने LCI टेलीविजन से कहा, "हमें ये नंबर मिले लेकिन हम स्पष्ट रूप से इमैनुएल मैक्रों के फोन का तकनीकी विश्लेषण नहीं कर सके कि कि क्या यह मैलवेयर से संक्रमित था.' उन्होंने कहा कि 'यह दिखाता है कि ऐसा करने में किसी की रुचि थी'.मैक्रों के कार्यालय के एक प्रवक्ता ने कहा, "यदि यह तथ्य साबित हो जाता है, तो यह स्पष्ट रूप से बहुत गंभीर है."

पेरिस स्थित गैर-लाभकारी मीडिया संस्था फॉरबिडन स्टोरीज और एमनेस्टी इंटरनेशनल के पास शुरू में लीक हुए नंबरों तक पहुंच थी, जिसे बाद में उन्होंने द वाशिंगटन पोस्ट, द गार्जियन और ले मोंडे सहित मीडिया संगठनों के साथ साझा किया. रिपोर्टों में कहा गया है कि मैक्रों का फोन उन 50,000 लोगों में से एक था, जिनके बारे में माना जाता है कि 2016 के बाद से इजरायली फर्म एनएसओ, जिसने पेगासस साइबर-निगरानी तकनीक को बनाया, के ग्राहकों द्वारा पीपुल ऑफ इंटरेस्ट के रूप में पहचाना गया है. इसके जरिए दुनिया भर के कार्यकर्ताओं, पत्रकारों और राजनेताओं को निशाना बनाया गया जिससे कि गोपनीयता और अधिकारों के हनन की को बल मिलता है.

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(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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