PM Boris Johnson से India में हो रही माफी की मांग, अंग्रेजी हुकूमत के दौरान हुए इस नरसंहार का है मामला

करीब 2000 आदिवासी ब्रिटिश शोषण, जबरन मजदूरी और ऊंचे टैक्स के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे थे.  गुजरात सरकार के अनुसार ब्रिटिश मेजर एचजी सुटन (HG Sutton) ने अपने सैनिकों को उनपर गोली चलाने के आदेश दिए. गुजरात सरकार के अनुसार, "किसी युद्धक्षेत्र की तरह पूरा इलाका शवों से भर गया." साथ ही आगे कहा जाता है, " दो कुंओं में शव ऊपर तक तैर रहे थे." 

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PM Boris Johnson दो दिन की भारत यात्रा पर पहले गुजरात पहुंचे हैं

ब्रिटिश प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन (British PM Boris Johnson) भारत यात्रा (India Visit) पर पहुंचे हैं लेकिन उनसे गुजरात (Gujrat) में उपनिवेशकाल में हुए नरसंहार के 100 साल बाद माफी की मांग की जा रही है. गुजरात में 1200 लोग ब्रिटिश शासन के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करते हुए मारे गए थे. पिछले महीने ही पाल-दाढवाव के 100 साल पूरे हुए हैं. इतिहासकारों का कहना है कि समाज सुधारक मोतीलाल तेजावत के नेृत्तव में करीब 2000 आदिवासी ब्रिटिश शोषण, जबरन मजदूरी और ऊंचे टैक्स के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे थे.  गुजरात सरकार के अनुसार ब्रिटिश मेजर एचजी सुटन (HG Sutton) ने अपने सैनिकों को उनपर गोली चलाने के आदेश दिए.

गुजरात सरकार के अनुसार, "किसी युद्धक्षेत्र की तरह पूरा इलाका शवों से भर गया." साथ ही आगे कहा जाता है, " दो कुंओं में शव ऊपर तक तैर रहे थे." 

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वार्षिक गणतंत्र दिवस पर इस साल गुजरात की तरफ से आई प्रदर्शनी में इन हत्याओं को "आदिवासियों के साहस और बलिदान की अनकही कहानी" के तौर पर पेश किया गया. एक विज्ञप्ति में इस घटना में मरने वालों का आंकड़ा 1200 बताया गया था.   

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जॉनसन जो फिलहाल कोविड लॉकडाउन के दौरान प्रधानमंत्री आवास पर हुई लॉकडाउन पार्टियों के कारण विवाद से घिरे हैं, वो गुजरात के सबसे बड़े शहर अहमदाबाद पहुंचे हैं. आज से उनकी दो दिन की भारत यात्रा की शुरुआत हो रही है.   

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श्री तेजावत के पोते महेंद्र ने AFP से कहा, " जिस समय यह हत्याएं हुईं यहां ब्रिटिश शासन था. अगर ब्रिटिश प्रधानमंत्री यहां आ रहे हैं तो उन्हें माफी मांगनी चाहिए."

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77 साल के महेंद्र कहते हैं, " मेरे पिता केवल गरीब, कमजोर और अशिक्षित आदिवासियों" के लिए आंदोलन कर रहे थे. अगर बोरिस जॉनसन को लगता है कि निहत्थे आदिवासियों के साथ गलत हुआ तो उन्हें माफी मांगनी चाहिए." 

वहीं दिल्ली की सड़कों पर बोरिस जॉनसन की तस्वीरें लगी हैं, लेकिन ब्रिटेन और भारत के संबंधों पर उपनिवेशकाल की छाया ज़रूर है. जहां लंदन ने दुनिया के दूसरे सबसे बड़े आबादी वाले देश को अपने साम्राज्य के एक नगीने की तरह देखा तो वहीं करोड़ों भारतीय इसके अधिकारों के तले पिस गए.  
 

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