पाकिस्तान को ब्रह्मोस से लगी ऐसी चोट, चीनी नहीं जर्मन डिफेंस सिस्टम खरीदने का बना रहा प्लान

Operation Sindoor: भले भारत ने आधिकारिक तौर पर ऑपरेशन सिंदूर के दौरान ब्रह्मोस के इस्तेमाल की बात नहीं कही है, लेकिन पाकिस्तान के प्रधान मंत्री शहबाज शरीफ ने सार्वजनिक रूप से स्वीकार किया था कि उनके एयरबेस इस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल से प्रभावित हुए थे.

विज्ञापन
Read Time: 4 mins
भारत-रूस द्वारा विकसित ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल को जमीन, हवा और समुद्र से दागा जा सकता है
नई दिल्ली:

जब से ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारत के सटीक हमलों ने पहले उसके आतंकी ढांचे और बाद में उसके हवाई अड्डों और सैन्य प्रतिष्ठानों को नष्ट कर दिया, तब से एक ही सवाल ने पाकिस्तान को चिंतित और हैरान कर रखा है - भारत की ब्रह्मोस मिसाइल के खिलाफ खुद का बचाव कैसे किया जाए?

भले भारत ने आधिकारिक तौर पर ऑपरेशन सिंदूर के दौरान ब्रह्मोस के इस्तेमाल की बात नहीं कही है, लेकिन पाकिस्तान के प्रधान मंत्री शहबाज शरीफ ने सार्वजनिक रूप से स्वीकार किया था कि उनके एयरबेस पर इस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल का हमला हुआ था.

चीन से आगे देख रहा पाकिस्तान

चीन से आए वायु रक्षा प्रणालियों - HQ-9 और HQ-16 - से पाकिस्तान को निराश हुई है. ये भारत के ड्रोन और मिसाइल हमलों को रोकने में विफल रही हैं और ब्रह्मोस के खिलाफ पूरी तरह से अप्रभावी थी- जैसा कि पाकिस्तान ने खुद दावा किया है. अब इस्लामाबाद एक सार्थक समाधान खोजने के लिए चीन से आगे देख रहा है.

पाकिस्तान कथित तौर पर जर्मन निर्मित उन्नत वायु रक्षा प्रणाली प्राप्त करने की संभावना तलाश रहा है जो यूक्रेन में ब्रह्मोस के समान रूसी क्रूज मिसाइल के खिलाफ प्रभावी साबित हुई है.

जर्मन इंजीनियरिंग

पिछले महीने यूक्रेन ने दावा किया था कि हाल ही में शामिल जर्मन वायु रक्षा प्रणाली - IRIS-T SLM - ने पिछले एक साल में 60 आने वाली रूसी मिसाइलों को सफलतापूर्वक मार गिराया है. जर्मनी की डाइहल डिफेंस द्वारा विकसित, इस वायु रक्षा प्रणाली ने रूसी पी-800 ओनिक्स मिसाइल के खिलाफ अच्छा प्रदर्शन किया, जिसे कुछ हद तक भारत के ब्रह्मोस के समान माना जाता है.

IRIS-T SLM का फुल फॉर्म है इन्फ्रारेड इमेजिंग सिस्टम - टेल/थ्रस्ट वेक्टर कंट्रोल्ड - सरफेस-लॉन्च्ड मिसाइल. यह एक मध्यम दूरी की वायु रक्षा प्रणाली है. पहली बार 1990 में विकसित इस प्रणाली को कई बार उन्नत किया गया है. इसमें एक रडार, एक ऑपरेशन सेंटर और कई लॉन्चर शामिल हैं.

Advertisement

न्यूज एजेंसी रॉयटर्स के अनुसार, 2023 में, जर्मनी ने अपनी वायु सेना के लिए लगभग 900 मिलियन यूरो ($971.73 मिलियन) की कुल लागत पर छह IRIS-T वायु रक्षा प्रणालियाँ खरीदीं. इसकी रेंज लगभग 40 किलोमीटर (25 मील) और 360 डिग्री दृश्य है.

भारत-जर्मन रक्षा संबंध

इकोनॉमिक टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक, पाकिस्तान की योजना चीनी वायु रक्षा प्रणालियों को छोड़कर जर्मनी से खरीदने की है. यह ऐसे समय में आया है जब IRIS-T - डाइहल डिफेंस - बनाने वाली कंपनी ने थिसेनक्रुप मरीन सिस्टम्स के साथ साझेदारी की है, जो भारत में रक्षा परियोजनाओं में लगी हुई है. साथ में, डाइहल और थिसेनक्रुप मिलकर 70,000 करोड़ रुपये के प्रोजेक्ट 75I के तहत भारत में बनाई जा रही छह भारतीय नौसेना पनडुब्बियों के लिए इंटरएक्टिव डिफेंस एंड अटैक सिस्टम या आईडीएएस की आपूर्ति करने के लिए काम कर रहे हैं.

Advertisement

इसके अलावा, इकोनॉमिक टाइम्स के अनुसार, भारत की रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर की सहायक कंपनी रिलायंस डिफेंस ने डाइहल डिफेंस के साथ एक रणनीतिक सहयोग समझौता किया है. साथ में वे भारत में सटीक-निर्देशित युद्ध सामग्री प्रणाली वल्केनो 155 मिमी - और उन्नत, लंबी दूरी के तोपखाने शेल का निर्माण करेंगे.

इससे पाकिस्तान के लिए जर्मन कंपनी से डील करना मुश्किल हो सकता है.

ग़लत प्राथमिकताएं?

अपनी अर्थव्यवस्था के कमजोर होने और लगभग 45 प्रतिशत नागरिकों के गरीबी रेखा से नीचे रहने और 16 प्रतिशत अत्यधिक गरीबी में रहने के बावजूद, पाकिस्तान ने आज अपने वार्षिक बजट में अपने रक्षा खर्च में उल्लेखनीय वृद्धि की, जबकि लगभग अन्य सभी चीजों पर खर्च कम कर दिया. हालांकि, पिछले महीने ही, नकदी की कमी से जूझ रहा पाकिस्तान IMF से एक अरब डॉलर का ऋण और एशियाई विकास बैंक या एडीबी से 800 मिलियन डॉलर का ऋण हासिल करने में कामयाब रहा है.

Advertisement

इसके अलावा, पाकिस्तान के बजट में रक्षा खर्च में 20 फीसदी की भारी बढ़ोतरी देखी गई, जबकि कुल खर्च में 7 फीसदी की कटौती की गई है. कुछ रिपोर्टों से पता चलता है कि पाकिस्तान सरकार ने लगभग 1,000 अरब पाकिस्तानी रुपये की विकास परियोजनाओं को रद्द कर दिया है.

Featured Video Of The Day
Rabri Devi के बयान पर Samrat Choudhary का जवाब बोले- चुनाव से भाग रहे Tejashwi Yadav | NDTV India
Topics mentioned in this article