'घुसकर मारेंगे”: फ्रांस से इंटरव्यू में पाक के आतंकवाद, चीन से दोस्ती और ट्रंप के टैरिफ पर क्या बोले विदेश मंत्री

भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने फ्रांस के अखबार, ले फिगारो को एक विशेष इंटरव्यू दिया है. जानिए यहां उन्होंने पाकिस्तान-चीन से लेकर ट्रंप के टैरिफ से जुड़े मुद्दे पर क्या कुछ कहा है.

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भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर की फाइल फोटो

भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने फ्रांस के अखबार, ले फिगारो को दिए एक विशेष इंटरव्यू में, आतंकवाद और रणनीतिक स्वायत्तता पर भारत के मजबूत स्टैंड को स्पष्ट किया. उन्होंने पाकिस्तान को आगाह किया है कि अगर उसकी जमीं से भारत पर आतंकवादी हमला होता है तो वह अंदर घुसकर आतंकी ठिकानों को निशाना लगाएगा. यहां उन्होंने यूक्रेन में युद्ध को समाप्त करने के लिए भारत के आह्वान की पुष्टि की और ग्लोबल साउथ के साथ वैश्विक एकजुटता की आवश्यकता पर जोर दिया.

“आतंकवादी जहां कहीं हों, खोज निकालेंगे”

कश्मीर के मुद्दे और पाकिस्तान के साथ तनाव पर, मंत्री ने दोहराया कि दोनों देशों के बीच संघर्ष आतंकवाद से उपजा है, वजह कोई द्विपक्षीय विवाद नहीं है. उनसे सवाल किया गया कि कश्मीर में मौजूदा हालात क्या हैं? क्या हमें भारत और पाकिस्तान के बीच के सैन्य कार्रवाई से डरना चाहिए? इसपर जवाब देते हुए विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा, “यह आतंकवाद के बारे में है. यह भारत-पाकिस्तान का मुद्दा बन गया है क्योंकि पाकिस्तान (लश्कर-ए-तैयबा के) आतंकवादियों को पनाह देता है और उनका समर्थन करता है. संघर्ष भारत और आतंकवाद के बीच है, किसी देश विशेष के साथ नहीं.”

“सबसे हालिया हमला जम्मू-कश्मीर में (22 अप्रैल को) हुआ, लेकिन 2008 के मुंबई हमलों की तरह अन्य भी कहीं और हमले हुए हैं. यह कश्मीर को लेकर पाकिस्तान के साथ कोई विवाद नहीं है - हम केवल आतंकवाद के खिलाफ जीरो-टॉलरेंस रखते हैं. और यदि आतंकवादी भारत पर हमला करते हैं, तो हम उन्हें पाकिस्तान सहित, जहां कहीं भी हों, ढूंढ निकालेंगे. हम बहुत स्पष्ट हैं: जब तक सीमा पार आतंकवाद जारी रहेगा, हम जवाबी कार्रवाई करेंगे और अपनी आत्मरक्षा के लिए सभी आवश्यक उपाय करेंगे. यह हमारे लोगों के प्रति एक बुनियादी कर्तव्य है.”

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उन्होंने कहा कि भारत की जवाबी कार्रवाई के लिए व्यापक अंतरराष्ट्रीय समर्थन था, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने "जवाबदेही और न्याय" का आह्वान किया था. पाकिस्तान के लिए चीन के समर्थन के बारे में पूछे जाने पर, जयशंकर ने दोहरे मानकों के प्रति आगाह किया. उन्होंने कहा, "आतंकवाद जैसे मुद्दे पर, आप अस्पष्टता बर्दाश्त नहीं कर सकते."

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चीन का सवाल

इंडो-पैसिफिक में चीन की भूमिका के बारे में, जयशंकर ने इस बात पर जोर दिया कि भारत और चीन "दो प्राचीन सभ्यताएं" हैं जो बढ़ती शक्ति और अनसुलझे सीमा मुद्दों से निपट रही हैं. उन्होंने कहा, “सबसे बढ़कर, हम पड़ोसी हैं.. हम दोनों की जनसंख्या भी एक अरब से अधिक है. सच तो यह है कि हम दोनों की शक्तियां तेजी से बढ़ रही हैं, इसलिए संतुलन बनाना एक जटिल प्रक्रिया है. इसके अलावा, हिमालय में हमारा एक अनसुलझा सीमा विवाद है, जो इसे हमारी राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण पैरामीटर बनाता है. और चूंकि हमारे दोनों देश हिंद-प्रशांत क्षेत्र में बड़ा प्रभाव रखते हैं, इसलिए यह सिर्फ द्विपक्षीय मामला नहीं है.”

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उन्होंने चीन के साथ रिश्ते सुधरने की भी उम्मीद जताई है. उन्होंने कहा, “मेरा मानना ​​है कि दोनों पक्ष सोचते हैं कि रिश्ते धीरे-धीरे बेहतर हो सकते हैं. हमने कुछ उपायों पर चर्चा की है, और अन्य पर विचार किया जा रहा है - जैसे कि सीधी उड़ानों को फिर से शुरू करना, जो कोविड के बाद से निलंबित हैं.” अमेरिका, ट्रंप और टैरिफ का मुद्दा

अमेरिका, ट्रंप और टैरिफ का मुद्दा

राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के शासन में भारत-अमेरिका संबंधों पर जयशंकर ने कहा कि एक चौथाई सदी से भी अधिक समय से, पांच अमेरिकी राष्ट्रपतियों के तहत, अमेरिका के साथ हमारे संबंध लगातार मजबूत हुए हैं. टैरिफ की धमकियों के बावजूद, उन्होंने कहा, "हमने पहले ही व्यापार समझौते के लिए द्विपक्षीय बातचीत शुरू कर दी है. हमें उम्मीद है कि 9 जुलाई को टैरिफ निलंबन समाप्त होने से पहले हम एक समझौते पर पहुंच जाएंगे."

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ट्रंप की विदेश नीति पर बोलते हुए उन्होंने कहा, “हमारे दृष्टिकोण से, हमने क्वाड (अमेरिका, भारत, जापान और ऑस्ट्रेलिया के बीच बातचीत) में उनकी रुचि और इसे आगे बढ़ाने के लिए उनकी दृढ़ प्रतिबद्धता पर जल्द ही ध्यान दिया. शेष विश्व के संबंध में, हम देखते हैं कि अमेरिका अपने तात्कालिक इंटरेस्ट के अनुरूप कार्य कर रहा है. सच कहूं तो मैं उनके साथ भी ऐसा ही करूंगा.”

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत की भूमिका

यहां इंटरव्यू में एस जयशंकर से यह भी सवाल किया गया कि क्या भारत को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्थायी सीट मिलनी चाहिए? इसके जवाब में उन्होंने कहा, “हम ग्रह पर सबसे अधिक आबादी वाले देश हैं. आकार के हिसाब से चौथी या पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था हैं. हम शांति स्थापना के माध्यम से, क्षेत्रीय समृद्धि और स्थिरता में योगदान के माध्यम से विश्व मंच पर तेजी से सक्रिय हैं. हमारे कई कार्य दूसरे देशों पर सकारात्मक प्रभाव डालते हैं. तो क्या हम बड़ी भूमिका निभाने के लिए तैयार हैं? हां. यह सिर्फ हमारी इच्छा नहीं है - कई देश इसकी मांग कर रहे हैं. संयुक्त राष्ट्र 80 वर्ष पुराना है और अपनी जिम्मेदारियों से जूझ रहा है. तो क्या दुनिया बेहतर होगी? जवाब फिर हां है.”

फ्रांस के साथ भारत के संबंध

भारत-फ्रांस संबंधों पर बोलते हुए जयशंकर ने कहा, "कई वर्षों से, भारत की फ्रांस के साथ बहुत मजबूत आर्थिक और रणनीतिक, नागरिक और सैन्य साझेदारी रही है. 'विश्वास' शब्द इस रिश्ते के केंद्र में है." उन्होंने कहा कि दोनों देशों का लक्ष्य रक्षा, परमाणु ऊर्जा, एआई, अंतरिक्ष और पर्यावरण मामलों में सहयोग को मजबूत करना है.
 

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