अमेरिका की चापलूसी में लगा पाकिस्तान, ट्रंप को ‘शांतिदूत’ बताकर शहबाज शरीफ को क्या मिल जाएगा

पाकिस्तान के पीएम शहबाज शरीफ ने डोनाल्ड ट्रंप को शांतिदूत (मैन ऑफ पीस) बताया है. वो भारत की मार से बचाने के लिए ट्रंप को शुक्रिया कह रहे हैं, दावा कर रहे हैं कि राष्ट्रपति ट्रंप शांतिप्रिय व्यक्ति हैं.

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पाकिस्तान के पीएम शहबाज शरीफ ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को शांतिदूत कहा है

भारत से मूंह की खाने के बाद पाकिस्तान आजकल अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की चापलूसी में बिजी है. कराची में पाकिस्तान नौसेना डॉकयार्ड के दौरे पर पहुंचे के वहां के प्रधान मंत्री शहबाज शरीफ ने ट्रंप को शांतिदूत (मैन ऑफ पीस) बताया है. वो भारत की मार से बचाने के लिए ट्रंप को शुक्रिया कह रहे हैं, दावा कर रहे हैं कि राष्ट्रपति ट्रंप शांतिप्रिय व्यक्ति हैं क्योंकि उन्होंने दो परमाणु संपन्न देशों (पाकिस्तान और भारत) के बीच युद्ध टालने में प्रमुख भूमिका निभाई. मतलब पाकिस्तान अमेरिका की चापलूसी के लिए झूठ भी बोल रहा है क्योंकि भारत ने साफ-साफ कहा है कि पाकिस्तान के साथ सीजफायर के लिए सिर्फ उससे बात हुई है और वह भी वहां की सेना ने भारत की सेना को पहले कॉल किया था.

सवाल है कि पाकिस्तान ट्रंप की चापलूसी क्यों कर रहा है और जब से ट्रंप ने दोबारा अमेरिका के राष्ट्रपति की कुर्सी संभाली है, क्या उन्होंने एक दफा भी अपने व्यक्तिगत हित (अमेरिकी हित भी) को छोड़कर शांतिदूत होने का कोई परिचय दिया है? देखते हैं.

शहबाज ने क्या कहा?

पीएम शहबाज ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को 'शांति पुरुष' बताया और विश्वास जताया कि अमेरिकी राष्ट्रपति कश्मीर मुद्दे को सुलझाने में प्रभावी भूमिका निभाएंगे. यानी ट्रंप पर डोरे डाले जा रहे हैं.

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शहबाज ने कहा, "राष्ट्रपति ट्रम्प शांतिप्रिय व्यक्ति हैं क्योंकि उन्होंने दो परमाणु देशों (पाकिस्तान और भारत) के बीच युद्ध को टालने में प्रमुख भूमिका निभाई." शहबाज ने कहा कि वह कश्मीर विवाद के समाधान के लिए "ईमानदार भूमिका" निभाने की इच्छा के लिए राष्ट्रपति ट्रंप का आभार व्यक्त करना चाहते हैं.

लगता है कि शहबाज कश्मीर के असली बॉस भारत के स्टैंड को भूल रहे हैं और रावलपिंडी तक एयरस्ट्राइक की मार खाने के बाद भी लाइन पर नहीं आ रहे हैं. भारत ने कश्मीर पर पाकिस्तान की हिमाकत शुरू होने के पहले दिन से साफ कर रखा है कि कश्मीर पर किसी तीसरे देश या संगठन को बीच में आने की इजाजत नहीं होगी और पाकिस्तान पर भी बात होगी तो सिर्फ पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर पर ही होगी.  

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ट्रंप कब साबित हो गए शांतिदूत?

ट्रंप ने चुनावी वादा किया था कि वो दोबारा अमेरिकी राष्ट्रपति बनने के 24 घंटे के अंदर रूस और यूक्रेन के बीच 3 साल से जारी जंग को रुकवा देंगें. आज ठीक 3 महीने गुजर गए हैं लेकिन जंग फुल स्केल पर जारी है. ट्रंप ने पहले कोशिश की कि यूक्रेन और तमाम यूरोपीय देशों को साइड करके वो खुद रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से सीजफायर डील कर लें. दूसरी तरफ उन्होंने यूक्रेन की मदद के बदले उसपर खनीज डील करने का दबाव बनाने लगें. पुतिन तो नहीं माने, जंग में कमजोर दिख रहे यूक्रेन से उन्होंने येन केन प्रकारेण खनीज डील जरूर कर लिया.

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अब जिस फिलिस्तिनियों के साथ होने का दावा पाकिस्तान और उसके पीएम करते रहे हैं, उसपर ट्रंप का स्टैंड देख लेते हैं. फरवरी और मार्च में ही ट्रंप ने यहां तक प्रस्ताव दिया था कि अमेरिका गाजा पट्टी पर "कब्जा कर ले" और "उसका मालिक" हो जाए. ट्रंप गाजा में भी शांति-शांति चिल्लाते रहे लेकिन वहां इजरायल ने अब आक्रामक रुख अपना लिया है. सीजफायर तो नहीं हुआ, उल्टे अब इजरायली पीएम ने पूरे गाजा पट्टी पर कब्जा करने की घोषणा कर दी है. अब ट्रंप इजरायल से नाराज दिख रहे हैं.

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वाशिंगटन पोस्ट की एक रिपोर्ट के अनुसार, ट्रंप प्रशासन ने बेंजामिन नेतन्याहू सरकार को चेतावनी दी है कि गाजा में युद्ध समाप्त करने में इजरायल की विफलता के कारण अमेरिकी समर्थन वापस ले लिया जाएगा. दूसरी तरफ इजरायली मीडिया ने वाशिंगटन पोस्ट की रिपोर्ट का गलत करार देते हुए एक अमेरिकी अधिकारी के हवाले से कहा कि वाशिंगटन और यरूशलेम के बीच मतभेद हो सकते हैं, लेकिन यह विचार कि अमेरिका इजरायल को छोड़ देंगे, बेतुका है.

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