पाकिस्तान (Pakistan) की शीर्ष जांच एजेंसी के एक पूर्व शीर्ष अधिकारी की दिल का दौरा पड़ने से मृत्यु हो गई. इस अधिकारी ने प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ (PM Shehbaz Sharif) और उनके परिवार के सदस्यों समेत कई बड़े नेताओं के खिलाफ भ्रष्टाचार (Corruption) के मामलों की जांच की थी. ‘द डॉन' (The Dawn) अखबार की खबर के अनुसार संघीय जांच एजेंसी (FIA) के पूर्व निदेशक मोहम्मद रिजवान (47) पीएमएलएन (PMLN) नीत गठबंधन सरकार बनने से कुछ दिन पहले ही लंबी छुट्टी पर गए थे और बाद में पिछले महीने FIA लाहौर निदेशक के कार्यालय से उनका तबादला कर दिया गया.
उनकी जगह चीनी घोटाले की जांच के लिए गठित विशेष जांच दल (SIT) का प्रमुख अतिरिक्त निदेशक अबू बकर खुदा बख्श को बनाया गया है.
रिजवान के परिवार के एक सूत्र के अनुसार उन्हें सोमवार तड़के दिल का दौरा पड़ा और उन्हें एक अस्पताल ले जाया गया जहां उन्हें मृत घोषित कर दिया गया. रिजवान को मंगलवार को यहां सुपुर्दे खाक किया जाएगा.
इससे पहले पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान पर देश में गृहयुद्ध छेड़ने की साजिश रचने और राष्ट्रीय संस्थाओं के खिलाफ मनगढंत कहानी गढ़ने का आरोप लगाते हुए उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने की चेतावनी दी.
शरीफ की यह टिप्पणी ऐसे समय में आई है, जब पाकिस्तान की शक्तिशाली सेना ने अपने आलोचकों को देश की प्रमुख संस्था पर कींचड़ उछालने से बचने की चेतावनी दी है। पिछले महीने इमरान के नेतृत्व वाली सरकार के सत्ता से हटने के बाद पाक सेना ने उसे राजनीति में घसीटने के ‘तीव्र और जानबूझकर किए गए प्रयासों' के खिलाफ ‘कड़ा विरोध' दर्ज कराया था.
क्रिकेटर से राजनेता बने 69 वर्षीय इमरान को पिछले महीने अविश्वास प्रस्ताव के माध्यम से सत्ता से बेदखल कर दिया गया था। इमरान का आरोप है कि एक स्वतंत्र विदेश नीति का पालन करने के कारण स्थानीय नेताओं की मदद से अमेरिका के नेतृत्व में उन्हें हटाने की साजिश रची गई थी। उनकी सरकार को बचाने में कोई भूमिका नहीं निभाने को लेकर इमरान के समर्थकों ने सोशल मीडिया पर सेना को निशाना बनाया था.
पाक प्रधानमंत्री के कार्यालय ने रविवार देर रात एक बयान जारी कर कहा कि शरीफ ने एबटाबाद में एक रैली में इमरान द्वारा दिए गए संबोधन को ‘पाकिस्तान के खिलाफ एक बड़ी साजिश' करार दिया है. उन्होंने कहा है कि राष्ट्रीय संस्थानों के खिलाफ मनगढंत कहानी गढ़ने वाले असली ‘मीर जाफर और मीर सादिक' हैं. मीर जाफर और मीर सादिक ऐसे दो शख्स हैं, जिन्हें 18वीं शताब्दी में ईस्ट इंडिया कंपनी के सहयोगी के रूप में जाना जाता था.