पाकिस्तान ने हिंदू मंदिर के पुनर्निर्माण के लिए जारी किए करीब 4 करोड़ रुपये, कट्टरपंथियों ने तोड़ा था

खैबर पख्तूनख्वा के कारक जिले के टेरी गांव में पिछले वर्ष 30 दिसंबर को श्री परमहंस जी महाराज की समाधि तोड़ दी गई थी.

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प्रतीकात्मक तस्वीर.
पेशावर:

पाकिस्तान (Pakistan) की खैबर पख्तूनख्वा प्रांतीय सरकार ने पिछले वर्ष दिसंबर में कुछ स्थानीय मौलाना और कट्टरपंथी इस्लामी पार्टी उलेमा-ए-इस्लामी के सदस्यों के नेतृत्व में भीड़ द्वारा तोड़े गए हिंदू मंदिर (Hindu temple) के पुनर्निर्माण के लिए 3.48 करोड़ रुपये जारी किए हैं. प्रांतीय सरकार श्री परमहंस जी महाराज की समाधि (Sri Paramahansa Maharaj's Samadhi) के पुनर्निर्माण के लिए औकाफ विभाग को 3,48,29,000 रुपये देगी. खैबर पख्तूनख्वा के कारक जिले के टेरी गांव में पिछले वर्ष 30 दिसंबर को श्री परमहंस जी महाराज की समाधि तोड़ दी गई थी. एक सदी से अधिक पुराने मंदिर और पास में स्थित समाधि पर हमले की मानवाधिकार कार्यकर्ताओं (Human rights activists) और अल्पसंख्यक हिंदू समुदाय के नेताओं ने कड़ी आलोचना की थी, जिसके बाद उच्चतम न्यायालय ने इसके फिर से निर्माण का आदेश दिया था.

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अदालत ने प्रांतीय सरकार को निर्देश दिया कि मंदिर का निर्माण जल्द से जल्द पूरा किया जाए. खैबर पख्तूनख्वा में हिंदू समुदाय ने पिछले महीने मंदिर तोड़ने वाली भीड़ को माफ करने का फैसला किया था. गौरतलब है कि संयुक्त राष्ट्र महासभा ने फरवरी में एक प्रस्ताव पारित किया, जिसमें ऐसे धार्मिक स्थलों को विश्व में लक्षित तरीके से निशाना बनाये जाने, उनका विध्वंस करने, उन्हें क्षतिग्रस्त करने या उन्हें खतरे में डालने जैसे सभी कृत्यों की निंदा की गयी थी. प्रस्ताव में किसी धार्मिक स्थल को दूसरे धर्म के लिए उपासना स्थल में जबरन तब्दील करने के भी किसी कदम की निंदा की गयी थी. 

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प्रस्ताव के सह-प्रायोजक में पाकिस्तान और 21 अन्य देश हैं. भारत ने प्रस्ताव पर अपनी स्थिति की व्याख्या करते हुए पाकिस्तान के कारक कस्बे में एक मंदिर पर हुए हमले का, एक सिख गुरुद्वारे पर हुए हमले का तथा अफगानिस्तान में बामयान बुद्ध प्रतिमा को नुकसान पहुंचाने का जिक्र किया था. भारत ने कहा था कि बढ़ते आतंकवाद, हिंसक उग्रवाद, चरमपंथ और असहिष्णुता के दौर में धार्मिक स्थल और सांस्कृतिक धरोहरों को आतंकी कृत्यों, हिंसा एवं विनाश का खतरा है.  भारत ने विशेष रूप से धर्म के मुद्दे पर संयुक्त राष्ट्र में चर्चा का आधार तैयार करने के लिए उद्देश्यपरकता और निष्पक्षता के सिद्धांतों के अनुपालन का आह्वान किया था. बयान में कहा गया, ‘‘हमें उन ताकतों के खिलाफ एकजुट होना चाहिए जो संवाद और शांति की जगह हिंसा और नफरत को स्थान देती हैं.''

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