- अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष ने पाकिस्तान के लिए लगभग 1.2 बिलियन डॉलर के नए वित्तपोषण को मंजूरी दी है
- पाकिस्तान गंभीर बाढ़, बढ़ती महंगाई और राजकोषीय दबावों के बीच आर्थिक स्थिरता बनाए रखने का प्रयास कर रहा है
- IMF से अबतक पाकिस्तान को EFF और RSF व्यवस्थाओं के तहत कुल लगभग 3.3 बिलियन डॉलर की सहायता दी गई है
आंतकवाद की फसल बोने वाले, आर्मी के कंट्रोल में जकड़े और सिर्फ हिंसा की जुबान समझने वाले पाकिस्तान को एक बार फिर खैरात मिल गया है. अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष यानी IMF ने पाकिस्तान के लिए लगभग 1.2 बिलियन डॉलर के नए वित्तपोषण (फाइनेंसिंस) को मंजूरी दे दी. भारतीय करेंसी में यह 10 हजार करोड़ रुपए से थोड़ी अधिक होती है. पाकिस्तान के लिए यह बड़ी मदद है क्योंकि वह गंभीर बाढ़, बढ़ती महंगाई और लगातार राजकोषीय दबावों के बीच व्यापक आर्थिक स्थिरता बनाए रखने के लिए संघर्ष कर रहा है. खाने की किल्लत सामना करने वाला पाकिस्तान हथियारों पर खर्च करने में ज्यादा दिलचस्पी रखता है.
पाकिस्तान को फिर मदद क्यों दी गई?
IMF की तरफ से कहा गया है कि हाल में आए विनाशकारी बाढ़ के बावजूद पाकिस्तान ने मजबूती से कार्यक्रम लागू किया है, जिसने "स्थिरता बनाए रखने और वित्तपोषण और बाहरी स्थितियों में सुधार करने" में मदद की है. सितंबर 2024 में स्वीकृत 37 महीने के EFF का उद्देश्य स्थिरता बनाना, रिजर्व को फिर से बनाना, सरकार के लिए टैक्स आधार का विस्तार करना, वहां के मार्केट में प्रतिस्पर्धात्मकता में सुधार करना, राज्य के स्वामित्व वाले उद्यमों में सुधार करना और ऊर्जा क्षेत्र की व्यवहार्यता को बहाल करना है.
पाकिस्तान में राजकोषीय समेकन (फिस्कल कंसोलिडेशन) एक प्रमुख आधार रहा है. पाकिस्तान ने वित्त वर्ष 2015 में "जीडीपी का 1.3 प्रतिशत" का प्राथमिक अधिशेष (प्राइमरी सरप्लस) दर्ज किया, जबकि कुल रिजर्व पिछले वर्ष के 9.4 बिलियन डॉलर से बढ़कर "वित्त वर्ष 2015 के अंत में 14.5 बिलियन डॉलर" हो गया. IMF की रिपोर्ट में कहा गया है कि पाकिस्तान में महंगाई ऊंची बनी हुई है, जो आंशिक रूप से बाढ़ से संबंधित खाद्य कीमतों में बढ़ोतरी के कारण है.
गौरतलब है कि IMF की तरफ से EFF और RSF, दोनों व्यवस्थाओं के तहत मिला फंड कोई दान नहीं है, यह लोन है और हर देश से IMF अलग अलग ब्याज दर लेता है. साथ ही वह कड़ाई से अपनी शर्तों को लागू कराता है.













