- पाकिस्तान-चीन ने UNSC में बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी, मजीद ब्रिगेड को आतंकवादी संगठन घोषित करने का प्रस्ताव रखा
- पाकिस्तान 2025-26 के लिए UNSC का अस्थायी सदस्य है जबकि चीन स्थायी सदस्य होने के कारण वीटो अधिकार रखता है
- अमेरिका ने पहले ही बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी, मजीद ब्रिगेड को विदेशी आतंकवादी संगठन के रूप में सूचीबद्ध कर रखा
पाकिस्तान और चीन ने मिलकर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में एक प्रस्ताव पेश किया है, जिसमें बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी (BLA) और उसकी आत्मघाती इकाई (सुसाइड विंग) मजीद ब्रिगेड को आतंकवादी संगठन घोषित करने की मांग की गयी है. दोनों देशों ने BLA और उसके सुसाइड विंग को सुरक्षा परिषद की 1267 अल-कायदा प्रतिबंध समिति के तहत आतंकवादी संगठन घोषित करने की मांग की है.
संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान के स्थायी प्रतिनिधि राजदूत आसिम इफ्तिखार अहमद ने बुधवार, 17 सितंबर को कहा कि इस्लामिक स्टेट-खोरासन (आईएसआईएल-के), अल-कायदा, तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान, ईस्ट तुर्किस्तान इस्लामिक मूवमेंट, BLA और मजीद ब्रिगेड जैसे आतंकवादी संगठन अफगान ठिकानों से संचालित हो रहे हैं. उन्होंने दावा किया कि अफगानिस्तान में 60 से अधिक आतंकवादी शिविर सक्रिय हैं, जो सीमा पार हमलों के लिए आधार केंद्र का काम कर रहे हैं.
गौरतलब है कि पाकिस्तान 2025-26 कार्यकाल के लिए 15 सदस्यीय सुरक्षा परिषद का अस्थायी सदस्य है, जबकि चीन इस शक्तिशाली निकाय का स्थायी सदस्य है और उसके पास वीटो का अधिकार है. पाकिस्तान 2025 में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की 1988 तालिबान प्रतिबंध समिति की अध्यक्षता कर रहा है और आतंकवाद रोधी समिति का उपाध्यक्ष भी है. अहमद ने कहा कि अफगान तालिबान प्रशासन को आतंकवाद-रोधी अंतरराष्ट्रीय दायित्वों का पालन करना होगा.
अमेरिका ने पहले ही विदेशी आतंकवादी संगठन घोषित किया
मजीद ब्रिगेड की स्थापना 2011 में हुई थी. यह BLA की आत्मघाती इकाई है. इसके लड़ाके खुद की जान देकर मुख्यतः पाकिस्तान में सुरक्षा बलों और चीनी हितों को निशाना बनाते हैं. पिछले महीने, अमेरिका ने भी BLA और मजीद ब्रिगेड को विदेशी आतंकवादी संगठन (FTO) के रूप में सूचीबद्ध किया था. BLA को उसने पहले ही विशेष रूप से नामित वैश्विक आतंकवादी (SDGT) घोषित कर रखा है. इसमें कहा गया है कि यह कार्रवाई "आतंकवाद का मुकाबला करने के लिए ट्रंप प्रशासन की प्रतिबद्धता" को दिखाती है.
दरअसल कई आतंकवादी हमलों के बाद 2019 में अमेरिका ने BLA को SDGT के रूप में नामित किया था. अमेरिकी विदेश विभाग के मुताबिक, 2024 में BLA ने कराची एयरपोर्ट और ग्वादर पोत प्राधिकरण परिसर के पास आत्मघाती हमलों की जिम्मेदारी ली थी. उसने 2025 में जाफर एक्सप्रेस ट्रेन को हाइजैक करने की जिम्मेदारी भी ली थी, जो क्वेटा से पेशावर जा रही थी. इस घटना में 31 नागरिक और सुरक्षा कर्मी मारे गए थे और 300 से अधिक यात्रियों को बंधक बना लिया गया था.