भारत ही नहीं रूस, ब्रिटेन से ईरान तक... दुनिया के इन देशों को भी पाकिस्तान ने आतंकवाद का जख्म दिया है 

Pahalgam Terrorist Attack: पाकिस्तान के पनाह दिए आतंकवाद ने न उसे छोड़ा, न भारत जैसे पड़ोसियों को और न सात समंदर पार बैठे किसी दूर देश को, जानिए कैसे.

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पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ की फाइल फोटो

पाकिस्तान और आतंकवाद, दोनों एक-दूसरे के पर्याय हैं. यह बात अतिशयोक्ति नहीं खुद पाकिस्तान की हिस्ट्रीशीट इसे साबित करती है. कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद फिर से पाकिस्तान के खून से सने हाथ को पूरी दुनिया देख रही है. भारत सैन्य दबाव और डिप्लोमेटिक रणनीति के जरिए पाकिस्तान को घेर रहा है, वहीं पाकिस्तान इस डर में डूबा हुआ है कि भारत कभी भी उसपर सैन्य कार्रवाई कर सकता है. सूत्रों से मिले इनपुट के अनुसार ऐसे में भारत की जांच एजेंसी ने पाकिस्तान की आतंकी करतूतों का पुलिंदा तैयार किया है. इसमें भारत ने बताया है कि पाकिस्तान ने खुद कब-कब आतंकवाद को पनाह देने और उसे बढ़ावा देने की बात कबूल की है. इसमें यह भी बताया गया है कि कैसे पाकिस्तान ने आतंकवाद के जरिए रूस से लेकर ईरान तक, दुनिया भर के देशों को जख्म दिया है.

रूस

22 मार्च 2024 को मॉस्को के बाहरी इलाके के एक कॉन्सर्ट हॉल पर हमला हुआ जिसमें कम से कम 145 लोगों की मौत हो गई. 4 आतंकी बंदूक से फायर करते दिखे. अप्रैल 2025 में मॉस्को आतंकी हमले की जांच में पाकिस्तान का लिंक सामने आया. रूसी अधिकारियों ने मास्टरमाइंड की पहचान ताजिक नागरिक के रूप में की है और पाकिस्तान से कनेक्शन की जांच कर रहे हैं. रिपोर्टों से पता चलता है कि हमलावरों को पाकिस्तानी नेटवर्क से सैन्य या वैचारिक समर्थन मिला हो सकता है.

ईरान

पाकिस्तान स्थित सुन्नी चरमपंथी समूह जैश उल-अदल ने सिस्तान और बलूचिस्तान प्रांत में ईरानी सुरक्षा बलों पर लगातार हमले किए हैं. जवाब में, ईरान ने 16 जनवरी 2024 को पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत के अंदर जैश उल-अदल के ठिकानों को निशाना बनाते हुए मिसाइल और ड्रोन हमले किए थे. ईरान लगातार पाकिस्तान पर सीमा पार हमले करने वाले सुन्नी आतंकवादियों को पनाह देने और उनके खिलाफ कार्रवाई करने में विफल रहने का आरोप लगाता रहा है.

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ब्रिटेन

7 जुलाई 2005 को चार सुसाइड बॉम्बर्स ने लंदन के ट्रांसपोर्ट नेटवर्क पर हमला किया, जिसमें 52 लोग मारे गए और 770 से अधिक अन्य घायल हो गए. जिन चार ब्रिटिश इस्लामी आतंकवादियों ने इसे अंजाम दिया, उन्हें पाकिस्तान में ट्रेनिंग और शिक्षा मिली थी. तीन हमलावरों-मोहम्मद सिद्दीक खान, शहजाद तनवीर और जर्मेन लिंडसे ने 2003 और 2005 के बीच पाकिस्तान में समय बिताया था. यानी हमला करने के पहले के 2 सालों तक.

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अमेरिका के नंबर 1 दुश्मन को दिया पनाह

2011 में अमेरिका ने पाकिस्तान के एबटाबाद में अल-कायदा नेता ओसामा बिन लादेन को मार गिराया गया. लादेन पाकिस्तान में छिपा था. इस सच्चाई ने पाकिस्तान के सिस्टम के अंदर की कालिख सबके सामने ला दी. बिन लादेन पाकिस्तान की मिलिट्री एकेडमी के पास एक कैंपस में सालों तक अज्ञात रूप से रहा था और उसे पकड़ा नहीं गया था. इससे ISI की मिलीभगत का संदेह पैदा हुआ था.

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बांग्लादेश

पाकिस्तान की ISI पर जमात-उल-मुजाहिद्दीन बांग्लादेश (JMB) को फंडिग करने और ट्रेनिंग देने का आरोप लगाया गया है. यह ढाका में 2016 के गुलशन कैफे हमले (20 बंधकों की हत्या) के लिए जिम्मेदार एक प्रतिबंधित इस्लामी समूह है. 2015 में, बांग्लादेशी अधिकारियों ने पाकिस्तानी राजनयिकों को JMB के ऑपरेटिव्स को फंड ट्रांसफर करते हुए रंगे हाथों पकड़ने के बाद निष्कासित कर दिया था.

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अफगानिस्तान

तालिबान और हक्कानी नेटवर्क के हमले में पाकिस्तान का पूरा हाथ रहा है. पाकिस्तान की खूफिया एजेंसी ISI (इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस) अफगान तालिबान और हक्कानी नेटवर्क का समर्थन करती रही है, उन्हें फंड, ट्रेनिंग और सुरक्षित पनाह देती रही है और इस बात को व्यापक रूप से डॉक्यूमेंट भी किया गया है. ये ग्रूप अफगान नागरिकों, सरकारी ठिकानों और अंतरराष्ट्रीय बलों पर कई घातक हमलों के लिए जिम्मेदार हैं, जिनमें 2008 में काबुल में भारतीय दूतावास पर बमबारी और 2011 में काबुल में अमेरिकी दूतावास पर हमला शामिल है.

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