ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका ने कोरोना के बीटा स्वरूप के लिए टीके का परीक्षण शुरू किया

इस परीक्षण में ब्रिटेन, दक्षिण अफ्रीका, ब्राजील और पोलैंड के लगभग 2,250 प्रतिभागियों को शामिल किया जाएगा. इस अध्ययन के लिए, प्रतिभागियों को स्वीकृत कोविड टीके की दो खुराक लेनी होगी.

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प्रतीकात्मक तस्वीर.
लंदन:

ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय (University of Oxford) ने सोमवार को कहा कि उसने कोरोना वायरस के बीटा स्वरूप पर काबू के लिए टीके का मानव परीक्षणों के तहत नए चरण के टीकाकरण की शुरुआत की है. वायरस का यह स्वरूप सबसे पहले दक्षिण अफ्रीका में मिला था. एस्ट्राजेनेका के साथ मिलकर अनुसंधान कर रहे ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के अनुसार एजेडडी 2816 ‘बूस्टर' टीका स्वयंसेवियों को B.1.351 स्वरूप के खिलाफ दिया जाएगा. आम तौर पर इसे वायरस का बीटा स्वरूप कहा जाता है. दूसरे और तीसरे चरण के परीक्षण एस्ट्राजेनेका द्वारा प्रायोजित होंगे और वही इसका नेतृत्व भी करेगी.

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इस परीक्षण में ब्रिटेन, दक्षिण अफ्रीका, ब्राजील और पोलैंड के लगभग 2,250 प्रतिभागियों को शामिल किया जाएगा. इस अध्ययन के लिए, प्रतिभागियों को स्वीकृत कोविड टीके की दो खुराक लेनी होगी. ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय में ऑक्सफोर्ड टीका समूह के मुख्य अनुसंधानकर्ता और निदेशक प्रोफेसर सर एंड्रयू जे पोलार्ड ने कहा कि मौजूदा टीकों और नए प्रकार के टीकों की ‘बूस्टर' खुराक परीक्षण यह सुनिश्चित करने के लिए अहम है कि हम कोरोना वायरस महामारी से आगे रहने के लिए अच्छी तरह से तैयार हैं. 

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एजेडडी 2816 टीका उन लोगों को लगाया जाएगा जिन्हें पहले ही मूल ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका टीके की दो खुराकें या फाइजर-बायोएनटेक जैसे एमआरएनए टीके लगाए जा चुके हैं. जिन लोगों ने टीका नहीं लगवाया है, ऐसे लोगों में एजेडडी 2816 दो खुराकों में चार या 12 सप्ताह के अंतराल पर दिया जाएगा या मूल ऑक्सफोर्ड -एस्ट्राजेनेका टीकों की पहली खुराक के चार सप्ताह के बाद दूसरी खुराक के रूप में दिया जाएगा.

(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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