नॉर्थ कोरिया के किम जोंग को जहाज पर जल्दी चाहिए न्यूक्लियर मिसाइल, वॉरशिप ‘ड्रैगन’ का परीक्षण किया

नॉर्थ कोरिया 5,000 टन के डिस्ट्रॉयर श्रेणी के नए युद्धपोत- चोए ह्योन को सबके सामने लेकर आया है. इसके बारे में कुछ एक्सपर्ट्स ने अनुमान लगाया है कि यह कम दूरी की सामरिक न्यूक्लियर मिसाइलों से लैस हो सकता है.

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नॉर्थ कोरिया के किम जोंग को जहाज पर जल्दी चाहिए न्यूक्लियर मिसाइल, वॉरशिप ‘ड्रैगन’ का परीक्षण किया
र्थ कोरिया 5,000 टन के डिस्ट्रॉयर श्रेणी के नए युद्धपोत के परिक्षण के वक्त किम जोंग

नॉर्थ कोरिया के तानाशाह किम जोंग उन को हथियारों से बहुत प्यार है. वो आए दिन अपनी सेना के साथ हथियारों के टेस्टिंग साइट पर पहुंच जाते हैं और अपने सामने नए-नए हथियारों की चलवाकर देखते हैं कि वो कितना कारगर है. अब उन्हें अपने नौसैनिक जहाजों पर भी न्यूक्लियर हथियार चाहिए. नॉर्थ कोरिया की सरकारी मीडिया ने बुधवार, 30 अप्रैल को बताया कि किम जोंग उन ने नौसेना के जहाजों को तेजी से न्यूक्लियर हथियारों से लैस करने का आदेश दिया. दरअसल किम जोंग एक नए युद्धपोत हथियार प्रणाली (वॉरशिप वेपन सिस्टम) का पहला परीक्षण देखने पहुंचे थे. वॉरशिप वेपन सिस्टम यानी एक ऐसा पानी का जहाज जिसपर तमाम हथियार होते हैं और वह दूसरे टारगेट पर हमला करने और दूसरे जहाजों को तबाह करने के लिए इस्तेमाल में आते हैं.

इस विकेंड नॉर्थ कोरिया 5,000 टन के डिस्ट्रॉयर श्रेणी के नए युद्धपोत- चोए ह्योन को सबके सामने लेकर आया है. इसके बारे में कुछ एक्सपर्ट्स ने अनुमान लगाया है कि यह कम दूरी की सामरिक न्यूक्लियर मिसाइलों से लैस हो सकता है.

कोरियाई सेंट्रल न्यूज एजेंसी (KCNA) ने कहा कि डिस्ट्रॉयर का दो दिनों का हथियार परीक्षण हुआ और किम जोंग पहले दिन निरीक्षण करने पहुंचे थे. इसके बाद उन्होंने अधिकारियों को "नौसेना के न्यूक्लियर हथियारों में तेजी लाने" पर काम करने का आदेश दिया.

नॉर्थ कोरिया ने पहले कहा था कि यह जहाज "सबसे शक्तिशाली हथियारों" से लैस है, और यह "अगले साल की शुरुआत में परिचालन में आएगा". एक्सपर्ट्स ने कहा है कि इसके आकार को देखते हुए, ऐसा माना जाता है कि यह युद्धपोत जहाज से सतह और जहाज से हवा में मार करने वाली मिसाइलें ले जा सकता है.

KCNA न्यूज एजेंसी ने कहा कि प्योंगयांग ने सोमवार को अपनी "सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल, रणनीतिक क्रूज मिसाइल, विमान भेदी मिसाइल और 127 मिमी जहाज-आधारित ऑटोमेटिक बंदूक" का भी परीक्षण किया.

वहीं नॉर्थ कोरिया के पड़ोसी देश और उसके सबसे बड़े विरोधी साउथ कोरिया के रक्षा मंत्रालय ने कहा कि वह अमेरिका के सहयोग से "नॉर्थ कोरिया की सेना के जहाज निर्माण और विकास के रुझानों पर बारीकी से नजर रख रहा है".
 

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