उत्तर कोरिया और दक्षिण कोरिया में जंग के आसार, कौन किस पर पड़ेगा भारी

जब हालात एक बार सेना के आमने सामने आने पर पहुंच रहा है तो यह जरूरी हो जाता है कि यह समझा जाए कि दोनों देशों की सेना में कितना ताकत है. कौन किस पर भारी पड़ रहा है.

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नई दिल्ली:

North Korea and South Korea Tension: उत्तर कोरिया और दक्षिण कोरिया में दुश्मनी की बात नई है. उत्तर कोरिया में तानाशाह किम जोंग उन (North Korea Kim Jong Un) का शासन चल रहा है और दक्षिण कोरिया (South Korea) में लोकतंत्र है. किम जोंग उन पिछले काफी सालों से देश की सेना को दुनिया की सबसे ताकतवर सेना बनाने के जुनून के साथ काम करने में लगे हैं. उत्तर कोरिया का मिसाइल प्रोग्राम दुनिया के किसी भी शक्तिशाली देश से कम नहीं है. ऐसे में उत्तर कोरिया को चीन और रूस का साथ उसे और ताकतवर बना रहा है. ऐसी परिस्थिति में उत्तर कोरिया ने कहा है कि उसने अपनी सेना को फ्रंट लाइन (North Korea army at borders) पर तैनात कर दिया है. किम जोंग उन की सेना का कहना है कि उसकी फ्रंट लाइन की टुकड़ी हाई अलर्ट पर है और हमले के लिए तैयार है. 

दक्षिण कोरिया पर ड्रोन उड़ाने का आरोप

उत्तर कोरिया अमूमन हमेशा ही काफी उग्र दिखता रहा है, लेकिन हालिया बयान और स्थिति इसलिए उत्पन्न हुई है क्योंकि प्योंगयांग का कहना है कि दक्षिण कोरिया का ड्रोन उसके इलाके के ऊपर उड़ता देखा गया है. उत्तर कोरिया के आरोप पर दक्षिण कोरिया की ओर से कोई भी स्पष्ट उत्तर नहीं दिया गया है. इस मामले पर न तो दक्षिणी कोरिया ने ड्रोन की बात को स्वीकारा है और न ही इंकार किया है. यही वजह है कि दोनों देशों में एक बार तनाव बढ़ गया है. 

ड्रोन के जरिए बांटे के लीफलेट

उत्तर कोरिया ने आरोप लगाया है कि 11 अक्तूबर को दक्षिण कोरिया ने अपने ड्रोन से प्योंगयांग पर प्रोपैगंडा लीफलेट बरसाए हैं. इस घटना का आरोप लगाते हुए उत्तर कोरिया ने कहा कि ऐसा भविष्य में हुआ तो अंजाम बुरा होगा. उत्तर कोरिया के रक्षा मंत्रालय ने इसके बाद कहा कि उसने दक्षिण कोरिया की सीमा के पास तैनात अपनी आर्टलिरी और अन्य इकाइयों को फायरिंग के लिए पूरी तरह से तैयार रहने को कहा है.

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किस सेना में कितनी ताकत

जब हालात एक बार सेना के आमने सामने आने पर पहुंच रहा है तो यह जरूरी हो जाता है कि यह समझा जाए कि दोनों देशों की सेना में कितना ताकत है. कौन किस पर भारी पड़ रहा है. ग्लोबल फायर पावर की ताज़ा रिपोर्ट को देखें तो उत्तर कोरिया की कुल आबादी 2,60,72,000 है और रक्षा बजट करीब साढ़े 3 अरब डॉलर बताया जाता है. उसके पास 13,20,000 जवान एक्टिव हैं, जबकि 5,60,000 जवान रिजर्व में हैं. इसके अलावा अर्धसैनिक बलों के एक लाख जवान भी उत्तर कोरिया की सैन्य ताकत में शामिल हैं. इसके साथ ही उत्तर कोरिया के पास कुल 951 एयरक्राफ्ट में से 440 फाइटर हैं. इसके अलावा 205 हेलीकॉप्टर है जिसमें से 20 लड़ाकू हेलिकॉप्टर हैं. रिपोर्ट के अनुसार उत्तर कोरिया के पास 5,845 टैंक हैं. 24,696 आर्म्ड व्हीकल, 4500 सेल्फ प्रोपेल्ड आर्टिलरी, 2920 मोबाइल रॉकेट प्रोजेक्टर्स, 35 पनडुब्बियां आदि की ताकत है. 

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दक्षिण कोरिया के साथ अमेरिका

अब बात करते हैं दक्षिण कोरिया की. दक्षिण कोरिया की आबादी 5,19,70,000 से करीब बताई जाती है.  दक्षिण कोरिया का रक्षा बजट करीब 48 अरब डॉलर है. बताया जाता है कि दक्षिण कोरिया का रक्षा बजट दुनिया में 8वें स्थान पर आता है. पहले यह देश अमेरिका पर ज्यादा निर्भर था लेकिन पिछले कुछ दशकों में दक्षिण कोरिया ने इस दिशा में आत्मनिर्भरता की ओर ध्यान दिया है. इसके बाद भी अमेरिका से रक्षा उत्पाद आयात करने के लिए मामले में दक्षिण कोरिया तीसरे स्थान पर आता है. 

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दक्षिण कोरिया के पास 6 लाख के करीब एक्टिव और 31 लाख रिजर्व सैनिक हैं. यहां पर अर्धसैनिक बलों के जवानों की संख्या 1.20 लाख है. दक्षिण कोरिया के पास 1576 एयरक्राफ्ट हैं और इनमें से 354 फायटर हैं. इसके अलावा दक्षिण कोरिया के पास 758 हेलीकॉप्टर हैं. और इनमें से 12 लड़ाकू हेलीकॉप्टर हैं. दक्षिण कोरिया के 2501 टैंक, 66,492 आर्म्ड व्हीकल, 3189 सेल्फ प्रोपेल्ड आर्टिलरी, 581 मोबाइल रॉकेट प्रोजेक्टर्स, 22 पनडुब्बियां, आदि हैं. 

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दुश्मनी का क्या है इतिहास

बात कुछ इतिहास की जिससे दोनों देशों के बीच के तनाव को समझा जा सकता है. 1910 से कोरिया के बंटवारे की कहानी आरंभ होती है. जापान ने कोरिया पर कब्जा कर लिया था. जापान की विस्तारवादी नीति का असर पूरे एशिया पर पड़ रहा था. एशिया के बड़े हिस्से पर जापान का कब्जा हो गया था. वहीं, दूसरे विश्व युद्ध में जापान की करारी हार हुई तब चीन का एक अहम हिस्सा, कोरिया, वियतनाम और ताइवान आजादी की राह पर चल पड़े. इस समय कोरिया के उत्तरी हिस्से में तत्कालीन सोवियत संघ की सेनाएं मौजूद थीं, जबकि दक्षिणी हिस्से पर अमेरिका का असर था.

ऐसे में विश्व युद्ध खत्म होने के बाद अमेरिका ने कोरिया में लोकतांत्रिक सरकार के गठन की शुरुआत की. उधर, उत्तर कोरिया वाले हिस्से का शासन सोवियत संघ अपने पास रखना चाहता था. कम्युनिस्ट सोवियत यहां पर साम्यवाद को बढ़ा रहा था. हालात कदर खराब हो गए कि कोरिया के दोनों हिस्सों में तनाव चरम पर पहुंच गया और किसी भिड़ंत को दूर करने के इरादे से एक सीमा रेखा तय की गई, जिसे 38वीं समानांतर रेखा कहा गया था. 

1948 में के मई संयुक्त राष्ट्र की पहल पर कोरिया में चुनाव हुए तो केवल दक्षिणी हिस्से के लोगों ने इस चुनाव में भाग लिया. ऐसे में सोवियत संघ का प्रभाव उत्तर कोरिया में काफी हो चुका था और यहां के लोग चुनाव से दूर ही रहे. इस तरह बिना किसी दखलंदाजी के कोरिया दो हिस्सों में बंट गया. चुनाव में भाग लेने वाले लोगों को मिला रिपब्लिक ऑफ कोरिया यानी दक्षिण कोरिया. उत्तर कोरिया ने यूएन के द्वारा कराए  चुनाव को मान्यता नहीं दी और सितंबर 1948 में खुद को एक अलग देश डेमोक्रेटिक रिपब्लिक पीपल्स ऑफ कोरिया या उत्तर कोरिया के रूप में घोषित कर दिया. तब उत्तर कोरिया में किम इल-सुंग का शासन था और आगे उन्हीं के परिवार के लोगों का शासन चला आ रहा है. 

युद्ध के कितने आसार

दोनों देशों के बीच तनाव पहले भी कई बार हुआ है, लेकिन तनातनी के बाद मामला शांत हो गया. उत्तर कोरिया पिछले कुछ समय से अमेरिका का धमकाता आ रहा है. साथ ही अपने मिसाइल कार्यक्रम को जिस प्रकार से आगे बढ़ा रहा है और हर बार यह दर्शाने की कोशिश करता है कि वह अमेरिका तक  हमला करने की क्षमता विकसित कर चुका है. अमेरिका और दक्षिण कोरिया काफी घनिष्ठ संबंध रहे हैं. ऐसे में यह माना जा रहा है कि दोनों देशों में तनाव भले ही हो लेकिन युद्ध होने की संभावना कम है. लेकिन जिस प्रकार से दुनिया में हालात बने हुए हैं ऐसे में कब क्या यह नहीं कहा जा सकता है. 

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