- नोबेल शांति पुरस्कार के लिए डोनाल्ड ट्रंप की दावेदारी को कई कारणों से झटका लग सकता है
- सात युद्ध रोकने के ट्रंप के दावे विरोधाभासी और भ्रामक पाए गए हैं. भारत ने भी उनके दावे को नकारा है.
- इजरायल-फलस्तीन संघर्ष को लेकर ट्रंप का शांति प्रयास और गाजा पीस प्लान भी खतरे में है
Nobel Prize Announcement Date Time: नोबेल पुरस्कार का ऐलान 6 अक्टूबर से शुरू होगा. लोगों को सबसे ज्यादा इंतजार 10 अक्टूबर को होने वाले नोबेल शांति पुरस्कार का है, क्योंकि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने खुद अपनी दावेदारी चमकाने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ रखी थी. लेकिन विशेषज्ञों की ओर अब तक जो संकेत मिल रहे हैं, उसके अनुसार, ट्रंप के हाथों से ये नोबेल प्राइज फिसल सकता है. जबकि उन्होंने आखिरी वक्त भी गाजा पीस प्लान का बड़ा दांव चला. नोबेल पुरस्कार की घोषणा से कुछ दिन पहले ही अमेरिकी राष्ट्रपति ने इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू को व्हाइट हाउस बुलाया था ताकि गाजा में दो साल से चल रहे इजरायली सैन्य अभियान को खत्म कराया जा सके. लेकिन हमास और नेतन्याहू के तेवरों से इस पर पानी फिरता दिख रहा है.
1. नॉमिनेशन भी हुआ है या नहीं ?
नोबेल शांति पुरस्कारों के लिए किसी को नामित करने की समयसीमा 31 जनवरी 2025 थी, यानी ट्रंप के 20 जनवरी को राष्ट्रपति बनने के 11 दिन बाद. जबकि नेतन्याहू, पाकिस्तान के पीएम शहबाज शरीफ हों या दूसरे अन्य नेताओं ने ट्रंप को काफी बाद में नामित किया था. ऐसे में ट्रंप का नॉमिनेशन भी हो पाया है या नहीं.
2. ट्रंप के 7 युद्ध रुकवाने के दावे कितने सही
ट्रंप ने भारत-पाकिस्तान के बीच ऑपरेशन सिंदूर के दौरान युद्ध रुकवाने का आदेश दिया, लेकिन भारत ने मजबूती से इस दावे का खंडन किया. पीएम मोदी ने संसद में दो टूक कहा कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पाकिस्तान के गिड़गिड़ाने पर भारत ने कार्रवाई रोकी थी.
3. आर्मेनिया-अजरबैजान का युद्ध
आर्मेनिया और अजरबैजान (Armenia-Azerbaijan) के बीच संघर्ष एक बार फिर भड़का.ट्रंप ने दोनों नेताओं को शांति के लिए वाशिंगटन बुलाया, लेकिन किसी समझौते पर दस्तखत नहीं हुए. दोनों देशों के बीच ये सीमा विवाद पुराना है और अक्सर गोलीबारी होती रहती है.
4. कंबोडिया और थाईलैंड में गोलीबारी युद्ध नहीं
कंबोडिया और थाईलैंड के बीच (Cambodia-Thailand) प्राचीन शिव मंदिर के निकट सीमा को लेकर विवाद में फिर गोलीबारी चली, एफ-16 लड़ाकू विमानों का भी इस्तेमाल हुआ. लेकिन ट्रंप के दावे से उलट दोनों देशों के बीच सीजफायर आसियान (ASEAN) की पहल पर हुआ.
5. बड़बोले ट्रंप के दावे गलत निकले
सर्बिया-कोसोवो, रवांडा और कांगो के बीच सीमा विवाद पुराना है और उनके बीच स्थायी शांति कभी नहीं आई. मिस्र और इथियोपिया के बीच (Egypt-Ethiopia) युद्ध नहीं हुआ, बल्कि पानी को लेकर विवाद था. ऐसे में यहां भी ट्रंप का दावा मजबूत नहीं था.
6. इजरायल और फलस्तीन में शांति पर सवाल
गाजा पट्टी में सक्रिय आतंकी संगठन हमास ने 7 अक्टूबर 2023 को इजरायल पर भीषण हमला किया था. हमास के 6 हजार लड़ाकों ने 119 जगहों से इजरायली बॉर्डर को भेद दिया. 4 हजार से ज्यादा रॉकेट दागे. इसमें विदेशी नागरिकों समेत 1200 इजरायली मारे गए. जबकि 250 के करीब बंधक बनाए गए. इसके खिलाफ इजरायल के गाजा पट्टी में चले अभियान में 60 हजार से ज्यादा नागरिक मारे जा चुके हैं. इसमें डॉक्टर, पत्रकार और मानवाधिकार समूह के लोगों को भी झटका है. गाजा पीस प्लान भी खतरे में लग रहा है. आरोप यह भी लगा है कि ट्रंप लगातार इजरायल के रुख का समर्थन कर रहे हैं.
7. रूस यूक्रेन युद्ध रोकने में नाकामी
अमेरिकी राष्ट्रपति के भरसक प्रयासों के बावजूद ट्रंप रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध नहीं रुकवा सके. अलास्का समिट के बाद ट्रंप ने यूक्रेन को 20 फीसदी जमीन रूस को देने की अजीबोगरीब सलाह भी दे दी, जो किसी देश की संप्रभुता पर हमला था.
8, घरेलू मोर्चो पर झटका
नार्वे की नोबेल प्राइज चयन समिति शांति अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों, संगठनों, कानूनों और लोकतांत्रिक मूल्यों पर बहुत ध्यान देती है. घरेलू मोर्चे पर दावेदार नेताओं के कामकाज के तरीकों का मूल्यांकन करती है. लेकिन अवैध अप्रवासियों के खिलाफ ट्रंप ने जिस तरह डेमोक्रेटिक कब्जे वाले प्रांतों में नेशनल गार्ड्स उतारे. हार्वर्ड जैसे उच्च शिक्षा संस्थानों की फंडिंग रोकने जैसे कदम भी उनकी दावेदारी के लिए झटका हैं.
9. ट्रंप के अजीबोगरीब कदम
अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा के नाम पर कनाडा से ग्रीनलैंड मांगना
जलवायु परिवर्तन को बड़ा धोखा बताना
संयुक्त राष्ट्र, ब्रिक्स जैसी संस्थाओं पर हमले करना
इजरायल के युद्ध में शामिल होकर ईरान पर भयानक हमला करना
एकतरफा ट्रंप टैरिफ से वैश्विक व्यापार और खुले व्यापार की नीतियों को झटका
10. नोबेल के लिए खुलेआम धमकी
ट्रंप ने तो यहां तक कह डाला कि अगर उन्हें नोबेल पीस प्राइज नहीं मिला तो ये अमेरिका का अपमान होगा. लेकिन ओस्लो में नोबेल शांति पुरस्कार चयन से जुड़े विशेषज्ञों का कहना है कि अमेरिका फर्स्ट को लेकर विभाजनकारी नीतियों को बढ़ावा दे रहे ट्रंप के लिए मौका बेहद कम है. नोबेल प्राइज पर किताब लिखने वाले इतिहासकार ओएविंड स्टीनर्सन का कहना है कि इस शांति पुरस्कार के लिए तय मानकों से कई मायनों में उलट ट्रंप का रुख है. स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (SIPRI)के प्रमुख करीम हगाग का कहना है कि शांति के प्रयासों में गंभीरता देखनी चाहिए. इस साल 338 व्यक्तियों और संगठनों का नामांकन हुआ है, लेकिन 50 सालों से नाम गोपनीय रखने की परंपरा है.
अमेरिका के 4 राष्ट्रपतियों को नोबेल
अमेरिका के अब तक 4 राष्ट्रपतियों को नोबेल पुरस्कार मिला है. इसमें थियोडोर रूजवेल्ट को 1906 में, वुडरो विल्सन को 1919 में, जिमी कार्टर को वर्ष 2002 में और बराक ओबामा को वर्ष 2009 में यह सम्मान मिला था. ओबामा को उनके कार्यकाल के नौवें महीने में ही ये नोबेल पीस प्राइज मिला था. ट्रंप भी ऐसा ही ख्वाब देख रहे हैं.
विशेषज्ञों की राय भी पक्ष में नहीं
विशेषज्ञों का कहना है कि 5 सदस्यीय चयन नार्वे नोबेल कमेटी शांति प्रयासों की स्थिरता, दुनिया में भाईचारा बढ़ाने और वैश्विक संस्थाओं को मजबूत करने जैसे मुद्दों पर ध्या नदेती है, लेकिन ट्रंप का रिकॉर्ड उलट है. उन्होंने तो नार्वे की सरकार से भी सीधे इस पर बात की थी. ट्रंप को 2018 केबाद से कई बार नामित किया जा चुका है. नोबेल के पूर्व विजेताओं का भी कहना है कि कूटनीतिक प्रयासों के शोरशराबे से दूर समिति शांति के बहुपक्षीय प्रयासों को देखती है. पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट ओस्लो के निदेशक नीना ग्रेगर का कहना है कि चयन समिति किसी दबाव में आना पसंद नहीं करती.
नोबेल पुरस्कारों का ऐलान कब
नोबेल पुरस्कार का ऐलान 6 अक्टूबर को मेडिसिन क्षेत्र के नोबेल पुरस्कार से होगा. इसके बाद 7 अक्टूबर को फिजिक्स, 8 को केमिस्ट्री और 9 अक्टूबर को साहित्य के नोबेल पुरस्कार की घोषणा होगी. नोबेल शांति पुरस्कार 10 अक्टूबर को और नोबेल मेमोरियल प्राइज (इकोनॉमिक साइंस) की घोषणा 13 अक्टूबर को होगी.