ट्रंप का चांस कम! तो फिर किसे मिलेगा शांति का नोबेल पुरस्कार?

Nobel Peace Prize 2025: आखिर एक्सपर्ट क्यों मान रहें कि डोनाल्ड ट्रंप के काम नोबेल शांति पुरस्कार के आदर्शों के अनुरूप नहीं हैं और इसको साबित करने की लिस्ट लंबी है.

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डोनाल्ड ट्रंप को नोबेल मिलना लगभग असंभव क्यों?
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  • अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को इस वर्ष शांति का नोबेल पुरस्कार मिलना बहुत मुश्किल माना जा रहा है
  • ट्रंप की अमेरिका फर्स्ट नीतियां और अंतरराष्ट्रीय सहयोग से हटना नोबेल पुरस्कार के आदर्शों के खिलाफ- एक्सपर्ट्स
  • इस साल शांति के नोबेल पुरस्कार के लिए कुल 338 व्यक्तियों और संगठनों को नॉमिनेट किया गया है
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“मैं दुनिया का का सबसे बड़ा शांतिदूत हूं और मुझे ही शांति का नोबेल पुरस्कार मिलना चाहिए”…. अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप चाहे जितनी बार घुमा-फिरा कर यह बात बोल लें, लेकिन एक चीज जो लगभग तय मानी जा रही है कि उन्हें इस साल शांति का नोबेल पुरस्कार तो नहीं मिलेगा. हालांकि हर साल की तरह इस साल भी यह सस्पेंस बना हुआ है कि यह प्रतिष्ठित पुरस्कार किसकी झोली में गिरेगा. नॉर्वे की राजधानी ओस्लो में स्थित नॉर्वेजियन नोबेल समिति शुक्रवार, 10 अक्टूबर को भारतीय समयानुसार दोपहर के 3.15 के आसपास विजेता की घोषणा करके इस सस्पेंस को समाप्त कर देगी.

ट्रंप को नोबेल मिलना लगभग असंभव क्यों?

ट्रंप ने बार-बार झूठा दावा किया है कि वह "आठ जंग" को सुलझाने के लिए इस प्रतिष्ठित पुरस्कार के हकदार हैं. झूठा इसलिए क्योंकि कम से कम भारत और पाकिस्तान के संघर्ष में सीजफायर कराने को लेकर उन्होंने सफेद झूठ तो बोला ही है. वैसे भी विशेषज्ञों का अनुमान है कि वह इस पुरस्कार के लिए समिति की पसंद नहीं होंगे - कम से कम इस साल तो नहीं. न्यूज एजेंसी एएफपी की रिपोर्ट के अनुसार अंतरराष्ट्रीय मामलों के एक्सपर्ट स्वीडिश प्रोफेसर पीटर वालेंस्टीन ने बताया, "नहीं, इस साल ट्रंप को नहीं मिलेगा होंगे… लेकिन शायद अगले साल तक? तब तक गाजा संकट सहित उनकी तमाम पहलों पर धूल जम चुकी होगी."

कई एक्सपर्ट ट्रंप के "शांतिदूत" के दावों को बढ़ा-चढ़ाकर कहा हुआ मानते हैं और उनकी "अमेरिका फर्स्ट" नीतियों के परिणामों पर चिंता जताते हैं. ओस्लो के पीस रिसर्च इंस्टिट्यूट की प्रमुख नीना ग्रेगर ने कहा, "गाजा के लिए शांति स्थापित करने की कोशिश के अलावा, हमने ऐसी नीतियां देखी हैं जो वास्तव में (अल्फ्रेड) नोबेल के इरादों और वसीयत में लिखी गई बातों के खिलाफ जाती हैं, विशेष रूप से अंतरराष्ट्रीय सहयोग, देशों के बीच भाईचारा और हथियारों को कम करने को बढ़ावा देने के लिए."

ग्रेगर के लिए, ट्रंप के काम नोबेल शांति पुरस्कार के आदर्शों के अनुरूप नहीं हैं, इसको साबित करने की लिस्ट लंबी है. ट्रंप ने अमेरिका को अंतरराष्ट्रीय संगठनों और बहुपक्षीय संधियों से अलग कर लिया है. सहयोगी और दुश्मन देश, दोनों के खिला व्यापार युद्ध शुरू कर दिया है. वो बलपूर्वक डेनमार्क से ग्रीनलैंड लेने की धमकी दे रहे हैं, वो अमेरिकी शहरों में अपनी सेना को भेज रहे हैं. इतना ही नहीं वो अमेरिका के अंदर यूनिवर्सिटीज की शैक्षणिक स्वतंत्रता के साथ-साथ अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमला कर रहे हैं.

तो किसको मिलेगा शांति का नोबेल?

इस साल कुल मिलाकर 338 व्यक्तियों और संगठनों को शांति पुरस्कार के लिए नॉमिनेट किया गया है. शुक्रवार को हमें सिर्फ विजेता का नाम पता चलेगा और बाकि की पूरी लिस्ट अगले 50 सालों तक गुप्त रखी जाएगी. पिछले साल यानी 2024 में, परमाणु हथियारों पर प्रतिबंध लगाने के प्रयासों के लिए यह पुरस्कार जापान पर हुए परमाणु हमले में बचे लोगों के समूह निहोन हिडानक्यो को यह पुरस्कार दिया गया था.

इस साल किसी एक का नाम पुरस्कार जीतने के लिए फेवरेट के रूप में आगे नहीं चल रहा है. ऐसे में शुक्रवार की घोषणा से पहले ओस्लो में कई नाम चर्चा में हैं. एएफपी की रिपोर्ट के अनुसार सूडान की इमरजेंसी रिस्पॉन्स टीम का नाम भी इसमें शामिल है जो युद्ध और अकाल से जूझ रहे लोगों को खाना खिलाने और उनकी मदद करने के लिए अपनी जान जोखिम में डालने वाले वॉलंटियर्स का एक नेटवर्क है. ऐसे ही रूस की पुतिन सरकार के आलोचक एलेक्सी नवलनी की विधवा पत्नी यूलिया नवलनाया का नाम भी लिया जा रहा है. ऑफिस फॉर डेमोक्रेटिक इंस्टीट्यूशंस एंड ह्यूमन राइट्स इलेक्शन वॉचडॉग पर भी नजर रहेगी.

एएफफी की रिपोर्ट के अनुसार नोबेल समिति UN के महासचिव एंटोनियो गुटेरेस, या UN की शरणार्थी एजेंसी UNHCR या फिर फिलिस्तीनी राहत एजेंसी UNRWA जैसी संयुक्त राष्ट्र संस्था को पुरस्कार देकर ट्रंप को एक मैसेज भी दे सकती है. 

इसके अलावा इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस या इंटरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट, या फिर कमिटी टू प्रोटेक्ट  जर्नलिस्ट या रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स को भी यह पुस्कार दिया जा सकता है. अब हमारी नजरें होंगी शुक्रवार की तरफ जब इस सस्पेंस से पर्दा उठेगा. ख्याल रहे कि विजेता चुनने वाली समिति ऐसा नाम भी चुन सकती है (जैसा उसने कई बार पहले किया है) जिसका अंदाजा किसी ने नहीं लगाया है.

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