ताइवान (Taiwan) को लेकर एक बार फिर अमेरिका और चीन (US-China) के बीच तनाव बढ़ता नज़र आ रहा है. चीन (China) ने सोमवार को कहा कि वो ताइवान (Taiwan) को लेकर अपने राष्ट्रीय हितों की रक्षा करने के लिए तैयार है. अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन (Joe Biden) की तरफ से ताइवान पर आक्रमण होने पर उसे सैन्य सुरक्षा देने की बात कहने के बाद चीन (China) की ओर से निंदा करते हुए यह बयान आया है. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता वांग वेनबिन (Wang Wenbin) ने पत्रकारों से कहा, "किसी को भी चीन के पक्के संकल्प, राष्ट्रीय संप्रभुता और सीमाई अखंडता की रक्षा करने की चीनी लोगों की निष्ठावान इच्छाशक्ति और मजबूत क्षमता को कम नहीं आंकना चाहिए."
इससे पहले अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन ने बोला था कि अगर 'चीन ने ताइवान पर हमला किया तो अमेरिका ताइवान की सैन्य मदद करेगा. चीन ताइवान को अपना हिस्सा मानता है जबकि ताइवान खुद को एक स्वतंत्र देश की तरह देखता है.
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने मंगलवार को कहा कि अगर चीन स्व-शासित द्वीप ताइवान पर आक्रमण करता है तो अमेरिका ताइवान की सैन्य मदद करेगा. जो बाइडेन ने चेतावनी देते हुए कहा कि चीन,"खतरे से खेल रहा है."
जो बाइडेन से पूछा गया था कि अगर चीन ताइवान को जबरन अपने नियंत्रण में लेना चाहेगा तो क्या अमेरिका सैन्य हस्तक्षेप करेगा? इसके जवाब में जो बाइडेन ने कहा," हमने यही वादा किया था. हम एक चीन नीति (One China Policy) पर राजी हुए, हमने उसपर हस्ताक्षर किए...लेकिन यह सोचना गलत है कि कि ताइवान को बल के प्रयोग से छीना जा सकता है."
सात दशकों से अधिक समय तक अलग शासन करने के बावजूद, चीन ताइवान को धमकी दे चुका है कि "ताइवान की स्वतंत्रता" का अर्थ युद्ध होगा. पिछले साल 1 जून को, चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने स्व-शासित ताइवान के साथ पूर्ण एकीकरण का संकल्प लिया था और द्वीप के लिए औपचारिक स्वतंत्रता के किसी भी प्रयास को विफल करने की कसम खाई थी.
अमेरिकी ट्रेड चीफ कैथरीन ताई ने बैंकॉक में पिछले हफ्ते मंत्रीमंडलीय बैठक से हटकर बिना किसी पोर्टफोलियो वाले ताइवानी मिनिस्टर जॉन डेंग से मुलाकात की थी. यहां दोनों के बीच आर्थिक संबंधों को और मजबूत करने पर बात हुई. चीन के वरिष्ठ राजनायिकों ने अमेरिका को चेतावनी दी थी कि वो ताइवान को लेकर "गलत रास्ते पर" जा रहा है.
चीन ने कहा कि अमेरिका की रणनीति स्वतंत्रता और खुलेपन के बैनर के तले है, लेकिन अमेरिका चीन को काबू में करने के लिए "छोटे समूह" बना रहा है.