"अस्पतालों में बेड नहीं, स्वास्थ्यकर्मी हड़ताल पर:" संकट से गुजर रहा यूके का हेल्थकेयर सिस्टम

ब्रिटेन के अस्पतालों में नर्सिंग स्टाफ के लिए ये तय करना मुश्किल हो रहा है कि कौन सा मरीज सबसे गंभीर है. इलाज के लिए किसे भीड़ भरे इमरजेंसी रूम में बुलाया जाए. बगैर इलाज के लिए मरीजों की मौत हो रही है.

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1948 में एनएचएस की स्थापना के बाद से स्थिति को सबसे खराब संकट के रूप में वर्णित किया जा रहा है.
लंदन:

ब्रिटेन का हेल्थ केयर सिस्टम (Healthcare System) पूरी तरह से ठप पड़ गया है. हेल्थ वर्कर्स की हड़ताल और इमरजेंसी सर्विस ठप होने से मरीज अस्पतालों के फर्श, गलियारों, फंसी हुई एंबुलेंस और अन्य जगहों पर मर रहे हैं. मरीज भी इसकी जानकारी दे रहे हैं कि वहां के हाल कैसे हैं. वैसे एनएचएस में हमेशा ही समस्याएं रही थीं. लेकिन हालात कोविड-19 महामारी के बाद लॉकडाउन और फिर रूस-यूक्रेन युद्ध, ब्रेग्जिट आदि के प्रभावों के कारण और खराब होते चले गए.

पांच वर्षीय यूसुफ महमूद नज़ीर की अस्पताल से घर भेजे जाने केT बाद निमोनिया ने मौत हो गई. जबकि उसका शुरुआती इलाज करने वाले डॉक्टर ने उसके टॉन्सिलिटिस को अब तक का सबसे बुरा बताया था. 68 वर्षीय मार्टिन क्लार्क को सीने में दर्द होने पर एंबुलेंस के लिए 45 मिनट इंतजार करने के बाद अस्पताल पहुंचाया जा सका. जहां कुछ देर में ही उनकी कार्डियक अरेस्ट से मौत हो गई. वहीं, बुधवार को नर्सों के हड़ताल पर जाने के बाद ब्रिटेन की सरकारी राष्ट्रीय स्वास्थ्य सेवा (NHS) में मरीजों के सामने बड़ी संकट को और उजागर किया है.

इमरजेंसी केस को देखने वाली नर्स ओर्ला डोले ने न्यूज एजेंसी AFP को बताया, "हम नर्सों के रूप में हर दिन काम पर जाते हैं. हम अपना सर्वश्रेष्ठ करते हैं. लेकिन हमारा सर्वश्रेष्ठ पर्याप्त नहीं है. ऐसा इसलिए है, क्योंकि हमारे काम का बोझ बढ़ता जा रहा है. हमारे संसाधन उस से मेल नहीं खा रहे हैं." 

वह आगे कहती हैं, "यह (हड़ताल) उन लोगों के लिए है, जिन्हें दिल का दौरा पड़ रहा है और इलाज नहीं हो रहा है, क्योंकि उनके पास जाने के लिए कोई एम्बुलेंस नहीं है. यह हड़ताल उन कैंसर मरीजों के लिए भी है, जिनकी सर्जरी नहीं हो पा रही है, क्योंकि उनके ऑपरेशन के लिए कोई बेड खाली नहीं है."

ओर्ला डोले बताती हैं, "हमारी हड़ताल उन बुजुर्ग मरीजों के लिए भी हैं, जो अकेले वार्ड में मरने का इंतजार कर रही हैं, क्योंकि वहां कोई नर्स नहीं है, जो उसका हाथ पकड़ सके. क्योंकि यहां पर्याप्त नर्सें ही नहीं हैं."

दिक्कतें
1948 में एनएचएस की स्थापना के बाद से स्थिति को सबसे खराब संकट के रूप में वर्णित किया जा रहा है. एक्सीडेंट और इमरजेंसी केस के लिए भी मेडिकल सुविधाएं नहीं मिल पा रही हैं. इसमें अन्य बीमारियों के इलाज के लिए लंबा इंतजार भी शामिल है. एनएचएस इंग्लैंड के अनुसार, दिसंबर में रिकॉर्ड 54,532 लोगों ने एक्सीडेंट और इमरजेंसी सेक्शन में पहुंचने के बाद 12 घंटे से अधिक समय तक इंतजार किया.

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A&E के डॉक्टर वहीद एरियन ने इस सप्ताह 'द टाइम्स' को बताया कि मध्य इंग्लैंड के कोवेंट्री में उनके अस्पताल के बाहर एक बार उनका सामना 14 एंबुलेंस से हुआ था. उन्होंने बताया, "मुझे प्रत्येक एम्बुलेंस को खोलना था और अंदर देखना था. मुझे तय करना था कि इनमें से किस मरीज को एडमिट किया जा सकता है, क्योंकि हमारे पास केवल दो बेड थे."

डॉक्टर वहीद एरियन बताते हैं, "वे सभी पीड़ित थे, उन सभी को बेड मिलना चाहिए था. एनएचएस इतने संकट से गुजर रहा है कि हमें वो भी करने के लिए कहा जा रहा है जो हमें नहीं करना चाहिए. हमें मरीजों को इलाज करने से मना करना पड़ रहा है. 

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कम इनकम के खिलाफ हड़ताल
निजी क्षेत्र में पिछले दशक में नर्सों की आय में सबसे ज्यादा 6 फीसदी की गिरावट देखने को मिली. जबकि बाकी स्वास्थ्य कर्मियों की आय में गिरावट केवल 3 फीसदी से कुछ ही ज्यादा थी. इसी वजह से इस दौरान नौकरी छोड़ने वाली नर्सों की संख्या 27 हजार से 38 हजार हो गई. ये कुल 42 फीसदी है. यही वजह है कि नर्सों को और उसके साथ हजारों एम्बुलेंस कर्मचारियों को भी हड़लात पर जाना पड़ा.

वहीं, ब्रिटेन के एनएचएस ने पिछले 40 सालों से नर्सों की ट्रेनिंग पर खर्चे कम कर दिए हैं. इसकी वजह से फिलीपींस और भारत से नर्सें यहां आ रही हैं. यूरोप से आई बहुत सारी नर्सें ब्रेग्जिट के बाद अपने देश वापस लौट गई हैं. यहां तक कि फिलीपींस से आई बहुत सी नर्सें बेहतर वेतन के लिए अमेरिका जा रही हैं. 

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