कोरोना के खिलाफ लड़ाई में भारत की मदद के लिए NGO ने जुटाए 47 लाख डॉलर, कहा- जिंदगियां बचाने की कोशिश

संगठन ने कहा, ‘‘अभी हमारी शीर्ष प्राथमिकता जल्द से जल्द ऑक्सीजन संकेंद्रक खरीदने और उन्हें भारत भेजने की है ताकि लोगों की जान बचाई जा सकें.

विज्ञापन
Read Time: 5 mins
भारत में कोरोना वायरस महामारी की दूसरी लहर में संक्रमण के बेतहाशा मामले (फाइल फोटो)
वाशिंगटन:

भारतीय-अमेरिकी गैर लाभकारी संगठन (एनजीओ) ‘सेवा इंटरनेशनल यूएसए' ने भारत में कोविड-19 राहत कार्यों के लिए सोशल मीडिया के जरिए करीब 47 लाख डॉलर की धनराशि जुटायी है. बता दें कि भारत में कोरोना वायरस (Coronavirus) महामारी की दूसरी लहर में संक्रमण के बेतहाशा मामले आ रहे हैं, जिससे चिकित्सा संसाधनों की कमी हो रही है. सेवा इंटरनेशनल यूएसए ने कहा, ‘‘यह सामूहिक प्रयास है जिससे जिंदगियों को बचाया जा सकता है, भुखमरी को हराया जा सकता है और भारत की कोविड-19 के खिलाफ उसकी निर्णायक लड़ाई में मदद की जा सकती है.'' 

सेवा ने भारत को भेजे जाने वाले 2,184 ऑक्सीजन संकेंद्रक मंगलवार को एकत्रित किए. निधि जुटाने का अभियान शुरू करने के 100 घंटों से भी कम वक्त में 66,700 से अधिक भारतीय-अमेरिकियों ने भारत में कोविड-19 राहत कार्यों के लिए 47 लाख डॉलर से अधिक की धनराशि जुटायी. पिछले कुछ वर्षों में अमेरिका में सेवा इंटरनेशनल यूएसए शीर्ष भारतीय-अमेरिकी परोपकारी संगठन है. 

संगठन ने कहा, ‘‘अभी हमारी शीर्ष प्राथमिकता जल्द से जल्द ऑक्सीजन संकेंद्रक खरीदने और उन्हें भारत भेजने की है ताकि लोगों की जान बचाई जा सकें. हम सेवा के सहयोगी संगठनों द्वारा चलाए जा रहे अस्पतालों को भी मदद दे रहे हैं ताकि कोरोना वायरस से संक्रमित और मरीजों का इलाज किया जा सके.'' 

अमेरिका में सबसे बड़े नस्लीय मेडिकल संगठन अमेरिकन एसोसिएशन ऑफ फिजिशियंस ऑफ इंडियन ऑरिजिन (एपीपीआई) ने भारत में कोविड-19 से लड़ाई से मदद करने के लिए मेडिकल ऑक्सीजन, फोन पर परामर्श और शैक्षणिक वेबीनार आयोजित कराने के लिए देशव्यापी अभियान चलाने की मंगलवार को घोषणा की.

वीडियो: जानें युवा क्यों लगवाएं कोरोना वैक्सीन?

(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
Featured Video Of The Day
Rahul Gandhi, Dr.BR Ambedkar और Sanatan पर क्या कुछ बोले BJP नेता Giriraj Singh?
Topics mentioned in this article