- नेपाल सरकार द्वारा सोशल मीडिया साइट्स पर बैन लगाने के फैसले के विरोध में युवा सड़कों पर उतर आए हैं.
- काठमांडू समेत अन्य इलाकों में हुए विरोध प्रदर्शन में कम से कम चौदह लोग मारे गए और सैंकड़ों घायल हुए.
- विरोध प्रदर्शन को नियंत्रित करने के लिए काठमांडू में सेना तैनात करनी पड़ी और स्थिति तनावपूर्ण बनी रही.
नेपाल में सरकार की तरफ से सोशल मीडिया साइट्स पर बैन लगाने के फैसले के खिलाफ गुस्साए युवा सड़क पर उतर आए हैं. राजधानी काठमांडू और कुछ और इलाकों में हिंसक विरोध प्रदर्शनों में कम से कम 14 लोग मारे गए हैं और सैंकड़ों लोग इसमें घायल हैं. स्थिति को नियंत्रित करने के लिए काठमांडू में सेना तैनात करनी पड़ी. जेन जी के बैनर तले स्कूली छात्रों समेत हजारों युवा काठमांडू के मध्य में संसद के सामने इकट्ठा हुए और प्रतिबंध को तुरंत हटाने की मांग करने लगे. ये युवा सरकार विरोधी नारे भी लगा रहे थे. घायलों के बारे में अभी कोई भी जानकारी नहीं है. अब इस प्रदर्शन को कई हस्तियों का सपोर्ट भी मिलने लगा है और नेपाली एक्टर प्रदीप खड़का ने इसे खुलकर अपना समर्थन दिया है.
पुराना गुस्सा आज भड़का!
NDTV से एक खास बातचीत में प्रदीप खड़का ने देश में राजनेताओं पर सवाल उठाए. उन्होंने कहा, 'पीएम बोल रहे हैं कि यह सोशल मीडिया के पर लगाए गए बैन के खिलाफ प्रदर्शन है, लेकिन मुझे ऐसा नहीं लगता है. मेरा मानना है कि युवाओं में निराशा पिछले काफी समय से थी. वो देश में बढ़ते भ्रष्टाचार और नेपाल की जनता इसे त्रस्त आ चुकी थी. जितने भी राजनेता हैं और जितने भी प्रभावशाली लोग हैं जिनका आलिशान जीवन सोशल मीडिया पर नजर आता है. ये लोग अपनी शानदार छुट्टियों से लेकर लग्जीरियस लाइफ के बारे में सबकुछ सोशल मीडिया पर पोस्ट करते हैं. युवा इससे काफी नाराज हैं. देश बहुत भ्रष्ट हो चुका है और जनता इसे सहन नहीं कर पा रही है.'
अपने ही छात्रों पर गोलियां चलाती सरकार
प्रदीप खड़का ने कहा कि वह जेन जी के आंदोलन को सिर्फ सोशल मीडिया बैन को हटाने के लिए समर्थन नहीं दे रहे हैं बल्कि हर तरह के भ्रष्टाचार के खिलाफ आंदोलन को मेरा समर्थन है. वहीं खड़का ने इस बात की आशंका से इनकार नहीं किया है कि कहीं प्रदर्शन पर विदेशी प्रभाव का टैग न लग जाए.
उनकी मानें तो जिस तरह से मृतकों की तादाद बढ़ रही है, उससे उन्हें अब डर लगने लगा है. उनका कहना था कि पहले उन्हें लगा था कि आज का आंदोलन पहले उन्हें लगा था कि सरकार को सिर्फ एक चेतावनी देने के लिए था. लेकिन सरकार तो अपने ही छात्रों का मारने पर उतर आई है. उन्होंने दूसरे देशों से इस प्रदर्शन के लिए राजनयिक समर्थन की मांग की है.
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