नेपाल में Gen Z आंदोलन का दूसरा दिन है. प्रधानमंत्री ओली इस्तीफा दे चुके हैं. उनसे पहले इस्तीफा दे चुके तीन मंत्रियों को सेना के हेलिकॉप्टर से रेस्क्यू किया गया है. वहीं, खबर है कि प्रदर्शनकारी काठमांडू के 'सिंह दरबार' में घुस गए. इसका सीधा मतलब निकाला जा सकता है कि नेपाल में सरकार बैकफुट पर है और उसका राज जाता दिख रहा है. अब सवाल है कि 'सिंह दरबार' में आखिर है क्या? जिसमें प्रदर्शनकारियों का घुस जाना नेपाल सरकार के लिए चिंता की बात है.
नेपाल के सिंह दरबार की यह एक पुरानी तस्वीर है.
सिंह दरबार क्यों है खास?
काठमांडू स्थित 'सिंह दरबार' में प्रधानमंत्री कार्यालय समेत कई मंत्रालय चलाए जाते हैं. समझ लीजिए नेपाल का सारा राजकाज यहीं से चलाया जाता है. यह देश का सबसे बड़ा प्रशासनिक भवन है. लेकिन सिंह दरबार का इतिहास काफी रोचक है. 1903 में बना सिंह दरबार एक शाही महल हुआ करता था. जो अब नेपाली सरकार के अधीन आता है. इस शाही महल को इसके नाम की वजह से 'शेर का महल' भी कहा जाता है.
नेपाल में युवा खून में उबाल की यह तस्वीर है. तस्वीर काठमांडू के उस सिंह द्वार के बाहर की है, जहां सारे मंत्रालय हैं. अपनी ही सरकार के खिलाफ बंदूक लेकर सड़कों पर उतर आए हैं नेपाली युवा.
सिंह दरबार की कहानी
50 हेक्टेयर में फैले इस महल का निर्माण 1903 में किया गया था. तब उस वक्त इसे बनाने में लगे थे 50 लाख नेपाली रुपये यानी आज के 31 लाख भारतीय रुपये . यह महाराजा चंद्र शमशेर का प्राइवेट आवास हुआ करता था. वैसे तो महाराजा चंद्र शमशेर को एक समाज सुधारक माना जाता था. लेकिन हैरानी की बात ये है कि इस महल का निर्माण गुलाम मजदूरों के जरिए करवाया गया था. महल के लिए जमीन का इस्तेमाल किया गया, वो भी मंदिरों की थी, जिस पर शाही परिवार ने कब्जा कर लिया था. ये भी कहा जाता है कि इस महल को बनाने के लिए पैसे नहीं थे. इसके लिए राजा ने तराई के जंगल में एक बड़े भूभाग को साफ करके अंग्रेजों को दे दिया ताकि वो भारत में रेल लाइन बिछा सकें. इसकी ऐवज में ब्रिटिश हुकूमत ने उन्हें मोटी रकम दी थी.
नेपाल का सिंह दरबार उसकी शान रहा है. दीवारों पर उसकी तस्वीरें टांगी जाती हैं.
एशिया का सबसे लग्जरी पैलेस
इतना बड़ा महल 'सिंह दरबार' सिर्फ तीन साल में बनकर तैयार हुआ था और 1904 तक ये एशिया का सबसे लग्जरी पैलेस और 1973 तक एशिया में सबसे बड़ा सरकारी सचिवालय था. चंद्र शमशेर यहां कुछ ही साल रहे, इसके बाद शाही परिवार ने इसे 2 करोड़ नेपाली रुपये में बेच दिया. बाद में इसे नेपाली प्रधानमंत्री का आधिकारिक आवास घोषित कर दिया.
नेपाल के सिंह दरबार का यह गेट कई घटनाओं का गवाह रहा है. यह तस्वीर कोविड के दिनों की है.
सिंह दरबार 1951 तक लगातार राणा प्रधानमंत्रियों के अधीन रहा. इसके बाद, यह दरबार सरकारी सचिवालय बन गया, 1974 में महल में भीषण आग लग गई. पैलेस का ज्यादातर हिस्सा पूरी तरह से तबाह हो गया. तब सभी मंत्रालय एक ही परिसर में स्थित थे. सरकार ने इसे दोबारा से बनावाया.