संसद, संविधान और सेना.. नेपाल में सुशीला कार्की के नाम पर सहमति, पर मुल्क के सामने ये 5 कठिन चुनौती

Nepal Caretaker Government: नेपाल के सुप्रीम कोर्ट की पूर्व चीफ जस्टिस सुशीला कार्की को अंतरिम सरकार का प्रमुख नियुक्त करने पर सहमति बन गई है. यह अंतरिम सरकार आंदोलनकारी समूह की मांगों को ध्यान में रखते हुए नए सिरे से चुनाव कराएगी.

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Nepal Caretaker Government: सुशीला कार्की को अंतरिम PM नियुक्त करने पर सहमति
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  • नेपाल में सुप्रीम कोर्ट की पूर्व चीफ जस्टिस सुशीला कार्की को अंतरिम प्रधानमंत्री बनाने पर सहमति बन गई है.
  • संविधान के अनुच्छेद के अनुसार पूर्व चीफ जस्टिस को राजनीतिक पद लेने की अनुमति नहीं है इस पर बहस जारी है.
  • संसद को भंग करने या बरकरार रखने के विकल्पों पर विचार हो रहा है फैसला शुक्रवार की बैठक में होगा.
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क्या नेपाल में अंतरिम सरकार की घोषणा शुक्रवार, 12 सितंबर को हो जाएगी बनेगी? क्या अंतरिम प्रधानमंत्री के रूप में एक पूर्व चीफ जस्टिस को नियुक्त करने के लिए संविधान को बदला जाएगा? क्या नेपाल का मौजूदा संसद भंग किया जाएगा?.... बड़े पैमाने पर हुए विद्रोह के बाद नेपाल अराजकता की स्थिति में दिख रहा है. Gen Z के एक हिंसक आंदोलने के बाद प्रधान मंत्री केपी ओली और कई अन्य मंत्रियों को पद से हटाना पड़ा, जिन पर बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाया गया था. लेकिन अब नेपाल का राजनीतिक भविष्य क्या होगा, इसको लेकर असमंंजस की स्थिति बनी हुई है.

अंतरिम पीएम के लिए सुशीला कार्की का नाम फाइनल- लेकिन कुर्सी कैसे मिलेगी?

नेपाल के सुप्रीम कोर्ट की पूर्व चीफ जस्टिस सुशीला कार्की को अंतरिम सरकार का प्रमुख नियुक्त करने पर सहमति बन गई है. यह अंतरिम सरकार आंदोलनकारी समूह की मांगों को ध्यान में रखते हुए नए सिरे से चुनाव कराएगी. सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार सुशीला कार्की ने गुरुवार को पूरे दिन कई बैठकें की ताकि उनकी बिना संविधान को तोड़े उन्हें इस पद पर नियुक्त किया जा सके. दरअसल नेपाल के संविधान के अनुच्छेद 143 के अनुसार किसी भी पूर्व चीफ जस्टिस को कोई भी राजनीतिक पद लेने की अनुमति नहीं है.

हालांकि, नेपाल के संविधान में शामिल किए गए ‘आवश्यकता के सिद्धांत' के अनुसार, या तो राष्ट्रपति को पीएम के रूप में नियुक्त करने के लिए संविधान के उस विशेष अनुच्छेद को निलंबित करना होगा या देश की सुरक्षा के लिए एक विशेष प्रावधान लाना होगा. अभी नेपाल में यही बहस जारी है कि बीच का रास्ता कैसे निकलेगा.

Gen Z ने बुधवार को औपचारिक रूप से कार्की को अंतरिम पीएम बनाने के लिए प्रस्ताव रखा था. उन्हें अंतरिम पीएम के रूप में नियुक्त करने के निर्णय का काठमांडू मेट्रोपॉलिटन सिटी के मेयर बालेंद्र शाह (बालेन) और सेना प्रमुख सिगडेल ने भी समर्थन किया है.

क्या मौजूदा संसद को भंग किया जाएगा?

अंतरिम सरकार बनाने के लिए नेपाल में दो विकल्पों पर विचार किया गया: मौजूदा संसद को भंग करना या उसे बरकरार रखना. नेपाल के स्थानीय अखबारों के अनुसार संसद भंग करने का मुद्दा अभी भी अनसुलझा है, मामले को अंतिम रूप देने के लिए शुक्रवार की सुबह 9 बजे एक और बैठक होनी है. रिपोर्ट के अनुसार कुछ अन्य संवैधानिक मुद्दों पर भी मतभेद बने हुए है.

अंतरिम सरकार में किसे मिलेगी जगह?

IANS की रिपोर्ट के अनुसार यदि अंतरिम सरकार बनती है, तो कम्युनिस्ट यूएमएल और नेपाली कांग्रेस जैसी कई अन्य पार्टियां उसमें कुछ जगह चाहेंगी. हालांकि, समस्या यह है कि आंदोलन करने वाला Gen Z इसे अस्वीकार कर देगा, जिससे अस्थिरता फिर से लंबी हो जाएगी.

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कई लोगों की तरह, सेना भी देश में आमूल-चूल परिवर्तन चाहती है और उसने यह स्पष्ट कर दिया है कि जो लोग इसके लिए लड़े हैं उन्हें भविष्य की किसी भी व्यवस्था में प्रमुख भूमिका निभानी चाहिए. यहां तक ​​कि जो लोग राजशाही की वापसी का समर्थन कर रहे थे वे भी आज असमंजस में हैं. हालांकि नेपाल पर नजर रखने वाले एक्सपर्ट्स का कहना है कि राजशाही की वापसी की संभावना बहुत कम है क्योंकि इसके लिए संविधान में संशोधन की आवश्यकता होगी.

क्या सेना भी पावर हाथ में ले सकती है?

सेना Gen Z का समर्थन करती है, लेकिन उसने यह स्पष्ट कर दिया है कि सेना को पावर अपने हाथ में लेने में कोई दिलचस्पी नहीं है. वह जल्द समाधान चाहती है ताकि कानून-व्यवस्था बहाल हो सके. वर्तमान में, नेपाल सेना के पास राजनीतिक दलों को एक समझौते पर पहुंचने और अंतरिम प्रमुख बनने के लिए एक उपयुक्त उम्मीदवार खोजने के लिए मजबूर करने की पर्याप्त शक्ति है.

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संविधान में संशोधन होगा?

हालांकि यह एक संभावना भर है, लेकिन यह जोखिम भी है कि अन्य राजनीतिक दल इस फैसले को चुनौती देते हुए अदालत का रुख करेंगे. इस समय, इन चुनौतियों से पार पाने के लिए संवैधानिक संशोधन की भी संभावना नहीं है क्योंकि इसे लागू करने के लिए संसद में दो-तिहाई बहुमत की आवश्यकता होगी. वर्तमान परिस्थितियों में यह असंभव है. आपातकाल घोषित करने के अन्य दुष्परिणाम होंगे और स्थिति और खराब हो सकती है.

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