- नेपाल में Gen-Z आंदोलन ने सितंबर के विरोध प्रदर्शन के दौरान सरकार को गिराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है
- अंतरिम सरकार ने 45 व्यक्तियों को शहीद घोषित किया जो Gen-Z आंदोलन के दौरान मारे गए थे
- सरकार ने सभी 77 जिला प्रशासन कार्यालयों में शहीदों के नाम प्रदर्शित करने के निर्देश जारी किए हैं
नेपाल को एक Gen-Z आंदोलन ने एकदम बदल के रख दिया है. यहां आंदोलन ने तख्तापलट करने का काम किया है और वहां की अंतरिम सरकार भी इन आंदोलनकारियों को हर तरह से सम्मान देती दिख रही है. अब नेपाल में हर साल 'Gen-Z शहीदी दिवस' मनाए जाने की घोषणा हो चुकी है. साथ ही नेपाल की अंतरिम सरकार ने सोमवार, 8 दिसंबर को सभी जिला प्रशासन कार्यालयों को उन 45 व्यक्तियों के नाम प्रदर्शित करने का निर्देश दिया, जिन्हें "शहीद" घोषित किया गया था. ये सभी सितंबर महीने में हुए Gen-Z विरोध प्रदर्शन के दौरान मारे गए थे, जिसके कारण केपी शर्मा ओली के नेतृत्व वाली सरकार गिर गई थी.
कार्की सरकार ने यह फरमान उस समय सुनाया है जब नए चुनावों के लिए तैयारियां जोरों पर हैं और हाल ही में फिर से नेपाल में Gen- Z का हिंसक चेहरा देखने को मिला था. ऐसा लगता है कि अंतरिम सरकार हर तरह से युवाओं के गुड बुक में रहना और दिखना चाहती है.
8 और 9 सितंबर को हुए Gen- Z आंदोलन के दौरान मारे गए 76 लोगों में से, सुशीला कार्की के नेतृत्व वाली सरकार ने पिछले हफ्ते 45 को "शहीद" के रूप में मान्यता दी थी. उनके नाम 3 नवंबर को नेपाल गजट में प्रकाशित किए गए थे. अब अधिकारियों ने बताया कि नेपाल के अंतरिम गृह मंत्री ओम प्रकाश आर्यल ने एक परिपत्र (सर्कुलर) जारी कर सभी 77 जिला प्रशासन कार्यालयों को 45 शहीदों की आधिकारिक सूची मुख्य जिला अधिकारी (सीडीओ) के ऑफिस में प्रदर्शित करने का निर्देश दिया है.
गृह मंत्रालय ने संबंधित अधिकारियों को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है कि शहीदों की यह लिस्ट तीन दिनों के भीतर सीडीओ कार्यालयों में प्रदर्शित की जाए. इससे पहले पिछले हफ्ते, नेपाल की अंतरिम सरकार ने 8 सितंबर को Gen-Z शहीद दिवस के रूप में मनाने का फैसला किया था. गौरतलब है कि ‘Gen-Z' उन लोगों का समूह है जिनका जन्म 1997 और 2012 के बीच हुआ है.
यह भी पढ़ें: लो अब भारत के चावल पर चलेगा ट्रंप का चाबुक? 'डंपिंग' की शिकायत पर कह दी ये बड़ी बात













