1700 मौतें, हजारों अभी भी मलबे में दबे, म्यांमार की हवा में मौत की गंध

Myanmar Earthquake Update: भूकंप के दो दिन बाद रविवार को आपातकालीन बचाव टीमें म्यांमार के सबसे प्रभावित इलाकों में पहुंचना शुरू हुईं, लेकिन हालात बेहद कठिन हैं. देश में चल रहे गृहयुद्ध, क्षतिग्रस्त सड़कें, ढह चुके पुल और संचार व्यवस्था का अभाव राहत कार्यों में बड़ी बाधा बन रहा है.

विज्ञापन
Read Time: 4 mins
Earthquake in Myanmar: भूकंप में हजारों लोगों के मौत की आशंका जताई जा रही है
नई दिल्ली:

म्यांमार में शुक्रवार को आए 7.7 तीव्रता के भीषण भूकंप ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया है. इस प्राकृतिक आपदा ने न केवल म्यांमार के दूसरे सबसे बड़े शहर मांडले को मलबे के ढेर में बदल दिया, बल्कि राजधानी नेप्यिदॉ और आसपास के इलाकों में भी भारी तबाही मचाई. रविवार, 30 मार्च 2025 तक, मृतकों की संख्या 1,644 तक पहुंच चुकी है, जबकि 3,408 लोग घायल हुए हैं और 139 अभी भी लापता हैं. हालांकि कई अन्य एजेंसियों की तरफ से मौत के आंकड़े बढ़ने की आंशका जताई गई है. मांडले की सड़कों पर अब सड़ते हुए शवों की दुर्गंध फैल रही है, और मलबे में फंसे लोगों की चीखें धीरे-धीरे कमजोर पड़ती जा रही हैं. राहत और बचाव कार्य जोरों पर हैं, लेकिन क्षतिग्रस्त सड़कें, ढह चुके पुल और संचार व्यवस्था की बाधाएं इन प्रयासों में बड़ी चुनौती बन रही हैं.

हर तरफ तबाही का मंजर

शुक्रवार दोपहर को मांडले के पास इस भूकंप का केंद्र था, जिसकी तीव्रता ने न केवल म्यांमार को, बल्कि पड़ोसी देश थाईलैंड की राजधानी बैंकॉक तक को प्रभावित किया. मांडले में बहुमंजिला इमारतें धराशायी हो गईं, धार्मिक स्थल जैसे पगोडा और मठ मलबे में तब्दील हो गए. नेप्यिदॉ में भी कई इमारतें ढह गईं. मांडले की सड़कों पर अब शवों की दुर्गंध इस कदर फैल रही है कि स्थानीय लोग और स्वयंसेवी अपने प्रियजनों को खोजने के लिए हाथों से मलबा हटा रहे हैं. एक स्थानीय निवासी ने कहा  कि यहां हर तरफ मौत की गंध है. हमें नहीं पता कि हमारे अपने जिंदा हैं या मर चुके हैं.

इस भूकंप का असर 1,300 किलोमीटर दूर बैंकॉक तक पहुंचा, जहां एक निर्माणाधीन बहुमंजिला इमारत ढह गई, जिसमें 18 लोग मारे गए और 78 अभी भी लापता हैं. थाईलैंड में मृतकों की संख्या बढ़कर 18 हो गई है, और बचाव दल वहां भी लोगों को मलबे से निकालने की कोशिश में जुटे हैं. म्यांमार में सागाइंग क्षेत्र, जो भूकंप का केंद्र था, वहां पूरा शहर तबाह हो चुका है. एक स्थानीय निवासी हान जिन ने बताया, "हमारे पास बिजली नहीं है, पीने का पानी खत्म हो रहा है, और सरकारी सहायता अभी तक नहीं पहुंची."

Advertisement

राहत और बचाव कार्यों में आ रही है चुनौतियां

भूकंप के दो दिन बाद रविवार को आपातकालीन बचाव टीमें म्यांमार के सबसे प्रभावित इलाकों में पहुंचना शुरू हुईं, लेकिन हालात बेहद कठिन हैं. देश में चल रहे गृहयुद्ध, क्षतिग्रस्त सड़कें, ढह चुके पुल और संचार व्यवस्था का अभाव राहत कार्यों में बड़ी बाधा बन रहा है.  संयुक्त राष्ट्र की तरफ से शनिवार को एक रिपोर्ट में कहा गया है कि कई स्वास्थ्य सुविधाएं नष्ट हो गई हैं, और चिकित्सा आपूर्ति जैसे ट्रॉमा किट, ब्लड बैग, और दवाइयों की भारी कमी है.

Advertisement

चीन, भारत, रूस, और मलेशिया जैसे देशों ने राहत सामग्री और बचाव दल भेजे हैं. चीन ने 135 से अधिक बचावकर्मियों के साथ 13.8 मिलियन डॉलर की सहायता की घोषणा की है, जबकि भारत ने दो सैन्य विमान और चार नौसैनिक जहाजों के जरिए 137 टन राहत सामग्री भेजी है. रूस ने भी यांगून में 120 बचावकर्मियों को तैनात किया है. मांडले में एक चीनी बचाव दल ने 60 घंटे तक मलबे में फंसी एक महिला को सुरक्षित निकाला, जो इस आपदा में एक छोटी उम्मीद की किरण बनकर उभरा.

Advertisement

पहले से ही संकट झेल रहा है म्यांमार

म्यांमार पहले से ही 2021 के सैन्य तख्तापलट के बाद गृहयुद्ध की मार झेल रहा है, जिसने देश की अर्थव्यवस्था और स्वास्थ्य व्यवस्था को चरमरा दिया है. इस भूकंप ने स्थिति को और गंभीर बना दिया है. विपक्षी नेशनल यूनिटी गवर्नमेंट (NUG) ने सैन्य सरकार पर आरोप लगाया है कि वह आपदा के बीच भी सागाइंग क्षेत्र में हवाई हमले कर रही है, जो राहत कार्यों को और मुश्किल बना रहा है. NUG ने राहत प्रयासों के लिए आंशिक युद्धविराम की घोषणा की है, लेकिन सैन्य सरकार की ओर से ऐसी कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है.

Advertisement
Featured Video Of The Day
Pahalgam Terror Attack: जहां हुआ आतंकी हमला वहां अब क्या हैं हालात? देखें LIVE VIDEO | Jammu Kashmir