- 5 नवंबर को 2,150 भारतीय सिख वाघा सीमा के माध्यम से लाहौर पहुंचेंगे और गुरु नानक देव की 556वीं जयंती मनाएंगे.
- मुख्य समारोह गुरुद्वारा जन्मस्थान ननकाना साहिब में पांच नवंबर को होगा जो लाहौर से करीब 80 किलोमीटर दूर है.
- भारतीय सिख 4 से 13 नवंबर तक दस दिनों की यात्रा करेंगे और इस दौरान कई पवित्र गुरुद्वारों का दर्शन करेंगे.
गुरु नानक देव की 556वीं जयंती से संबंधित उत्सव में भाग लेने के लिए पांच नवंबर को 2,150 भारतीय सिखों के वाघा सीमा के माध्यम से लाहौर पहुंचने की उम्मीद है. सरकार के एक शीर्ष अधिकारी ने रविवार को यह बात कही. मुख्य समारोह पांच नवंबर को गुरुद्वारा जन्मस्थान ननकाना साहिब में आयोजित किया जाएगा, जो लाहौर से लगभग 80 किलोमीटर दूर है, जहां गुरु नानक का जन्म हुआ था.
10 दिनों की होगी यात्रा
‘इवैक्यूई ट्रस्ट प्रॉपर्टी बोर्ड' (ईटीपीबी) के प्रवक्ता गुलाम मोहिउद्दीन ने कहा कि पाकिस्तान) सरकार ने बाबा गुरु नानक देव जी की जयंती में शामिल होने के लिए भारतीय सिखों को 2,150 वीजा जारी किए हैं. भारतीय सिख आगामी मंगलवार (4 नवंबर) को वाघा सीमा के रास्ते लाहौर पहुंचेंगे. अपनी 10 दिवसीय यात्रा के दौरान, भारतीय सिख गुरुद्वारों के दर्शन करेंगे और 13 नवंबर को स्वदेश के लिए रवाना होंगे. पहलगाम आतंकी हमले और उसके बाद मई में भारत के एंटी-टेरर ऑपरेशन सिंदूर के बाद यह पहली बड़ी बॉर्डर पार यात्रा है.
रिपोर्ट्स के मुताबिक, नई दिल्ली में पाकिस्तान हाई कमीशन ने वीजा कंफर्म किया है. हाई कमीशन के अनुसार तीर्थयात्री 4 से 13 नवंबर तक होने वाले गुरुपर्व के त्योहारों में हिस्सा लेंगे. भारत-पाकिस्तान बॉर्डर से लगभग 85 किलोमीटर पश्चिम में मौजूद गुरु नानक की जन्मभूमि ननकाना साहिब में हजारों श्रद्धालुओं के इकट्ठा होने की उम्मीद है.
किस प्रोटोकॉल के तहत यात्रा
यह तीर्थयात्रा साल 1974 के भारत-पाकिस्तान धार्मिक स्थलों के दौरे पर बने प्रोटोकॉल के तहत आती है. इस प्रोटोकॉल के तहत दोनों तरफ के भक्तों को राजनीतिक तनाव के बावजूद जरूरी धार्मिक कार्यक्रमों के लिए यात्रा करने की इजाजत देता है. शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (SGPC) और भारत के विदेश मंत्रालय द्वारा कोऑर्डिनेट किया गया यह जत्था हसन अब्दल में ननकाना साहिब और पंजा साहिब समेत कई पवित्र गुरुद्वारों का दौरा करेगा.














