1000 हाजियों की मौत: लाल सागर से गर्म हवा, ठंड में भी गर्मी, मक्का में जानलेवा तपिश की वजह जानिए

सऊदी अरब में पब्लिश हुए एक रिसर्च पेपर के अनुसार हज करने वाले इलाके का तापमान हर दशक 0.4 डिग्री सेल्सियस बढ़ रहा है.

विज्ञापन
Read Time: 5 mins
नई दिल्ली:

दुनिया के कई देश भीषण गर्मी से परेशान हैं.  गर्मी का कहर इस साल हज यात्रियों पर भी देखने को मिल रहा है. सऊदी अरब (Saudi Arabia) के मक्का में इस मौसम में 1000 से अधिक हज यात्रियों की अब तक मौत हो चुकी है. 68 भारतीयों के भी मारे जाने की अब तक आधिकारिक पुष्टि हो चुकी है (Mecca Indian Pilgrims Death). मक्का एक ऐसा क्षेत्र है जहां न सिर्फ गर्मियों के महीने बल्कि ठंड के समय भी गर्मी का कहर देखने को मिलता है. ठंड के महीने में भी इस जगह का तापमान लोगों को असहज करता है. 

मक्का में क्यों होती है इतनी गर्मी?
मक्का की जलवायु को लेकर जानकारों का मानना है कि इसके गर्मी के लिए इसके भौगोलिक फैक्टर सबसे अधिक जिम्मेदार हैं. मक्का सात अलग-अलग पहाड़ों से घिरा हुआ क्षेत्र है. यह एक घाटी का क्षेत्र है. समुद्र तल से इसकी ऊंचाई महज 909 फीट है. विशाल पर्वतों के कारण उत्तर से आने वाली ठंडी हवा मक्का तक नहीं पहुंच पाती है. मक्का, समुद्र तल से महज 300 मीटर हीं ऊपर स्थित है, इसकी कम ऊंचाई के कारण अन्य ऊंचाई वाले स्थानों की तुलना में यहां कम ठंड पड़ते हैं. 

सऊदी अरब में मक्का दक्षिण में स्थित है. इस कारण यह स्थान उत्तरी और मध्य क्षेत्रों से आने वाली ठंडी हवाओं से वंचित रह जाता है. मक्का की जलवायु पर लाल सागर का भी प्रभाव देखने को मिलता है.  शाम के समय समुद्री हवा तंत्र के माध्यम से तटों और आसपास के क्षेत्रों को गर्म कर देती है. इसका असर भी इस क्षेत्र पर देखने को मिलता है. कुछ एक्सपर्ट का मानना है कि ग्लोबल वार्मिंग के कारण भी इस क्षेत्र का तापमान तेजी से बढ़ रहा है. 

Advertisement
मई महीने में सऊदी अरब में पब्लिश हुए एक रिसर्च पेपर के अनुसार हज करने वाले इलाके का तापमान हर दशक 0.4 डिग्री सेल्सियस बढ़ रहा है. जानकारी के अनुसार 17 जून जिस दिन सबसे अधिक मौतें हुई उस दिन वहां का तापमान 51 डिग्री सेल्सियस को पार कर गया था.

समुद्र तल से जितनी अधिक ऊंचाई होती है तापमान कम क्यों होता है? 
पहाड़ों और मैदानों की ऊंचाई समुद्र तल से उनकी ऊंचाई से मापी जाती है.  पहाड़ों की ऊंचाई मैदानों की तुलना में बहुत अधिक है, और उनका तापमान मैदानों की तुलना में कम होता है. पृथ्वी के नीचे से रेडिएशन के कारण वायुमंडल गर्म होता है. इसलिए, निचली मंजिलें ऊपरी मंजिलों की तुलना में अधिक गर्म होती हैं. ऊंचे पहाड़ों में न तो जल वाष्प होता है और न ही धूल के कण. इसलिए वहां अनियंत्रित रेडिएशन होता है. यही कारण है कि पहाड़ मैदानों की तुलना में ठंडे होते हैं. 

Advertisement
गर्म हवा ऊपर की ओर उठती है और आसपास की ठंडी हवा इसका स्थान लेती है. धरती की गर्म सतह से दूर जाते हुए गर्म हवा अपनी उष्मा खोती जाती है और ठंडी होती जाती है. इस तरह हम समुद्र सतह से जैसे-जैसे ऊंचाई की ओर बढ़ते हैं तापमान लगभग 6 डिग्री सेल्सियस प्रति किलोमीटर की दर से कम होता जाता है.

मिस्र के हज यात्रियों की हो रही है क्यों सबसे ज्यादा मौत?
जानकारी के अनुसार सबसे अधिक  मिस्र के हज यात्रियों की मौत मक्का में हुई है. मिस्र, जॉर्डन और इंडोनेशिया दुनिया के लोगों को इतनी अधिक गर्मी वाले जगहों पर रहने के हालत में नहीं है.   जॉर्डन घाटी में गर्मियों में अधिकतम पारा 38-39 डिग्री सेल्सियस तक ही जाता है. ऐसे में अचानक 50 डिग्री के तापमान के कारण उनकी मौतें हो गयी. 

Advertisement

मक्का में 323 मिस्रवासी और 60 जॉर्डनवासी की मौत
अरब राजनयिकों ने बताया कि मरने वालों में 323 मिस्रवासी और 60 जॉर्डनवासी शामिल हैं, साथ ही ये भी साफ किया गया कि मिस्त्र के सभी लोगों की मौत का कारण गर्मी ही रही.  इंडोनेशिया, ईरान, सेनेगल, ट्यूनीशिया समेत और देशों ने भी मौतों की पुष्टि की है, हालांकि कई मामलों में अधिकारियों ने कारण नहीं बताया है. एएफपी के अनुसार अब तक कुल 1000 लोगों की मौत की सूचना दी गई है. पिछले साल 200 से अधिक तीर्थयात्रियों की मौत की सूचना मिली थी, जिनमें से अधिकांश इंडोनेशिया के थे. सऊदी अरब ने मौतों के बारे में जानकारी नहीं दी है.

Advertisement

कुछ भारतीय के लापता होने की भी जानकारी
भारतीयों की मौत की पुष्टि करने वाले राजनयिक ने कहा कि कुछ भारतीय तीर्थयात्री लापता भी हैं, लेकिन उन्होंने सटीक संख्या बताने से इनकार कर दिया. उन्होंने कहा, "ऐसा हर साल होता है... हम यह नहीं कह सकते कि इस साल यह असामान्य रूप से अधिक है." "यह पिछले साल के समान ही है, लेकिन आने वाले दिनों में हमें और जानकारी मिलेगी." पिछले कई सालों से हज सऊदी अरब की भीषण गर्मी के दौरान होता रहा है. पिछले महीने प्रकाशित एक सऊदी अध्ययन के अनुसार, जिस क्षेत्र में अनुष्ठान किए जाते हैं, वहां का तापमान हर दशक में 0.4 डिग्री सेल्सियस (0.72 डिग्री फ़ारेनहाइट) बढ़ रहा है.

ये भी पढ़े-:

मक्का में भीषण गर्मी के कहर से 500 से ज्यादा हज यात्रियों की मौत, पारा 52°C के करीब पहुंचा

Featured Video Of The Day
CISF New Posting Policy: केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल ने घोषित की नई Posting Policy, जानिए खास बातें
Topics mentioned in this article