अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने लंच पर पाकिस्तान के आर्मी चीफ जनरल असीम मुनीर से मुलाकात की. अमेरिका के राष्ट्रपति ट्रंप ने फिर एक बार पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ को नजरअंदाज करते हुए मुनीर की रेटिंग बढ़ा दी है. वहीं इस लंच से यह भी साफ हो गया है कि कहीं न कहीं पाकिस्तान में सेना का ही सिक्का चलता है और सरकार बस दिखावे की है. जनरल मुनीर लंच के लिए व्हाइट हाउस पहुंचे, जिसके बाद ट्रंप संग उनकी काफी देर बातचीत हुई.
मैं उन्हें धन्यवाद देना चाहता था
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पाकिस्तान के सेना प्रमुख असीम मुनीर से अपनी मुलाकात पर कहा कि मैंने उन्हें यहां इसलिए बुलाया क्योंकि मैं उन्हें युद्ध न करने और इसे खत्म करने के लिए धन्यवाद देना चाहता था. प्रधानमंत्री मोदी कुछ समय पहले ही यहां से गए हैं. हम भारत और पाकिस्तान के साथ व्यापार समझौते पर काम कर रहे हैं. मैं बहुत खुश हूं. दो बहुत ही समझदार लोगों ने युद्ध जारी न रखने का फैसला किया. वे (भारत और पाकिस्तान) 2 बड़ी परमाणु शक्तियां हैं. आज उनसे मिलकर मुझे सम्मानित महसूस हुआ.
इतनी मौतें और विनाश देखना पसंद नहीं
मुनीर से मुलाकात के बात ट्रंप ने ईरान की स्थिति पर कहा कि उनके पास हर चीज के लिए एक योजना है, लेकिन वह देखेंगे कि क्या होता है. ट्रंप ने कहा कि ईरान को सौदा करना चाहिए था. अमेरिकी राष्ट्रपति के पास उनके लिए एक बढ़िया सौदा था. उन्होंने 60 दिनों तक इस बारे में बात की और अंत में ईरान ने इसे नहीं करने का फैसला किया और अब वह चाहता है कि ये सौदा हो जाता. अब तो देर हो चुकी है, लेकिन अब वे मिलना चाहते हैं, और वे व्हाइट हाउस आना चाहते हैं. ट्रंप ने कहा कि वह ऐसा कर सकते हैं, कुछ भी हो सकता है. थोड़ी देर में वॉर रूम में मेरी एक बैठक है. भयानक स्थिति है. उनको इतनी मौतें और विनाश देखना पसंद नहीं है.
ट्रंप-मुनीर की मुलाकात पर सिंधी फाउंडेशन में गुस्सा
पाकिस्तान के सेना प्रमुख असीम मुनीर को अमेरिका आमंत्रित किए जाने पर सिंधी फाउंडेशन के कार्यकारी निदेशक सूफी लघारी ने कहा कि राष्ट्रपति ट्रंप भ्रमित हैं, वे राजनीतिज्ञ नहीं हैं, वे व्यवसायी हैं. उनकी नज़र पाकिस्तान के संसाधनों पर है. यहां मुफ़्त में कुछ नहीं मिलता, इसलिए उन्होंने असीम मुनीर को आमंत्रित किया है. असीम मुनीर की दिलचस्पी यहां भारत का मुकाबला करने के लिए पैसे कमाने में है. सिंध के लोग न्याय और आज़ादी के लिए संघर्ष कर रहे हैं. 1960 के दशक में जनरल अयूब खान को जॉर्ज वॉशिंगटन के घर आमंत्रित किया गया था. जनरल जिया उल हक और जनरल मुशर्रफ भी यहां आए थे. जब अमेरिका की पीठ में छुरा घोंपा जाएगा, तब उसे एहसास होगा कि पाकिस्तान उसका स्वाभाविक सहयोगी नहीं है. सिंधी और बलूच लोग उनके स्वाभाविक सहयोगी हैं. पाकिस्तान और उसके जनरलों पर कभी भरोसा नहीं किया जाना चाहिए.
ईरान जंग के बीच मीटिंग
डोनाल्ड ट्रंप ने स्थानीय समयानुसार दोपहर 1 बजे कैबिनेट रूम में पाकिस्तान के चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ के साथ लंच किया. पाकिस्तान के अखबार द डॉन की रिपोर्ट के अनुसार, असीम मुनीर के अमेरिकी यात्रा के दौरान विदेश मंत्री मार्को रुबियो और रक्षा मंत्री पीट हेगसेथ से भी मिलने की उम्मीद है. यह मुलाकात ऐसे समय में हुई है जब इजरायल-ईरान के बीच जंग जारी है और अमेरिका की तरफ से लगातार ईरान से बिना शर्त आत्मसमर्पण की अपील की जा रही है.
यात्रा से पहले विवाद
जनरल मुनीर पांच दिनों की आधिकारिक यात्रा पर अमेरिका पहुंचे हैं. मुनीर की इस यात्रा से पहले काफी विवाद हुआ था. अमेरिका की तरफ से इस पर सफाई दी गई और कहा गया कि था कि यह यात्रा 14 जून को अमेरिकी सेना की 250वीं वर्षगांठ के समारोह से जुड़ी नहीं थी. साथ ही मुनीर के दौरे का मकसद दोनों देशों के बीच 'सैन्य और रणनीतिक संबंधों को मजबूत करना' है. मुनीर की अमेरिका यात्रा के दौरान, शनिवार दोपहर को कई पीटीआई समर्थक पाकिस्तानी दूतावास के बाहर एकत्र हुए और पाकिस्तान में 'अप्रतिबंधित लोकतंत्र' की मांग करते हुए विरोध प्रदर्शन किया.
बंद कमरे में होगी मीटिंग
पाकिस्तानी जनरल मुनीर अपने इस दौरे के साथ ही अपने देश में हीरो बन गए हैं. पूर्व विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो-जरदारी ने ट्रंप और मुनीर के बीच होने वाली मीटिंग की तारीफ की है. साथ ही इस घटनाक्रम को अमेरिका और पाकिस्तान के बीच द्विपक्षीय संबंधों में एक 'सकारात्मक कदम' बताया है. एक महत्वपूर्ण और अप्रत्याशित कूटनीतिक घटनाक्रम में राष्ट्रपति के आधिकारिक कार्यक्रम के अनुसार यह मीटिंग कैबिनेट रूम में हुई और प्रेस के लिए बंद रही. मीटिंग के बाद ट्रंप ने खुद बयान जारी किया है.
मुनीर के साथ मीटिंग से पहले व्हाइट हाउस के लॉन में जब मीडिया ने ट्रंप से कूटनीतिक परिणामों के बारे में पूछा तो उनका जवाब था, 'यह व्यक्ति भारत-पाकिस्तान लड़ाई को रोकने में बहुत प्रभावशाली था.'