आरक्षण विरोधी आंदोलन के हिंसक हो जाने के बाद बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने सोमवार को इस्तीफा दे दिया. उनके इस्तीफे के बाद से भारत के इस पड़ोसी देश में राजनीतिक उथल-पुथल मचा हुआ है.शांति का नोबेल पुरस्कार जीतने वाले अर्थशास्त्री मोहम्मद यूनुस को अंतरिम सरकार का प्रमुख बनाया गया है. राष्ट्रपति ने वहां की संसद को भंग कर दिया गया है. राष्ट्रपति ने पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा बेगम की रिहाई का आदेश दिया है.उन्हें भ्रष्टाचार से जुड़े एक मामले में 2018 में 17 साल के जेल की सजा सुनाई गई थी.उन्हें नजरबंद करके रखा गया था. जिया बांग्लादेश की मुख्य विपक्षी पार्टी बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी की प्रमुख हैं.पार्टी की कमान इस समय उनके बेटे तारिक रहमान के पास है.आइए जानते हैं कि बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी की राजनीति और उसका इतिहास क्या है.
किसने की थी बीएनपी की स्थापना
बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी की स्थापना 1 सितंबर, 1978 को की गई थी. इसके मूल में था बांग्लादेशी राष्ट्रवाद. बीएनपी की स्थापना खालिदा जिया के पति जिया उर रहमान ने की थी. बांग्लादेशी राष्ट्रवाद की विचारधारा जीवन के हर क्षेत्र में बिना किसी जातीयता,लिंग या नस्ल बांग्लादेशियों के अधिकार की वकालत करती है.स्थापना के अगले ही साल कराए गए बांग्लादेश के दूसरे संसदीय चुनाव में बीएनपी ने जबरदस्त प्रदर्शन किया था. उसने संसद की 300 सीटों में से 207 सीटों पर जीत दर्ज की थी.
जिया उर रहमान भी सैन्य पृष्ठभूमि से आते थे. प्रधानमंत्री शेख मुजीब उर रहमान की 15 अगस्त 1975 में हुई हत्या के बाद जिया उर रहमान को 25 अगस्त 1975 को बांग्लादेश की सेना का प्रमुख बनाया गया था. जिया उर रहमान को बांग्लादेश मुक्ति संग्राम का हीरो माना जाता था. बांग्लादेश में राजनीतिक अनिश्चितताओं के बीत वो 21 अप्रैल 1977 को राष्ट्रपति बनाए गए थे.
दूसरे चुनाव में बीएनपी की बड़ी जीत
जियाउर रहमान ने देश के दूसरे संसदीय चुनाव से पहले 1 सितंबर 1978 को बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) का गठन किया. वो खुद इसके प्रमुख के पद पर बैठे.फरवरी 1979 में कराए गए दूसरे संसदीय चुनाव में बीएनपी ने 300 में से 207 सीटें जीत लीं. रहमान की एक सैनिक विद्रोह में 30 मई 1981 को हत्या कर दी गई थी. इसके बाद अब्दुल सत्तार को बीएनपी की कमान सौंपी गई.
जियाउर रहमान की हत्या के तीन साल बाद उनकी पत्नी बेगम खालिदा जिया ने बीएनपी की कमान संभाली. उन्होंने 1986 में लोकतंत्र समर्थक अभियान शुरू किया. इसका मकसद राष्ट्रपति हुसैन मोहम्मद इरशाद को राष्ट्रपति पद से हटाना था. उन्हें इसमें 1990 में सफलता मिली.इसके बाद बांग्लादेश में कराए गए चुनाव में बीएनपी की सफलता मिली. इस चुनाव के बाद बेगम खालिदा जिया प्रधानमंत्री चुनी गईं. वो बांग्लादेश की पहली महिला प्रधानमंत्री थीं. उन्हें दूसरा कार्यकाल भी मिला, लेकिन केयरटेकर सरकार के तहत कराए गए चुनाव में बीएनपी को हार का सामना करना पड़ा. बीएनपी 116 सीटों के साथ देश की सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी ही बन पाई. इसके बाद उन्हें विपक्ष में बैठना पड़ा. खालिदा जिया 2001 में तीसरी बार प्रधानमंत्री की कुर्सी पर बैठीं.
जब बीएनपी को विपक्ष में बैठना पड़ा
साल 2008 में कराए गए संसदीय चुनाव में बीएनपी को सफलता नहीं मिल पाई. उन्होंने चुनाव में बड़े पैमाने पर धांधली का आरोप लगाया. वो संसद में नेता विपक्ष बनीं. इस बीच उनके बेटे तारिक रहमान ने बीएनपी की राजनीति में दखल बढ़ने लगा था. वो 2009 में बीएनपी का निर्विरोध उपाध्यक्ष चुने गए.बीएनपी ने 2014 में कराए गए संसदीय चुनाव का बहिष्कार किया.
शेख हसीना के नेतृत्व में बनी बांग्लादेश की सरकार ने बीएनपी की प्रमुख खालिदा जिया पर भ्रष्टाचार का मुकदमा चलाया. इसमें उन्हें 2018 में 17 साल की सजा सुनाई गई.इसके बाद खालिदा जिया को जेल भेज दिया गया. खालिदा जिया की गैर मौजूदगी में पार्टी की कमान संभालने के लिए तारिक रहमान को 2019 में पार्टी का कार्यकारी अध्यक्ष बनाया गया. इस समय वही पार्टी की कमान संभाल रहे हैं.
बीएनपी में बढ़ता परिवारवाद
बांग्लादेश की राजनीति की प्रमुख विपक्षी पार्टी बीएनपी पर कई तरह के आरोप लगते रहे हैं.इसमें भाई-भजीतावाद के आरोप प्रमुख हैं.हालत यह है कि खालिदा जिया के भाई-बहन समेत परिवार के कई सदस्य मंत्री और सांसद बने चुके हैं. पार्टी की कमान जिया परिवार के पास ही रही है.पार्टी के दूसरे नेताओं ने भी अपने परिजनों को राजनीति में जमकर आगे बढ़ाया है.
बीएनपी की नेशनल स्टैंडिंग कमेटी पार्टी में निर्णय लेने वाली सबसे बड़ी संस्था है.इसके अलावा बीएनपी प्रमुख का एक सलाहकार मडंल और एक राष्ट्रीय कार्यसमिति भी है.इनके अलावा मुक्तियोद्धा दल, जूबोदल, महिला दल,जासस, कृषक दल, सच्चासेवक दल, टाटी दल,उलेमा दल और मत्स्यजीवी दल इसके प्रमुख संगठन हैं. इनके अलावा छात्र दल और श्रमिक दल इसके आनुषांगिक संगठन हैं
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