- जैश-ए- मोहम्मद की महिला विंग जमात-उल-मोमिनात को लेकर बड़ा खुलासा हुआ है.
- जैश ए मोहम्मद की महिला विंग में 5 हजार महिला जिहादियों की भर्ती की गई है.
- महिलाओं को आत्मघाती हमलावर के रूप में प्रशिक्षित कर जिहादी बनाया जा रहा है.
जैश-ए- मोहम्मद की महिला विंग जमात-उल-मोमिनात को लेकर बड़ा खुलासा हुआ है. यह खुलासा मसूद अज़हर के एक सोशल मीडिया पोस्ट के ज़रिए हुआ है. पता चला है कि जैश ए मोहम्मद की महिला विंग में 5 हजार महिला जिहादियों की भर्ती की गई है. उनको आत्मघाती हमलावर के रूप में प्रशिक्षित किया जा रहा है. जमात-उल-मोमिनात में अब तक पांच हज़ार महिलाओं की भर्ती कर उनको जिहादी बनाया गया है. महिला जिहादियों का ब्रेनवॉश कर उनको फ़िदायीन ट्रेनिंग दी जा रही है.
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मसूद अजहर बना रहा महिला आतंकियों की फौज
सोशल मीडिया पोस्ट में मसूद अज़हर ने लिखा है कि जैसे-जैसे जैश की इस महिला विंग में महिला सदस्यों की संख्या बढ़ रही है अब जरूरत है कि जिलावार जमात उल मोमिनात तंजीम तैयार की जाए. अल्हमदुलिल्लाह...मोमिनात की सदस्यता (रुक़नियत) तेज़ी से जारी है. चंद ही हफ्तों में 5 हज़ार से ज़्यादा महिलाएं इसमें शामिल हो चुकी हैं. हर तरफ ईमान और जज़्बे के प्यारे मंज़र दिखाई दे रहे हैं.कई बहनों ने लिखा कि रुकनियत लेते ही दिल की हालत बदल गई, ज़िंदगी का मकसद समझ में आ गया. यक़ीनन किसी जमात में शामिल होने की बड़ी बरकत होती है. अब इंशाअल्लाह जिलावार तंजीम (ज़िला स्तर पर संरचना) बनाई जाएगी. हर जिले में एक मुन्तज़िमा (प्रमुख महिला) नियुक्त होगी, काम बांटा जाएगा.
मसूद ने आगे लिखा कि जब सोच एक हो जाएगी तो यह ईमान की बहारों वाला कारवां आगे बढ़ पड़ेगा, इंशाअल्लाह. 5 हज़ार की सदस्यता… वह भी इतने कम समय में और इतनी व्यवस्थित! दिल अपने रब का बहुत शुक्रगुज़ार है. दिल चाहता है कि इस खुशी के मौके पर मोमिनात को एक कीमती तोहफा दिया जाए. तोहफ़ा बहुत अच्छा चुना गया है. ऐसे क़लिमात (शब्द) जो नूर, पवित्रता और हिदायत से भरपूर है. ऐसे असरदार अल्फ़ाज़ जो इंसान की रूह को पाक और मजबूत कर देते हैं और उसे रूहानी सुकून और नूर के समंदर में डूबो देते हैं.
महिलाओं का ऐसे ब्रेनवॉश कर रहा आतंक का आका मसूद
उम्मीद है कि आप में से अधिकतर को ये याद होंगे, लेकिन ज़रूरत है इन्हें अमल में लाने की. ये क़लिमात सहीह हदीस में उम्मुल मोमिनीन हज़रत आयशा सिद्दीका (रज़ि.) ने बयान फ़रमाए कि रसूलुल्लाह अपने रुकू और सजदे में इन्हें पढ़ते थे. “सुब्बूहुन् कुद्दूसुन् रब्बुल-मलाइकति वअर-रूह”. रूहानियत के नूर से भरा यह ख़ज़ाना उम्मत की बड़ी संख्या से छूट गया है. ‘जमाअतुल मोमिनात' इससे फ़ायदा उठाए. इन “चमत्कारी क़लिमात” का तरजुमा और इनके फ़ायदे जल्द ही किसी मक़तूब या कॉलम में आ जाएंगे, इंशाअल्लाह.
आप सिर्फ एक दिन हर नमाज़ के रुकू और सजदे में इन्हें शामिल कर लीजिए. और वैसे भी पूरे दिन या रात इन्हें तवज्ज़ो से ज्यादा से ज्यादा पढ़िए. आप पर ऐसी रूहानी हालत तारी होगी कि आप खुद से पूछेंगी “मैं कौन हूं? मैं कहां हूं?” मसूद अजहर ने आगे लिखा है कि एक नया विवाद सामने आया है… “राजा रंजीत सिंह” और “राजा दाहिर की फिक्री औलाद” ने अब एक नया शोर मचा दिया हैकि अमेरिका की नेब्रास्का यूनिवर्सिटी ने पाकिस्तान में जिहादी माहौल पैदा किया. हालांकि यह ऐसा झूठ है जो शायद शैतान को भी न सूझे. लेकिन हमारे कई कॉलमिस्ट, कुछ मंत्री और कुछ बुद्धिजीवी इसे सच मान बैठे हैं. अजीब बात है कि एक यूनिवर्सिटी के पाठ्यक्रम ने लाखों मुजाहिद खड़े कर दिए और एक सुपर पावर को हरा दिया. अगर मौका मिला तो इस गुमराह सोच पर तफसील से बात करेंगे.
क्या है जमात उल मोमिनात? इसे कैसे खड़ा किया जा रहा है
जमात उल मोमिनात के लिए भर्ती प्रक्रिया 8 अक्टूबर से शुरू हुई थी. ये बहावलपुर पाकिस्तान में स्थित जैश के एक प्रमुख केंद्र मर्कज-उस्मान-ओ-अली में शुरू हुई थी. जैश ने महिला आतंकियों की भर्ती के लिए बहावलपुर, मुल्तान, सियालाकोट, कराची, मुजफ्फराबाद, कोटली, हरिपुर मनशेरा में एक विशेष अभियान चलाया है. इसकी कमान मसूद अजहर की छोटी बहन सादिया अजहर संभाल रही है.
सादिया अजहर का पति यूसुफ अजहर उर्फ उस्ताद जी 7 मई को ऑपरेशन सिंदूर में मारा गया था. अफीरा और सादिया के नेतृत्व में जमात-उल-मोमिनात, महिलाओं को धार्मिक शिक्षा और सामाजिक गतिविधियों के नाम पर कट्टरपंथी सोच से जोड़ने की कोशिश कर रही है. ख़ुफ़िया एजेंसियों की माने तो यह आतंकी संगठन का नया तरीका है, जिससे वह महिला सशक्तिकरण का झूठा चेहरा दिखाकर कट्टरपंथ और आतंकी गतिविधियों को आगे बढ़ा सके. जैश-ए-मोहम्मद ने महिलाओं को भर्ती करने के लिए ऑनलाइन जिहादी कोर्स ‘तुफ़तुल मोमिनात' शुरू किया है, मसूद अज़हर की बहनें और उमर फारूक़ की पत्नी अफीरा इसकी क्लास ले रही हैं, जो कि 40 मिनट की है. इसके लिए हर प्रतिभागी से 500 रुपये चंदा रहा है.
क्या है जैश ए मोहम्मद की योजना?
संगठन की योजना है कि महिलाओं की आतंकवादी ब्रिगेड बनाई जाए, जो ISIS, हमास और LTTE जैसे संगठनों की तरह फिदायीन मिशन में इस्तेमाल हो सके. यह पूरा घटनाक्रम पाकिस्तान की दोहरी नीति को उजागर करता है. जहां एक ओर वह FATF नियमों के पालन का दावा करता है, वहीं दूसरी ओर उसके पाले हुए आतंकी संगठन अब ऑनलाइन क्लासों के नाम पर चंदा इकट्ठा कर रहे हैं. पुलवामा हमले के मास्टरमाइंड की पत्नी अफीरा बीबी को शूरा सदस्य बनाया गया है. ख़ुफ़िया एजेंसी से जुड़े सूत्रों की माने तो जैश की ये महिला विंग, जैश की विचारधारा फैलाने और महिलाओं को संगठन से जोड़ने का काम कर रही है.
उमर फारूक, जो जैश का टॉप कमांडर था, मार्च 2019 में कश्मीर के दाचीगाम नेशनल पार्क इलाके में भारतीय सेना के ऑपरेशन में मारा गया था. फारूक ही उस कुख्यात पुलवामा आतंकी हमले का मुख्य साज़िशकर्ता था, जिसमें CRPF के 40 जवान शहीद हुए थे. बता दें कि हाल ही में पकड़ी गई डॉक्टर शाहीन सईद भी जमात उल मोमिनात से जुड़ी थी. उसे जमात उल मोमिनात का इंडिया का हेड बनाया गया था.
मसूद अजहर ने महिलाओं की ट्रेनिंग पर क्या कहा?
हाल ही में जैश ए मोहम्मद के सरगना मसूद अजहर ने एक ऑडियो बहावलपुर स्थित मार्कज़ उस्मान ओ अली में जारी किया था. जहां से अज़हर ने महिलाओं की भर्ती, प्रशिक्षण और धार्मिक कट्टरपंथी indoctrination का विस्तृत ब्लूप्रिंट बताया. मसूद अज़हर ने बताया था कि जैसे जैश के पुरुष आतंकी “दौरा-ए-तर्बियत” नामक 15 दिन के कोर्स से गुजरते हैं, वैसे ही महिलाएं “दौरा-ए-तस्किया” नामक प्रशिक्षण लेंगी.
इसके बाद दूसरा चरण “दौरा-आयत-उल-निसा” होगा, जिसमें उन्हें यह सिखाया जाएगा कि इस्लामिक ग्रंथों के अनुसार महिलाएं जिहाद कैसे कर सकती हैं. अज़हर ने अपने भाषण में दावा किया कि जो महिला जमात-उल-मोमिनात में शामिल होगी, वह मरने के बाद सीधे जन्नत में जाएगी. मसूद अज़हर ने भावनात्मक लहजे में कहा कि उसकी बहन हवा बीबी की मौत भारत के ऑपरेशन सिंदूर के दौरान हुई थी. यह महिला जिहादी विंग का विचार उसने अपनी बहन के साथ ही तैयार किया था. इस ऑपरेशन में अज़हर के परिवार के 14 सदस्य मारे गए थे, जिनमें यूसुफ अज़हर, जमी़ल अहमद, हमज़ा जमी़ल और हुवैफा अज़हर शामिल थे. मसूद अजहर की एक और बहन समीरा अज़हर भी इस महिला विंग से जुड़कर इसे आगे बढ़ा रही है.













